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देश में सबसे पहले 'वेस्ट एनर्जी पॉलिसी' लाकर भूल गया राजस्थान! थर्मल प्लांट में नहीं हो रहा पराली का इस्तेमाल - THERMAL POWER PLANTS IN RAJASTHAN

सबसे पहले वेस्ट एनर्जी पॉलिसी लेकर आने वाला राजस्थान, अपने थर्मल प्लांट में ही पराली का उपयोग नहीं कर रहा है. पढ़िए रिपोर्ट..

STUBBLE IN THERMAL POWER PLANTS
थर्मल प्लांट में पराली का उपयोग (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Dec 7, 2024, 3:14 PM IST

कोटा : केंद्र सरकार ने पराली के निस्तारण के लिए उसे कोयला आधारित थर्मल प्लांट में उपयोग के निर्देश दिए हैं, लेकिन राजस्थान में इन आदेशों की पालना नहीं हो रही है. राजस्थान के एक भी कोयला आधारित थर्मल पावर प्लांट में इसका उपयोग नहीं किया जा रहा है. वहीं, देश के 180 थर्मल पावर प्लांट में से एक तिहाई यानी 65 के आसपास पराली का उपयोग कर रहे हैं.

मिनिस्ट्री ऑफ पावर ने फ्यूल के रूप में कोयले के साथ पराली के उपयोग के दिशा निर्देश दिए थे. फिलहाल, हम पराली का उपयोग नहीं कर रहे हैं. देश के कुछ पावर प्लांट्स और एनटीपीसी ने उपयोग शुरू किया है. हमारी मशीनरी कुछ अलग तरीके की है, इसलिए भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (BHEL) से हम रिपोर्ट लेंगे. इसके संबंध में हम पूरी स्टडी कर रहे हैं. इसका ट्रायल हम करेंगे. : देवेंद्र श्रृंगी, सीएमडी, आरवीयूएनएल

मिनिस्ट्री ऑफ पावर के पराली से ऊर्जा के काम में जुड़ी नेशनल पावर ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट के डायरेक्टर टेक्निकल डॉ. चितरोश भट्टाचार्य का कहना है कि बायोमास प्रोडक्शन में भारत सबसे अग्रणी है. पूरे विश्व में सबसे ज्यादा बायोमास हो रहा है, लेकिन इसका उचित उपयोग नहीं किया जा रहा है. ऊर्जा के लिए इसका उपयोग नहीं हो रहा है. राजस्थान और कोटा में बड़ी संख्या में इकोसिस्टम है और पराली भी होती है, यहां मैन्युफैक्चरर, फार्मर और आरपीओ भी है.

थर्मल प्लांट में नहीं हो रहा पराली का इस्तेमाल (ETV Bharat Udaipur)

भट्टाचार्य ने कहा कि केंद्र सरकार ने 2021 में पॉलिसी लाकर थर्मल पावर प्लांट में पराली के उपयोग की अनुमति दी थी. पहले यह 3 फीसदी तक था, जिसे 1 अप्रैल 2024 को 5 फीसदी कर पूरी तरह लागू कर दिया गया है. इसे अगले साल तक बढ़कर 7 फीसदी किया जाना है. हालांकि, अभी राजस्थान के पावर प्लांट में इसे उपयोग में नहीं लिया जा रहा है. राजस्थान सबसे पहले 2023 सितंबर में वेस्ट एनर्जी पॉलिसी लेकर आया था. इस तरह की पॉलिसी कोई दूसरी राज्य सरकार लेकर नहीं आई. हालांकि, अभी भी राजस्थान के पावर प्लांट यहां पर उपयोग नहीं कर रहे हैं.

