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सिसोदिया की जमानत याचिका खारिज, कोर्ट ने कहा- यह मामला सत्ता के गंभीर दुरुपयोग का है - Sisodia bail plea rejected

दिल्ली शराब घोटाले में जेल में बंद आम आदमी पार्टी के नेता मनीष सिसोदिया को बड़ा झटका लगा है. दिल्ली हाईकोर्ट ने ED और CBI दोनों मामलों में उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी. जस्टिस स्वर्ण कांता शर्मा की सिंगल बेंच ने ये फैसला सुनाया है.

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मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका खारिज (File Photo)
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : May 21, 2024, 7:34 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली आबकारी नीति घोटाला के ईडी और सीबीआई से जुड़े मामलों में पूर्व उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका खारिज कर दी. जस्टिस स्वर्णकांता शर्मा की बेंच ने जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा कि सिसोदिया की याचिका केवल इस आधार पर दायर की गई है कि ट्रायल में देरी की गई है. अभियोजन की तरफ से ट्रायल में कोई देरी नहीं की जा रही है, बल्कि आरोपियों की ओर से कई याचिकाएं दायर की गई. इसकी वजह से देरी हो रही है. साथ ही हाईकोर्ट ने मनीष सिसोदिया को अपनी पत्नी से हफ्ते में एक बार मिलने की अनुमति दे दी है.

कोर्ट ने यह भी कहा कि यह केस शक्तियों के दुरुपयोग और जनता के भरोसे को तोड़ने वाला है. सिसोदिया के पास आबकारी विभाग के साथ कुल 18 विभाग थे. आबकारी नीति बनाई गई, जिसमें प्री ड्राफ्टेड ईमेल भेजे गए. आबकारी नीति का उद्देश्य ऐसी नीति बनाना था, जो कुछ लोगों के लिए फायदेमंद हो और रिश्वत भी आ सके. यह मामला सत्ता के गंभीर दुरुपयोग का है.

इससे पहले हाईकोर्ट ने 14 मई को फैसला सुरक्षित रख लिया था. सुनवाई के दौरान ईडी की ओर से पेश वकील जोहेब हुसैन ने कहा था कि इस मामले के ट्रायल में आरोपियों की वजह से देरी हो रही है. उन्होंने कहा था कि एक आरोपी ने ट्रायल कोर्ट में याचिका दायर कहा कि 1700 पेजों के चार्जशीट में से उन्होंने 1600 पेजों का परीक्षण नहीं किया है. वो आरोपी आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता है. ट्रायल कोर्ट ने एक आरोपी के घर के खाना की मांग पर भी सुनवाई की.

ये भी पढ़ें : स्वाति मालीवाल से बात के बाद LG बोले- केजरीवाल का यूटर्न लेना हैरान करने वाला, AAP ने दिया जवाब

सिसोदिया की ओर से जमानत की मांग करते हुए दलील दी गई थी कि अभी भी इस मामले में ईडी और सीबीआई की जांच जारी है. सिसोदिया की ओर से वरिष्ठ वकील दायन कृष्णन ने कहा था कि इस मामले में अभी भी गिरफ्तारी जारी है. सुनवाई के दौरान दायन कृष्णन ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का जिक्र किया था और कहा था कि सीबीआई ने इस मामले में एक मुख्य चार्जशीट और दो पूरक चार्जशीट दाखिल किया है. ईडी ने एक मुख्य चार्जशीट और छह पूरक चार्जशीट दाखिल किया है. दोनों मामलों में अभी जांच जारी है. इस मामले में अभी गिरफ्तारी भी जारी है. सबसे ताजा गिरफ्तारी 3 मई को की गई है.

उन्होंने कहा था कि एक आरोपी के खिलाफ तो अभी आरोप भी तय नहीं किए गए हैं. ट्रायल कोर्ट ने सिसोदिया की जमानत अर्जी पर सुनवाई के दौरान इस पहलू पर गौर नहीं किया. उन्होंने कहा कि ट्रायल शुरु करने की दिशा में शून्य काम हुआ है. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक मनीष सिसोदिया को जमानत दी जानी चाहिए.

बता दें, 30 अप्रैल को राऊज एवेन्यू कोर्ट ने सीबीआई और ईडी की ओर से दर्ज केस में सिसोदिया की जमानत अर्जी को खारिज कर दिया था. इसी आदेश को सिसोदिया ने दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी है. इस मामले के सह-आरोपी और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट ने 10 मई को अंतरिम जमानत दी थी. उसके पहले सुप्रीम कोर्ट आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह को भी जमानत दे चुका है.

