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अगर आप भी बाघों और चिड़ियों पर करना चाहते हैं रिसर्च, तो आइए दिल्ली चिड़ियाघर - Delhi Zoo For Students

दिल्ली के नेशनल जुलॉजिकल पार्क में ऐसे कई जानवर हैं, जिनके दीदार के लिए लोग दूर-दूर से पहुंचते हैं, लेकिन अब इन जानवरों पर रिसर्च कर सकते हैं. दिल्ली जू ने छात्रों के लिए रिसर्च प्रोग्राम शुरू किया गया है. इसके लिए कोई फीस भी नहीं लिया जाएगा. पढ़ें पूरी खबर...

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दिल्ली का चिड़ियाघर (Animated)
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Sep 3, 2024, 9:06 PM IST

Updated : Sep 4, 2024, 6:39 AM IST

नई दिल्ली: जानवरों व पक्षियों पर रिसर्च करना वाले स्टूडेंट्स के लिए अच्छी खबर है. दिल्ली के नेशनल जूलॉजिकल पार्क में रिसर्च प्रोग्राम शुरू किया गया है. इसमें कोई फीस नहीं रखी गई है. 45 दिन से लेकर 2 साल तक रिसर्च कर सकते हैं. हाल में दिल्ली यूनिवर्सिटी, चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी, एमिटी यूनिवर्सिटी समेत अन्य शिक्षण संस्थानों के 10 छात्रों ने दिल्ली जू में विभिन्न विषयों पर रिसर्च किया.

1959 में बना दिल्ली का नेशनल जूलॉजिकल पार्क 176 एकड़ में फैला है. यहां पर 84 प्रजाति के पशु पक्षी संरक्षित किए गए हैं. इसमें विदेशी पशु-पक्षी शामिल हैं. इन्हें देखने के लिए रोजाना हजारों लोग आते हैं. दिल्ली जू के डायरेक्टर डॉ. संजीत कुमार ने बताया कि ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट छात्रों के लिए रिसर्च प्रोग्राम शुरू किया गया है. यदि कोई छात्र जानवरों व पक्षियों पर रिसर्च करना चाहते हैं तो वह https://nzpnewdelhi.gov.in/ वेबसाइट पर जाकर जानकारी लेकर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं.

इसके बाद उन्हें दिल्ली जू में डायरेक्टर ऑफिस में जाकर संपर्क करना होगा. इसके बाद उन्हें रिसर्च के की अनुमति मिलेगी. उनके रिसर्च के विषय के अनुसार दिल्ली जू के 10 सेक्सन में से संबंधित सेक्शन के इंचार्ज को जानकारी दी जाती है. सेक्शन इंचार्ज रिसर्च में पूरा सहयोग देते हैं. अभी पांच लोगों के आवेदन आ चुके हैं, जो जानवर, पक्षी व अन्य पर रिसर्च करने के इच्छुक हैं.

10 विद्यार्थियों ने की रिसर्चः दिल्ली जू के अधिकारियों के मुताबिक, हाल में 10 स्टूडेंट रिसर्च करने के लिए विभिन्न शैक्षिक संस्थानों से आए थे, जिन्होंने जानवरों, पक्षियों पर रिसर्च की. यूनिवर्सिटी से स्टूडेंटस को इंटर्नशिप या रिसर्च के लिए बोल देते हैं. कई स्टूडेंट विभिन्न जगहों पर पैसा देकर इंटर्नशिप या रिसर्च करते हैं, लेकिन दिल्ली जू में इसके लिए कोई फीस नहीं है. स्टूडेंट्स फ्री में रिसर्च कर सकते हैं. स्टूडेंट्स को कालेज या यूनिवर्सिटी से मिला पत्र जमा करना होता है.

"बंगाल टाइगर के व्यवहार और तनाव पर डेढ़ महीने की रिसर्च की. बंगाल टाइगर के दो बच्चे हैं, जिनमें मेल का नाम धैर्य और फीमेल का नाम धात्री है. जिसमें मेल ज्यादा एक्टिव रहता है और फीमेल कम एक्टिव रहती है. उन्हें खेलने के लिए खेलने के लिए वस्तुएं दी जाएं तो ज्यादा अच्छा होगा. वहीं इन दोनों बच्चों के फादर बंगाल टाइगर में तनाव रहित दिखाई दिया. रिसर्च में दिल्ली जू के सहयोग से बहुत कुछ सीखने को मिला." - समीना. बीएससी जूलॉजी छात्रा, एमिटी यूनिवर्सिटी नोएडा

लाइब्रेरी से भी मिलती है मददः दिल्ली जू में एक बेहद पुरानी लाइब्रेरी है. दिल्ली जू शुरू होने के साथ ही इस लाइब्रेरी को खोला गया था. इसमें 100 साल पुरानी किताबें हैं, जो आसानी से अन्य स्थानों पर नहीं मिल सकती हैं. ये सभी किताबें देश दुनिया के लेखकों की हैं. किताबें पर्यावरण, वनस्पति, पक्षियों व जानवरों पर हुई रिसर्च पर हैं. ऐसे में यहां रिसर्च या इंटर्नशिप के लिए आने वाले स्टूडेंट्स को इसका भी फायदा मिलता है.

"एमिटी यूनिवर्सिटी के 6 छात्रों ने अलग-अलग विषय पर रिसर्च किया. जू में बंदरों का मांसाहारी व शाकाहारी जानवरों व घूमने के लिए आने वाले लोगों के साथ व्यवहार पर रिसर्च किया था. शाकाहारी से लगाव ज्यादा था. मांशहारी जावरों से दूर रहते हैं. आगंतुकों के साथ खाने पीने वाली वस्तुएं छीनने के लिए अग्रेसिव स्थिति देखने को मिली. जू के सहयोग से बहुत कुछ सीखने को मिला." -अंश बेनीवाल, बीएसजी जूलॉजी छात्र, एमिटी यूनिवर्सिटी नोएडा

ये भी पढ़ें: एक महीने में एक बार Delhi Zoo घूमने के लिए कर सकते हैं टिकट बुक, जानिए- क्यों की गई ये व्यवस्था?

