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खेतों में कीटनाशक से कुरजां की हो रही मौत! 3676 किमी की दूरी तय कर पहुंचते हैं खींचन - DEMOISELLE CRANE DEATH

फलोदी में पिछले 5 दिनों में 8 कुरजां की मौत हो चुकी है. अंदेशा है कि इनकी मौत खेतों में छिड़के कीटनाशक से हुई है.

8 Demoiselle crane died in Phalodi
5 दिनों में 8 कुरजां की मौत (ETV Bharat Jodhpur)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : 3 hours ago

जोधपुर: सर्दियों में प्रवास के लिए हजारों किलोमीटर की यात्रा कर भारत आने वाले मेहमान परिंदे कुरजां का फलोदी क्षेत्र में बीमार होकर मरने का सिलसिला थमने का नाम ही नहीं ले रहा है. फूड पॉइजनिंग से डेमोसाइल क्रेन कुरजां के बीमार होने की जानकारी आने के बाद बचाव के उपाय अभी फलीभूत नहीं हो पा रहे हैं. फलोदी के खींचन में 15 से 19 दिसंबर तक फूड पॉइजनिंग का शिकार होकर 7 कुरजां की मौत हो चुकी है.

विद्युत पोल के तारों से टकराकर गुरुवार को एक कुरजां ने भी दम तोड़ दिया. पिछले पांच दिनों में कुल 8 कुरजां काल कवलित हो चुके हैं. पक्षी प्रेमी सेवाराम माली ने बताया कि गुरुवार को खींचन में नाड़ी के पास ही विद्युत पोल से टकराकर एक कुरजां की मौत हो गई. माली ने बताया कि कुरजां के गिरने पर उनको रेस्क्यू करने के लिए ग्रामीण सजग है. वे उनको लेकर रेस्क्यू सेंटर लेकर जाते हैं. उल्लेखनीय है कि सर्दियों के दिनों में हर वर्ष रूस के साइबेरिया से हजारों की संख्या में कुरजां फलोदी के खींचन आते हैं और यहां प्रवास के बाद वापस लौट जाते हैं.

emoiselle crane died in Phalodi
3676 किमी उड़कर पहुंचे खींचन (ETV Bharat Jodhpur)

पढ़ें: रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण साइबेरियन पक्षी कुरजां ने बदला रास्ता! 3676 किमी उड़कर पहुंचे खीचन - RUSSIA UKRAINE WAR

जांच के लिए भेजे विसरा सैंपल: फलोदी वन विभाग के एसीएफ कृष्ण कुमार व्यास ने बताया कि डेमोसाइल क्रेन की मौत जहरीला पदार्थ के सेवन करने से होने का अनुमान है. खेतों में कीटनाशक छिड़काव के संबंध में कृषि विभाग के अधिकारियों को जांच के लिए कहा गया है. मृतक डेमोसाइल क्रेन के शरीर का विसरा जांच के लिए भेजा गया है. वहां से रिपोर्ट आने पर पता चलेगा. रेस्क्यू सेंटर पर उपचार की व्यवस्था की गई है.

पढ़ें: राजस्थान में कुरजां और कौओं की मौत का कारण एवियन इन्फ्लूएंजा...मुर्गियों में बर्ड फ्लू रोग की पुष्टि नहीं - एच5एन1 एवियन इन्फ्लूएंजा वायरस

3676 किमी उड़कर पहुंचे खींचन: सेवाराम माली ने बताया कि दशकों से नेपाल के रास्ते खीचन पहुंचने वाली कुरजां ने इस बार वतन वापसी करने वाले पाकिस्तान से जैसलमेर होकर भारत की सीमाओं में प्रवेश किया है. जिसका सबसे बड़ा कारण रशिया-यूक्रेन युद्ध को माना जा रहा है. इस बार इस यात्रा के दौरान सुकपाक ने रशिया, कजाकिस्तान, तुर्किस्तान, अफगानिस्तान, पाकिस्तान के रास्ते जैसलमेर सीमा से भारत की सीमा में प्रवेश किया है. ये दूरी 3676 किमी है, जो इस प्रवासी पक्षी द्वारा तय किया गया अब तक का सबसे लंबा मार्ग है. इससे पहले यह बर्ड 2800 किमी की दूरी तय करता था. दूरी का पता बर्ड के पैर में लगी रिंग से चलता है, जिसमें पूरा विवरण दर्ज होता है.