STUBBLE IN THERMAL POWER PLANTS
ये है क्षमता (ETV Bharat GFX)

पढ़ें. राजस्थान में किसान ने पराली जलाई तो थानाधिकारी होंगे जिम्मेदार, पुलिस मुख्यालय ने जारी किए निर्देश

यहां बन रही प्लेट्स, दूसरे राज्यों में जा रही : मिशन समर्थ में सीनियर मैनेजर टेक्निकल प्रखर मालवीय का कहना है कि राजस्थान में बहुत अधिक क्षमता और संभावना है, लेकिन यहां के पावर प्लांट में उपयोग नहीं हो पाया है. राजस्थान में 6000 मीट्रिक टन पराली की प्लेट्स बन रही है, उनकी यूनिट्स भी यहां लगी हुई है. भारत के अलग-अलग हिस्सों में इनकी सप्लाई भी कर रहे हैं, लेकिन राजस्थान में ही इसका उपयोग नहीं हो रहा है. इनका उपयोग राजस्थान में भी होने लग जाएगा तो मिशन आगे बढे़गा.

STUBBLE IN THERMAL POWER PLANTS
ये होगा फायदा (ETV Bharat GFX)

पराली से पॉल्यूशन होगा खत्म, ऊर्जा मिलेगी : मिशन समर्थ के सदस्य और भेल में एजीएम राकेश श्रीवास्तव का कहना है कि पर्यावरण को पॉल्यूशन के मामले में सबसे ज्यादा फायदा होगा. जब थर्मल पावर प्लांट में 3 से 5 फीसदी कोयले के साथ इसका उपयोग किया जाएगा, तब पॉल्यूशन नहीं होगा. दूसरी तरफ इससे कोयला भी बचेगा. पराली के प्लेट्स बनने से रोजगार बढ़ेगा. साथ ही कोयला तो बचेगा ही. पराली से जहां पर पर्यावरण प्रदूषण हो रहा था, दूसरी तरफ ऊर्जा बनाने में उसका उपयोग होगा. किसान को सबसे ज्यादा फायदा यह होगा कि सालों साल जो पराली को जलाने की प्रक्रिया है, उसकी जगह इनकम सोर्स हो जाएगा. अब तो सरकार ने जुर्माना भी लगा दिया है.

पढे़ं. अब पराली से नहीं होगा प्रदूषण! जयपुर के बहन-भाई ने खोजा उपाय

अन्नदाता से ऊर्जादाता की तरफ बढ़ें : एनपीटीई शिवपुरी के असिस्टेंट डायरेक्टर रोहित गुप्ता का कहना है कि अन्नदाता से ऊर्जादाता की तरफ जाने के लिए किसानों को यह पूरी सप्लाई चेन है. किस तरह से किसान अपना एग्रीकल्चर वेस्ट प्लेट निर्माता को बेचकर मुनाफा कमा सकते हैं. इसके अलावा छोटे-छोटे प्लेट्स निर्माण के उद्योग भी लगा सकते हैं. हम यह भी बता रहे हैं कि किस तरह से छोटे उद्योगों और थर्मल प्लांट्स में पराली प्लेट्स का उपयोग फ्यूल में किया जा सकता है. फिलहाल सबसे बड़ा चैलेंज यही है कि किस तरह से कार्बन फुटप्रिंट को कम किया जा सके. भारत सरकार के भी कई सारे कमिटमेंट हैं, उन्हें अपने गोल पूरे करने हैं.

राजस्थान में एक लाख मीट्रिक टन कोयले का उपयोग : राजस्थान में निजी और सरकारी क्षेत्र में कोयला आधारित पावर प्लांट की बात की जाए तो पांच जगह पर सात पावर प्लांट स्थित हैं. इनमें छबड़ा और सूरतगढ़ में दो-दो पावर प्लांट हैं. राजस्थान में कुल मिलाकर 8900 मेगावाट बिजली कोयला आधारित पावर प्लांट के जरिए उत्पादित की जा सकती है. इनमें 7520 मेगावाट सरकारी थर्मल पावर प्लांट के जरिए बनाई जा सकती है, जबकि बारां जिले में कवाई में निजी स्तर पर अडानी का पावर प्लांट स्थित है. इसकी क्षमता 1320 मेगावाट है. कुल मिलाकर राजस्थान में 80 हजार से 1 लाख मीट्रिक टन रोज कोयले की खपत है.