ये भी पढ़ें: विश्व हाथी दिवस: कभी दिल्ली जू में हाथियों की सवारी करते थे लोग, जानिए हाथियों से जुड़े रोचक किस्से

नई दिल्ली: जानवरों व पक्षियों पर रिसर्च करना वाले स्टूडेंट्स के लिए अच्छी खबर है. दिल्ली के नेशनल जूलॉजिकल पार्क में रिसर्च प्रोग्राम शुरू किया गया है. इसमें कोई फीस नहीं रखी गई है. 45 दिन से लेकर 2 साल तक रिसर्च कर सकते हैं. हाल में दिल्ली यूनिवर्सिटी, चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी, एमिटी यूनिवर्सिटी समेत अन्य शिक्षण संस्थानों के 10 छात्रों ने दिल्ली जू में विभिन्न विषयों पर रिसर्च किया.

1959 में बना दिल्ली का नेशनल जूलॉजिकल पार्क 176 एकड़ में फैला है. यहां पर 84 प्रजाति के पशु पक्षी संरक्षित किए गए हैं. इसमें विदेशी पशु-पक्षी शामिल हैं. इन्हें देखने के लिए रोजाना हजारों लोग आते हैं. दिल्ली जू के डायरेक्टर डॉ. संजीत कुमार ने बताया कि ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट छात्रों के लिए रिसर्च प्रोग्राम शुरू किया गया है. यदि कोई छात्र जानवरों व पक्षियों पर रिसर्च करना चाहते हैं तो वह https://nzpnewdelhi.gov.in/ वेबसाइट पर जाकर जानकारी लेकर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं.

इसके बाद उन्हें दिल्ली जू में डायरेक्टर ऑफिस में जाकर संपर्क करना होगा. इसके बाद उन्हें रिसर्च के की अनुमति मिलेगी. उनके रिसर्च के विषय के अनुसार दिल्ली जू के 10 सेक्सन में से संबंधित सेक्शन के इंचार्ज को जानकारी दी जाती है. सेक्शन इंचार्ज रिसर्च में पूरा सहयोग देते हैं. अभी पांच लोगों के आवेदन आ चुके हैं, जो जानवर, पक्षी व अन्य पर रिसर्च करने के इच्छुक हैं.

10 विद्यार्थियों ने की रिसर्चः दिल्ली जू के अधिकारियों के मुताबिक, हाल में 10 स्टूडेंट रिसर्च करने के लिए विभिन्न शैक्षिक संस्थानों से आए थे, जिन्होंने जानवरों, पक्षियों पर रिसर्च की. यूनिवर्सिटी से स्टूडेंटस को इंटर्नशिप या रिसर्च के लिए बोल देते हैं. कई स्टूडेंट विभिन्न जगहों पर पैसा देकर इंटर्नशिप या रिसर्च करते हैं, लेकिन दिल्ली जू में इसके लिए कोई फीस नहीं है. स्टूडेंट्स फ्री में रिसर्च कर सकते हैं. स्टूडेंट्स को कालेज या यूनिवर्सिटी से मिला पत्र जमा करना होता है.

"बंगाल टाइगर के व्यवहार और तनाव पर डेढ़ महीने की रिसर्च की. बंगाल टाइगर के दो बच्चे हैं, जिनमें मेल का नाम धैर्य और फीमेल का नाम धात्री है. जिसमें मेल ज्यादा एक्टिव रहता है और फीमेल कम एक्टिव रहती है. उन्हें खेलने के लिए खेलने के लिए वस्तुएं दी जाएं तो ज्यादा अच्छा होगा. वहीं इन दोनों बच्चों के फादर बंगाल टाइगर में तनाव रहित दिखाई दिया. रिसर्च में दिल्ली जू के सहयोग से बहुत कुछ सीखने को मिला." - समीना. बीएससी जूलॉजी छात्रा, एमिटी यूनिवर्सिटी नोएडा

लाइब्रेरी से भी मिलती है मददः दिल्ली जू में एक बेहद पुरानी लाइब्रेरी है. दिल्ली जू शुरू होने के साथ ही इस लाइब्रेरी को खोला गया था. इसमें 100 साल पुरानी किताबें हैं, जो आसानी से अन्य स्थानों पर नहीं मिल सकती हैं. ये सभी किताबें देश दुनिया के लेखकों की हैं. किताबें पर्यावरण, वनस्पति, पक्षियों व जानवरों पर हुई रिसर्च पर हैं. ऐसे में यहां रिसर्च या इंटर्नशिप के लिए आने वाले स्टूडेंट्स को इसका भी फायदा मिलता है.

"एमिटी यूनिवर्सिटी के 6 छात्रों ने अलग-अलग विषय पर रिसर्च किया. जू में बंदरों का मांसाहारी व शाकाहारी जानवरों व घूमने के लिए आने वाले लोगों के साथ व्यवहार पर रिसर्च किया था. शाकाहारी से लगाव ज्यादा था. मांशहारी जावरों से दूर रहते हैं. आगंतुकों के साथ खाने पीने वाली वस्तुएं छीनने के लिए अग्रेसिव स्थिति देखने को मिली. जू के सहयोग से बहुत कुछ सीखने को मिला." -अंश बेनीवाल, बीएसजी जूलॉजी छात्र, एमिटी यूनिवर्सिटी नोएडा

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Last Updated : Sep 4, 2024, 6:39 AM IST
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