जोधपुर: सर्दियों में प्रवास के लिए हजारों किलोमीटर की यात्रा कर भारत आने वाले मेहमान परिंदे कुरजां का फलोदी क्षेत्र में बीमार होकर मरने का सिलसिला थमने का नाम ही नहीं ले रहा है. फूड पॉइजनिंग से डेमोसाइल क्रेन कुरजां के बीमार होने की जानकारी आने के बाद बचाव के उपाय अभी फलीभूत नहीं हो पा रहे हैं. फलोदी के खींचन में 15 से 19 दिसंबर तक फूड पॉइजनिंग का शिकार होकर 7 कुरजां की मौत हो चुकी है.

विद्युत पोल के तारों से टकराकर गुरुवार को एक कुरजां ने भी दम तोड़ दिया. पिछले पांच दिनों में कुल 8 कुरजां काल कवलित हो चुके हैं. पक्षी प्रेमी सेवाराम माली ने बताया कि गुरुवार को खींचन में नाड़ी के पास ही विद्युत पोल से टकराकर एक कुरजां की मौत हो गई. माली ने बताया कि कुरजां के गिरने पर उनको रेस्क्यू करने के लिए ग्रामीण सजग है. वे उनको लेकर रेस्क्यू सेंटर लेकर जाते हैं. उल्लेखनीय है कि सर्दियों के दिनों में हर वर्ष रूस के साइबेरिया से हजारों की संख्या में कुरजां फलोदी के खींचन आते हैं और यहां प्रवास के बाद वापस लौट जाते हैं.

emoiselle crane died in Phalodi
3676 किमी उड़कर पहुंचे खींचन (ETV Bharat Jodhpur)

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जांच के लिए भेजे विसरा सैंपल: फलोदी वन विभाग के एसीएफ कृष्ण कुमार व्यास ने बताया कि डेमोसाइल क्रेन की मौत जहरीला पदार्थ के सेवन करने से होने का अनुमान है. खेतों में कीटनाशक छिड़काव के संबंध में कृषि विभाग के अधिकारियों को जांच के लिए कहा गया है. मृतक डेमोसाइल क्रेन के शरीर का विसरा जांच के लिए भेजा गया है. वहां से रिपोर्ट आने पर पता चलेगा. रेस्क्यू सेंटर पर उपचार की व्यवस्था की गई है.

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3676 किमी उड़कर पहुंचे खींचन: सेवाराम माली ने बताया कि दशकों से नेपाल के रास्ते खीचन पहुंचने वाली कुरजां ने इस बार वतन वापसी करने वाले पाकिस्तान से जैसलमेर होकर भारत की सीमाओं में प्रवेश किया है. जिसका सबसे बड़ा कारण रशिया-यूक्रेन युद्ध को माना जा रहा है. इस बार इस यात्रा के दौरान सुकपाक ने रशिया, कजाकिस्तान, तुर्किस्तान, अफगानिस्तान, पाकिस्तान के रास्ते जैसलमेर सीमा से भारत की सीमा में प्रवेश किया है. ये दूरी 3676 किमी है, जो इस प्रवासी पक्षी द्वारा तय किया गया अब तक का सबसे लंबा मार्ग है. इससे पहले यह बर्ड 2800 किमी की दूरी तय करता था. दूरी का पता बर्ड के पैर में लगी रिंग से चलता है, जिसमें पूरा विवरण दर्ज होता है.

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