नई दिल्ली: दिल्ली में सबसे ज्यादा वाहन हैं. ऐसे में दिल्ली वाले अपने वाहनों पर स्पेशल नंबर लगाने में कम पीछे नहीं हैं. अपने वाहनों पर वीआईपी नंबर प्लेट लगाने के लिए वे हजारों नहीं बल्कि लाखों रुपये तक खर्च करने में पीछे नहीं हटते हैं. दिल्ली सरकार के ट्रांसपोर्ट विभाग के आंकड़ों की मानें तो पिछले करीब 9 सालों के भीतर 65 हजार से ज्यादा वाहनों को फैंसी नंबर अलॉट किये गए हैं. ट्रांसपोर्ट विभाग से प्राप्त आंकड़ों की बात करें तो पिछले नौ सालों में सबसे ज्यादा फैंसी नंबर की डिमांड साल 2022 में रिकॉर्ड की गई.
इस साल 17361 वाहनों को फैंसी नंबर अलॉट किए गए हैं. लेकिन ऐसा नहीं है कि बाकी सालों में इनकी डिमांड नहीं रही है. हर साल इनकी संख्या कई हजार रिकॉर्ड हुई है. 2021 में भी अपनी गाड़ी पर फैंसी नंबर लगाने वालों की संख्या कम नहीं आंकी गई. इस साल 9996 वाहनों के लिए स्पेशल नंबर जारी किया गया था. हालांकि, 2023 में जरूर यह आंकड़ा कुछ कम दर्ज किया. जून, 2023 तक 5844 वाहनों के लिए फैंसी नंबर अलॉट किए गए जोकि इसकी डिमांड को बरकरार रखना दिखाता है.
वीआईपी नंबर ई-नीलामी के जरिए आवंटित किए जाते हैं
फैंसी वीआईपी नंबर प्लेट पाने के लिए प्रीमियम कीमत चुकाने में अब दिल्लीवाले कंजूसी नहीं दिखा रहे है. उनकी चाहत है कि अगर वो अच्छी और महंगी गाड़ी खरीद रहे हैं तो उसका नंबर पर भी कुछ वीआईपी या फिर फैंसी नंबर प्लेट के साथ नजर आए. इस तरह के खास रजिस्ट्रेशन नंबर रीजिनल ट्रांसपोर्ट ऑफिस (RTO) की तरफ से आयोजित ई-नीलामी के जरिए आवंटित किए जाते हैं, जहां पर कोई भी अपनी पसंदीदा नंबर प्लेट के लिए बोली लगा सकता हैं. कोई भी इच्छुक अपनी पसंद की नंबर प्लेट के लिए सबसे ऊंची बोली लगा सकता है. नंबरकी प्रीमियम कीमत चुकाने पर उसको फैंसी नंबर अलॉट हो जाता है.
9 सालों के भीतर 65,038 फैंसी नंबर हुआ जारी
दिल्ली ट्रांसपोर्ट विभाग के आंकड़ों की माने तो साल 2015 में सिर्फ 788 वाहनों के लिए फैंसी नंबर जारी हुआ था लेकिन इसके बाद इस तरह के नंबर लेने के लिए लोगों ने खूब दिलचस्पी दिखाई है. साल 2016 में यह आंकड़ा 6959 दर्ज किया गया था. वहीं, 2017 में 4644, 2018 में 4820, 2019 में 7136, 2020 में 7490 और 2021 में 9996 रिकॉर्ड हुआ था. इन आंकड़ों से सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि 2015 में दूसरी बार सत्ता में आई आम आदमी पार्टी के पहले साल के कार्यकाल में फैंसी नंबर का आंकड़ा 788 रिकॉर्ड हुआ था लेकिन इसके बाद हर साल इसमें बड़ा इजाफा रिकॉर्ड हुआ है. पिछले 9 सालों के भीतर यह आंकड़ा 65038 रिकॉर्ड किया गया है.
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इतना ही नहीं फैंसी नंबर रजिस्ट्रेशन में 0001 से 0009 सीरीज लेने वालों ने भी कम दिलचस्पी नहीं दिखाई है. पिछले 9 सालों के अंदर 4100 वाहनों के लिए इस सीरीज के नंबर अलॉट किए गए. आमतौर पर देखा जाए तो 0001 से 0009 सीरीज के नंबरों की कीमत लाखों में होती है. 0001 नंबर को हासिल करने की कीमत अमूमन 5 लाख रुपये तक की होती है. उसी तरह से 0002 नंबर से लेकर 0009 के बीच की नंबर प्लेट पाने की कीमत 3 लाख रुपये से स्टॉर्ट होती है. यह सभी ई-नीलामी में ऊंची बोली लगाकर हासिल किए जाते हैं.
इसके अलावा एक कैटेगरी में 0010 से 0099, 0786, 1000, 1111, 7777 और 9999 रजिस्ट्रेशन नंबर भी आते हैं जिनके लिए 2 लाख रुपये तक प्रीमियम कीमत देनी पड़ती है. हालांकि, रकम का निर्धारित उसकी ई-बोली पर ही निर्भर करता है. दिल्ली में कुल पंजीकृत वाहनों की संख्या की बात करें तो राजधानी में करीब 80 लाख वाहन हैं जिनमें से करीब 34 लाख निजी कार/जीप हैं. वहीं, दोपहिया वाहनों की संख्या भी करीब 53 लाख से ज्यादा है.
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