नई दिल्लीः दिल्ली हाईकोर्ट ने पत्रकार और फैक्टचेकर मोहम्मद जुबैर के खिलाफ अगस्त 2020 में आपत्तिजनक ट्वीट करनेवाले जगदीश सिंह को एक्स (ट्विटर) पर माफी मांगने का आदेश दिया है. जस्टिस अनूप जयराम भांभानी की बेंच ने जगदीश को निर्देश दिया कि वो ये माफीनामा अपने एक्स हैंडल पर कम से कम दो महीने तक रखेगा.
दरअसल, जगदीश सिंह ने मोहम्मद जुबैर के बारे में एक्स पर पोस्ट किया था कि एक जेहादी हमेशा ही जेहादी रहता है. हाईकोर्ट ने कहा कि जगदीश सिंह अपने माफीनामे में इस पोस्ट को रेफर करेगा. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सिंह के दूसरे ट्वीट पर गौर करते हुए कहा कि ऐसे लोगों को सोशल मीडिया पर होना ही नहीं चाहिए. कोर्ट ने मोहम्मद जुबैर को भी निर्देश दिया कि वे जगदीश के माफीनामे को कभी भी रिट्वीट नहीं करेंगे और ना ही उसका इस्तेमाल उसके खिलाफ किसी केस में करेंगे.
इसके पहले की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस को इस बात के लिए फटकार लगाई है कि जुबैर के खिलाफ अगस्त 2020 में आपत्तिजनक ट्वीट करनेवालों के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की गई. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से कहा था कि आपने मोहम्मद जुबैर के खिलाफ सभी कार्रवाई की, लेकिन अब कह रहे हैं कि जुबैर के खिलाफ कोई मामला नहीं बनता है, क्योंकि कोई साक्ष्य नहीं है. जुबैर के खिलाफ जिसने आपत्तिजनक ट्वीट किया उसके खिलाफ क्या कार्रवाई की गई? हाईकोर्ट ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि हेट स्पीच के मामले पर पुलिस स्वत: कार्रवाई करे. तब दिल्ली पुलिस ने कहा कि वो सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों का पालन करेगी.
क्या है मामलाः मामला अगस्त 2020 के एक ट्वीट से जुड़ा है. इस ट्वीट में जुबैर ने एक युजर के प्रोफाइल पिक्चर को शेयर किया था और पूछा था कि क्या उसे अभद्र भाषा में बात करना ठीक है. प्रोफाइल पिक्चर में युजर की पोती का फोटो लगा था. जुबैर ने अपने जवाबी ट्वीट में युजर के प्रोफाइल पिक्चर में युजर की पोती के फोटो को धुंधला कर दिया था. जुबैर ने अपने जवाबी ट्वीट में कहा था कि ‘ हेलोxxx, क्या आपकी क्युट पोती ये जानती है कि आपका पार्ट टाइम जॉब लोगों को सोशल मीडिया पर गाली देना है. मैं आपको सलाह देता हूं कि आप अपना प्रोफाइल पिक्चर बदल लें.‘ इसके बाद संबंधित युजर ने जुबैर के खिलाफ कई शिकायतें दर्ज कराई. युजर ने आरोप लगाया कि जुबैर ने उसकी पोती के खिलाफ साइबर यौन उत्पीड़न किया है.
दिल्ली में दर्ज एफआईआर में जुबैर के खिलाफ पॉक्सो एक्ट के अलावा भारतीय दंड संहिता की धारा 509(बी) और आईटी एक्ट की धारा 67 और 67ए के तहत आरोप लगाए गए. इस मामले में दिल्ली पुलिस ने मई 2022 में कोर्ट से कहा था कि जुबैर के खिलाफ कोई संज्ञेय अपराध नहीं बनता है. हालांकि, राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग ने कोर्ट से कहा कि पुलिस ने अपने स्टेटस रिपोर्ट में उससे कहा था कि जुबैर जांच में सहयोग नहीं कर रहा है. हाईकोर्ट ने इस मामले में 9 सितंबर 2020 को जुबैर की गिरफ्तारी पर अंतरिम रोक लगाया था.
यह भी पढ़ेंः दिल्ली पुलिस ने हाईकोर्ट को बताया- मो. जुबैर के खिलाफ आपत्तिजनक ट्वीट पर यूजर के खिलाफ कोई मामला नहीं है