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Delhi: दिल्ली के पटवारी ने प्रदूषणकारी निर्माण की अनुमति देने के लिए मांगी रिश्वत, CBI ने दर्ज किया मामला

पटवारी ने व्यक्ति से मांगी 15 हजार रुपये की रिश्वत. एक लाख रुपये का जुर्माना लगाने की दी थी धमकी. सीबीआई ने किया मामला दर्ज.

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By IANS

Published : 2 hours ago

पटवारी ने मांगी रिश्वत, CBI ने किया मामला दर्ज
पटवारी ने मांगी रिश्वत, CBI ने किया मामला दर्ज (ETV Bharat)

नई दिल्ली: रिश्वत के बदले प्रदूषणकारी निर्माण गतिविधियों की अनुमति देने का एक संदिग्ध रैकेट प्रकाश में आया है. सीबीआई ने दिल्ली राजस्व विभाग के एक पटवारी के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है, जिसने कथित तौर पर ओखला के पास शाहीन बाग के एक निवासी से प्रतिबंधित निर्माण कार्य करने के लिए रिश्वत मांगी थी.

लाजपत नगर में उप-विभागीय मजिस्ट्रेट कार्यालय में तैनात पटवारी अनिल चौधरी व नितिन नामक एक अन्य व्यक्ति को अन्य लोगों के साथ सीबीआई की एफआईआर में नामजद किया गया है. उन्होंने कथित तौर पर शाहीन बाग निवासी मुहम्मद वसीम से जुर्माने से बचने के लिए 15 हजार रुपये मांगे थे. उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय राजधानी में बढ़ते प्रदूषण के कारण सरकार ने फिलहाल निर्माण गतिविधियों पर रोक लगा रखी है.

दी जुर्माना लगाने की धमकी: संदिग्धों पर भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धाराओं और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया है. वसीम ने अपनी शिकायत में कहा कि खुद को पटवारी बताने वाला अनिल चौधरी उनके घर आया और प्रतिबंधों के बावजूद निर्माण कार्य करने पर एक लाख रुपये तक का जुर्माना लगाने की धमकी दी.

इस बात का था डर: शिकायतकर्ता ने कहा कि उसे एसडीएम कार्यालय बुलाया गया, जहां कमरा नंबर 109 में हुई बैठक के दौरान वह बातचीत करने में कामयाब हो गया और रिश्वत की रकम 25 हजार रुपये से घटाकर 15 हजार रुपये कर दी. शिकायत में आगे कहा गया कि बैठक के दौरान संदिग्धों ने मौखिक रूप से राशि का उल्लेख करने से परहेज किया और रिश्वत की राशि का आंकड़ा अपनी उंगली से मेज पर खींचना पसंद किया. इससे पता चलता है कि पटवारी और अन्य संदिग्धों को मुखबिर की सूचना दी गई थी या उन्हें संभावित जाल बिछाए जाने का डर था.

यह भी पढ़ें- रिश्वत लेते रंगेहाथ CBI ने दिल्ली पुलिस के इंस्पेक्टर और सब-इंस्पेक्टर को किया गिरफ्तार

रिपोर्ट में ये भी: वसीम की शिकायत की पुष्टि करने के बाद सीबीआई अधिकारी ने एक रिपोर्ट में कहा, 'शिकायतकर्ता पर जुर्माना न लगाने के लिए अनिल चौधरी और उनके सहयोगियों द्वारा रिश्वत की मांग की पुष्टि हुई है, इसलिए नियमित मामला दर्ज किया जा सकता है. साथ ही अन्य अज्ञात अधिकारियों के खिलाफ मूल अपराध दर्ज किया जा सकता है.'

यह भी पढ़ें- दिल्ली पुलिस का कांस्टेबल 50000 की रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार, वसंत कुंज थाने में था तैनात

नई दिल्ली: रिश्वत के बदले प्रदूषणकारी निर्माण गतिविधियों की अनुमति देने का एक संदिग्ध रैकेट प्रकाश में आया है. सीबीआई ने दिल्ली राजस्व विभाग के एक पटवारी के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है, जिसने कथित तौर पर ओखला के पास शाहीन बाग के एक निवासी से प्रतिबंधित निर्माण कार्य करने के लिए रिश्वत मांगी थी.

लाजपत नगर में उप-विभागीय मजिस्ट्रेट कार्यालय में तैनात पटवारी अनिल चौधरी व नितिन नामक एक अन्य व्यक्ति को अन्य लोगों के साथ सीबीआई की एफआईआर में नामजद किया गया है. उन्होंने कथित तौर पर शाहीन बाग निवासी मुहम्मद वसीम से जुर्माने से बचने के लिए 15 हजार रुपये मांगे थे. उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय राजधानी में बढ़ते प्रदूषण के कारण सरकार ने फिलहाल निर्माण गतिविधियों पर रोक लगा रखी है.

दी जुर्माना लगाने की धमकी: संदिग्धों पर भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धाराओं और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया है. वसीम ने अपनी शिकायत में कहा कि खुद को पटवारी बताने वाला अनिल चौधरी उनके घर आया और प्रतिबंधों के बावजूद निर्माण कार्य करने पर एक लाख रुपये तक का जुर्माना लगाने की धमकी दी.

इस बात का था डर: शिकायतकर्ता ने कहा कि उसे एसडीएम कार्यालय बुलाया गया, जहां कमरा नंबर 109 में हुई बैठक के दौरान वह बातचीत करने में कामयाब हो गया और रिश्वत की रकम 25 हजार रुपये से घटाकर 15 हजार रुपये कर दी. शिकायत में आगे कहा गया कि बैठक के दौरान संदिग्धों ने मौखिक रूप से राशि का उल्लेख करने से परहेज किया और रिश्वत की राशि का आंकड़ा अपनी उंगली से मेज पर खींचना पसंद किया. इससे पता चलता है कि पटवारी और अन्य संदिग्धों को मुखबिर की सूचना दी गई थी या उन्हें संभावित जाल बिछाए जाने का डर था.

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रिपोर्ट में ये भी: वसीम की शिकायत की पुष्टि करने के बाद सीबीआई अधिकारी ने एक रिपोर्ट में कहा, 'शिकायतकर्ता पर जुर्माना न लगाने के लिए अनिल चौधरी और उनके सहयोगियों द्वारा रिश्वत की मांग की पुष्टि हुई है, इसलिए नियमित मामला दर्ज किया जा सकता है. साथ ही अन्य अज्ञात अधिकारियों के खिलाफ मूल अपराध दर्ज किया जा सकता है.'

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