जयपुर. प्रदेश के कॉलेज और विश्वविद्यालयों में छात्रसंघ चुनाव करवाने की मांग एक बार फिर जोर पकड़ने लगी है. राजस्थान विश्वविद्यालय में इसे लेकर शुक्रवार को छात्रों ने पैदल मार्च निकाला. यूनिवर्सिटी से जेएलएन मार्ग जाने की कोशिश कर रहे छात्रों को पुलिस ने हल्का बल प्रयोग कर खदेड़ा. पुलिस ने आंदोलन कर रहे चार छात्र प्रतिनिधियों को हिरासत में भी लिया है.
दरअसल, प्रदेश में पिछले साल छात्रसंघ चुनाव नहीं हुए. इस बार भी अभी तक छात्रसंघ चुनाव करवाने को लेकर स्थिति साफ नहीं है. इस बीच सरकार से भी ऐसे संकेत मिले हैं कि इस बार भी छात्रसंघ चुनाव होना मुश्किल है. ऐसे में छात्रसंघ चुनाव करवाने की मांग को लेकर आज शुक्रवार को छात्रनेता शुभम रेवाड़ के नेतृत्व में बड़ी संख्या में छात्र राजस्थान विश्वविद्यालय परिसर में इकठ्ठा हुए और पैदल मार्च निकाला.
पुलिस ने बंद किया विश्वविद्यालय का द्वार: पैदल मार्च के रूप में प्रदर्शनकारी छात्र विश्वविद्यालय के मुख्यद्वार पर पहुंचे. पुलिस ने छात्रों को यूनिवर्सिटी से निकलकर जेएलएन मार्ग पर जाने से रोकने के लिए मुख्यद्वार बंद कर दिया था. इस बीच कुछ छात्र गेट पर चढ़कर जेएलएन मार्ग की तरफ जाने की कोशिश करने लगे. इस पर पुलिस ने हल्का बल प्रयोग कर छात्रों को खदेड़ा. पुलिस ने शुभम रेवाड़ सहित चार छात्र नेताओं को हिरासत में लिया है.
पूर्व छात्रसंघ अध्यक्षों ने लिखा सीएम को पत्र: छात्रसंघ चुनाव करवाने की मांग को लेकर राजस्थान विश्वविद्यालय के 18 छात्र नेताओं ने मुख्यमंत्री को पत्र भी लिखा है. राजस्थान यूनिवर्सिटी के छात्रसंघ अध्यक्ष रहे ज्ञान सिंह चौधरी, हुकुम सिंह, कालीचरण सराफ, हनुमान बेनीवाल, जितेंद्र श्रीमाली, रणवीर सिंह गुढ़ा, पुष्पेंद्र भारद्वाज, अशोक लाहोटी, प्रताप सिंह खाचरियावास, राजेंद्र सिंह राठौड़, राजकुमार शर्मा, अखिल शुक्ला, मनीष यादव, अनिल चौपड़ा, कानाराम जाट, अंकित धायल, विनोद जाखड़ ने सीएम को पत्र लिखकर छात्रसंघ चुनाव करवाने की मांग की है.
पिछले साल भी नहीं हुए थे छात्रसंघ चुनाव: राजस्थान के कॉलेज और विश्वविद्यालयों में पिछले साल भी छात्रसंघ चुनाव नहीं हुए थे. इससे पहले 2006 से 2009 तक भी छात्रसंघ चुनाव नहीं हुए थे. साल 2010 में एक बार फिर छात्रसंघ चुनाव शुरू हुए. हालांकि, साल 2020 और 2021 में कोरोना संक्रमण की वजह से छात्रसंघ चुनाव नहीं हो पाए थे. फिर 2022 में छात्रसंघ चुनाव हुए. लेकिन पिछले साल गहलोत सरकार ने छात्रसंघ चुनाव रद्द किए थे. इस साल भी छात्रसंघ चुनाव को लेकर स्थिति साफ नहीं है. ऐसे में अब छात्रसंघ चुनाव करवाने की मांग जोर पकड़ने लगी है.