31 मई तक बढ़ी सिसोदिया की न्यायिक हिरासतः वहीं, राऊज एवेन्यू कोर्ट ने सिसोदिया की न्यायिक हिरासत मंगलवार को 31 मई तक बढ़ा दी. विशेष न्यायाधीश कावेरी बावेजा ने पहले दी गई न्यायिक हिरासत की अवधि समाप्त होने के बाद सिसोदिया की हिरासत बढ़ा दी.

ये भी पढ़ें : भाजपा पर बरसे अरविंद केजरीवाल, कहा- क्या दिल्ली और पंजाब के लोग पाकिस्तानी हैं ?

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली आबकारी नीति घोटाला के ईडी और सीबीआई से जुड़े मामलों में पूर्व उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका खारिज कर दी. जस्टिस स्वर्णकांता शर्मा की बेंच ने जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा कि सिसोदिया की याचिका केवल इस आधार पर दायर की गई है कि ट्रायल में देरी की गई है. अभियोजन की तरफ से ट्रायल में कोई देरी नहीं की जा रही है, बल्कि आरोपियों की ओर से कई याचिकाएं दायर की गई. इसकी वजह से देरी हो रही है. साथ ही हाईकोर्ट ने मनीष सिसोदिया को अपनी पत्नी से हफ्ते में एक बार मिलने की अनुमति दे दी है.

कोर्ट ने यह भी कहा कि यह केस शक्तियों के दुरुपयोग और जनता के भरोसे को तोड़ने वाला है. सिसोदिया के पास आबकारी विभाग के साथ कुल 18 विभाग थे. आबकारी नीति बनाई गई, जिसमें प्री ड्राफ्टेड ईमेल भेजे गए. आबकारी नीति का उद्देश्य ऐसी नीति बनाना था, जो कुछ लोगों के लिए फायदेमंद हो और रिश्वत भी आ सके. यह मामला सत्ता के गंभीर दुरुपयोग का है.

इससे पहले हाईकोर्ट ने 14 मई को फैसला सुरक्षित रख लिया था. सुनवाई के दौरान ईडी की ओर से पेश वकील जोहेब हुसैन ने कहा था कि इस मामले के ट्रायल में आरोपियों की वजह से देरी हो रही है. उन्होंने कहा था कि एक आरोपी ने ट्रायल कोर्ट में याचिका दायर कहा कि 1700 पेजों के चार्जशीट में से उन्होंने 1600 पेजों का परीक्षण नहीं किया है. वो आरोपी आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता है. ट्रायल कोर्ट ने एक आरोपी के घर के खाना की मांग पर भी सुनवाई की.

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सिसोदिया की ओर से जमानत की मांग करते हुए दलील दी गई थी कि अभी भी इस मामले में ईडी और सीबीआई की जांच जारी है. सिसोदिया की ओर से वरिष्ठ वकील दायन कृष्णन ने कहा था कि इस मामले में अभी भी गिरफ्तारी जारी है. सुनवाई के दौरान दायन कृष्णन ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का जिक्र किया था और कहा था कि सीबीआई ने इस मामले में एक मुख्य चार्जशीट और दो पूरक चार्जशीट दाखिल किया है. ईडी ने एक मुख्य चार्जशीट और छह पूरक चार्जशीट दाखिल किया है. दोनों मामलों में अभी जांच जारी है. इस मामले में अभी गिरफ्तारी भी जारी है. सबसे ताजा गिरफ्तारी 3 मई को की गई है.

उन्होंने कहा था कि एक आरोपी के खिलाफ तो अभी आरोप भी तय नहीं किए गए हैं. ट्रायल कोर्ट ने सिसोदिया की जमानत अर्जी पर सुनवाई के दौरान इस पहलू पर गौर नहीं किया. उन्होंने कहा कि ट्रायल शुरु करने की दिशा में शून्य काम हुआ है. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक मनीष सिसोदिया को जमानत दी जानी चाहिए.

बता दें, 30 अप्रैल को राऊज एवेन्यू कोर्ट ने सीबीआई और ईडी की ओर से दर्ज केस में सिसोदिया की जमानत अर्जी को खारिज कर दिया था. इसी आदेश को सिसोदिया ने दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी है. इस मामले के सह-आरोपी और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट ने 10 मई को अंतरिम जमानत दी थी. उसके पहले सुप्रीम कोर्ट आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह को भी जमानत दे चुका है.

31 मई तक बढ़ी सिसोदिया की न्यायिक हिरासतः वहीं, राऊज एवेन्यू कोर्ट ने सिसोदिया की न्यायिक हिरासत मंगलवार को 31 मई तक बढ़ा दी. विशेष न्यायाधीश कावेरी बावेजा ने पहले दी गई न्यायिक हिरासत की अवधि समाप्त होने के बाद सिसोदिया की हिरासत बढ़ा दी.

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