पढ़ें. राहत की खबर: कंबाइंड साइकिल पावर प्लांट की तीन इकाइयां शुरू, प्रदेश को मिलेगी 330 मेगावाट बिजली

यह है पराली से जुड़े फैक्ट्स :

  1. देश के 180 में से 65 थर्मल पावर प्लांट पराली का उपयोग ईंधन के रूप में करने लगे. राजस्थान में एक भी नहीं है.
  2. 1000 मेगावाट के पावर प्लांट में यहां पर 700 टन कोयला प्रति घंटा चाहिए, इसमें से 35 से 50 टन पराली का उपयोग किया जा सकता है. दिनभर की बात की जाए तो यह 800 से 1200 टन के आसपास उपयोग हो सकता है.
  3. राजस्थान में पशु आहार और पराली के उपयोग के बाद 10 मिलियन मीट्रिक टन (100 लाख मीट्रिक टन) जलाने में ही जा रही है. किसान भी इसे मजबूरी में ही जला रहे हैं, क्योंकि इसका निस्तारण नहीं हो पाता है और उन्हें अगली फसल करने के लिए खेत से पराली का निस्तारण करना जरूरी होता है.
  4. पॉवर मिनिस्ट्री के समर्थ मिशन के तहत किसानों को भी जागरूक किया जा रहा है. नेशनल पॉवर ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट एनपीटीआई शिवपुरी इसके लिए काम कर रहा है.

किसानों को पैसा मिलने के साथ-साथ रोजगार भी बढ़ेगा:

  1. पराली जलाने पर आजकल जुर्माना लगने लग गया, क्योंकि सरकार ने स्कीम लाकर उसका उपयोग लोगों को बताया है. इसके उपयोग में लेने से तो पर्यावरण पॉल्यूशन भी नहीं होगा.
  2. डेढ़ से साढ़े तीन रुपए प्रति किलो तक यह पैसा किसानों को मिलता है, लेकिन वह अलग-अलग फसल की पराली के अनुसार तय होता है.
  3. रोजगार में वृद्धि होगी, क्योंकि पराली को लिफ्टिंग करना पड़ेगा. इसमें किसानों से इकट्ठा करने के बाद लोडिंग अनलोडिंग भी इसमें होगी.
  4. एमएसएमई के उद्योग भी स्थापित होंगे और ट्रांसपोर्टेशन भी जुड़ेगा, क्योंकि पराली से बनने वाली प्लेट्स के लिए छोटी-छोटी इंडस्ट्री लगती है.

कोटा : केंद्र सरकार ने पराली के निस्तारण के लिए उसे कोयला आधारित थर्मल प्लांट में उपयोग के निर्देश दिए हैं, लेकिन राजस्थान में इन आदेशों की पालना नहीं हो रही है. राजस्थान के एक भी कोयला आधारित थर्मल पावर प्लांट में इसका उपयोग नहीं किया जा रहा है. वहीं, देश के 180 थर्मल पावर प्लांट में से एक तिहाई यानी 65 के आसपास पराली का उपयोग कर रहे हैं.

मिनिस्ट्री ऑफ पावर ने फ्यूल के रूप में कोयले के साथ पराली के उपयोग के दिशा निर्देश दिए थे. फिलहाल, हम पराली का उपयोग नहीं कर रहे हैं. देश के कुछ पावर प्लांट्स और एनटीपीसी ने उपयोग शुरू किया है. हमारी मशीनरी कुछ अलग तरीके की है, इसलिए भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (BHEL) से हम रिपोर्ट लेंगे. इसके संबंध में हम पूरी स्टडी कर रहे हैं. इसका ट्रायल हम करेंगे. : देवेंद्र श्रृंगी, सीएमडी, आरवीयूएनएल

मिनिस्ट्री ऑफ पावर के पराली से ऊर्जा के काम में जुड़ी नेशनल पावर ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट के डायरेक्टर टेक्निकल डॉ. चितरोश भट्टाचार्य का कहना है कि बायोमास प्रोडक्शन में भारत सबसे अग्रणी है. पूरे विश्व में सबसे ज्यादा बायोमास हो रहा है, लेकिन इसका उचित उपयोग नहीं किया जा रहा है. ऊर्जा के लिए इसका उपयोग नहीं हो रहा है. राजस्थान और कोटा में बड़ी संख्या में इकोसिस्टम है और पराली भी होती है, यहां मैन्युफैक्चरर, फार्मर और आरपीओ भी है.

थर्मल प्लांट में नहीं हो रहा पराली का इस्तेमाल (ETV Bharat Udaipur)

भट्टाचार्य ने कहा कि केंद्र सरकार ने 2021 में पॉलिसी लाकर थर्मल पावर प्लांट में पराली के उपयोग की अनुमति दी थी. पहले यह 3 फीसदी तक था, जिसे 1 अप्रैल 2024 को 5 फीसदी कर पूरी तरह लागू कर दिया गया है. इसे अगले साल तक बढ़कर 7 फीसदी किया जाना है. हालांकि, अभी राजस्थान के पावर प्लांट में इसे उपयोग में नहीं लिया जा रहा है. राजस्थान सबसे पहले 2023 सितंबर में वेस्ट एनर्जी पॉलिसी लेकर आया था. इस तरह की पॉलिसी कोई दूसरी राज्य सरकार लेकर नहीं आई. हालांकि, अभी भी राजस्थान के पावर प्लांट यहां पर उपयोग नहीं कर रहे हैं.

STUBBLE IN THERMAL POWER PLANTS
ये है क्षमता (ETV Bharat GFX)

पढ़ें. राजस्थान में किसान ने पराली जलाई तो थानाधिकारी होंगे जिम्मेदार, पुलिस मुख्यालय ने जारी किए निर्देश

यहां बन रही प्लेट्स, दूसरे राज्यों में जा रही : मिशन समर्थ में सीनियर मैनेजर टेक्निकल प्रखर मालवीय का कहना है कि राजस्थान में बहुत अधिक क्षमता और संभावना है, लेकिन यहां के पावर प्लांट में उपयोग नहीं हो पाया है. राजस्थान में 6000 मीट्रिक टन पराली की प्लेट्स बन रही है, उनकी यूनिट्स भी यहां लगी हुई है. भारत के अलग-अलग हिस्सों में इनकी सप्लाई भी कर रहे हैं, लेकिन राजस्थान में ही इसका उपयोग नहीं हो रहा है. इनका उपयोग राजस्थान में भी होने लग जाएगा तो मिशन आगे बढे़गा.

STUBBLE IN THERMAL POWER PLANTS
ये होगा फायदा (ETV Bharat GFX)

पराली से पॉल्यूशन होगा खत्म, ऊर्जा मिलेगी : मिशन समर्थ के सदस्य और भेल में एजीएम राकेश श्रीवास्तव का कहना है कि पर्यावरण को पॉल्यूशन के मामले में सबसे ज्यादा फायदा होगा. जब थर्मल पावर प्लांट में 3 से 5 फीसदी कोयले के साथ इसका उपयोग किया जाएगा, तब पॉल्यूशन नहीं होगा. दूसरी तरफ इससे कोयला भी बचेगा. पराली के प्लेट्स बनने से रोजगार बढ़ेगा. साथ ही कोयला तो बचेगा ही. पराली से जहां पर पर्यावरण प्रदूषण हो रहा था, दूसरी तरफ ऊर्जा बनाने में उसका उपयोग होगा. किसान को सबसे ज्यादा फायदा यह होगा कि सालों साल जो पराली को जलाने की प्रक्रिया है, उसकी जगह इनकम सोर्स हो जाएगा. अब तो सरकार ने जुर्माना भी लगा दिया है.

पढे़ं. अब पराली से नहीं होगा प्रदूषण! जयपुर के बहन-भाई ने खोजा उपाय

अन्नदाता से ऊर्जादाता की तरफ बढ़ें : एनपीटीई शिवपुरी के असिस्टेंट डायरेक्टर रोहित गुप्ता का कहना है कि अन्नदाता से ऊर्जादाता की तरफ जाने के लिए किसानों को यह पूरी सप्लाई चेन है. किस तरह से किसान अपना एग्रीकल्चर वेस्ट प्लेट निर्माता को बेचकर मुनाफा कमा सकते हैं. इसके अलावा छोटे-छोटे प्लेट्स निर्माण के उद्योग भी लगा सकते हैं. हम यह भी बता रहे हैं कि किस तरह से छोटे उद्योगों और थर्मल प्लांट्स में पराली प्लेट्स का उपयोग फ्यूल में किया जा सकता है. फिलहाल सबसे बड़ा चैलेंज यही है कि किस तरह से कार्बन फुटप्रिंट को कम किया जा सके. भारत सरकार के भी कई सारे कमिटमेंट हैं, उन्हें अपने गोल पूरे करने हैं.

राजस्थान में एक लाख मीट्रिक टन कोयले का उपयोग : राजस्थान में निजी और सरकारी क्षेत्र में कोयला आधारित पावर प्लांट की बात की जाए तो पांच जगह पर सात पावर प्लांट स्थित हैं. इनमें छबड़ा और सूरतगढ़ में दो-दो पावर प्लांट हैं. राजस्थान में कुल मिलाकर 8900 मेगावाट बिजली कोयला आधारित पावर प्लांट के जरिए उत्पादित की जा सकती है. इनमें 7520 मेगावाट सरकारी थर्मल पावर प्लांट के जरिए बनाई जा सकती है, जबकि बारां जिले में कवाई में निजी स्तर पर अडानी का पावर प्लांट स्थित है. इसकी क्षमता 1320 मेगावाट है. कुल मिलाकर राजस्थान में 80 हजार से 1 लाख मीट्रिक टन रोज कोयले की खपत है.

पढ़ें. राहत की खबर: कंबाइंड साइकिल पावर प्लांट की तीन इकाइयां शुरू, प्रदेश को मिलेगी 330 मेगावाट बिजली

यह है पराली से जुड़े फैक्ट्स :

  1. देश के 180 में से 65 थर्मल पावर प्लांट पराली का उपयोग ईंधन के रूप में करने लगे. राजस्थान में एक भी नहीं है.
  2. 1000 मेगावाट के पावर प्लांट में यहां पर 700 टन कोयला प्रति घंटा चाहिए, इसमें से 35 से 50 टन पराली का उपयोग किया जा सकता है. दिनभर की बात की जाए तो यह 800 से 1200 टन के आसपास उपयोग हो सकता है.
  3. राजस्थान में पशु आहार और पराली के उपयोग के बाद 10 मिलियन मीट्रिक टन (100 लाख मीट्रिक टन) जलाने में ही जा रही है. किसान भी इसे मजबूरी में ही जला रहे हैं, क्योंकि इसका निस्तारण नहीं हो पाता है और उन्हें अगली फसल करने के लिए खेत से पराली का निस्तारण करना जरूरी होता है.
  4. पॉवर मिनिस्ट्री के समर्थ मिशन के तहत किसानों को भी जागरूक किया जा रहा है. नेशनल पॉवर ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट एनपीटीआई शिवपुरी इसके लिए काम कर रहा है.

किसानों को पैसा मिलने के साथ-साथ रोजगार भी बढ़ेगा:

  1. पराली जलाने पर आजकल जुर्माना लगने लग गया, क्योंकि सरकार ने स्कीम लाकर उसका उपयोग लोगों को बताया है. इसके उपयोग में लेने से तो पर्यावरण पॉल्यूशन भी नहीं होगा.
  2. डेढ़ से साढ़े तीन रुपए प्रति किलो तक यह पैसा किसानों को मिलता है, लेकिन वह अलग-अलग फसल की पराली के अनुसार तय होता है.
  3. रोजगार में वृद्धि होगी, क्योंकि पराली को लिफ्टिंग करना पड़ेगा. इसमें किसानों से इकट्ठा करने के बाद लोडिंग अनलोडिंग भी इसमें होगी.
  4. एमएसएमई के उद्योग भी स्थापित होंगे और ट्रांसपोर्टेशन भी जुड़ेगा, क्योंकि पराली से बनने वाली प्लेट्स के लिए छोटी-छोटी इंडस्ट्री लगती है.
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