ETV Bharat / state

भलस्वा से सभी डेयरियों को घोघा डेयरी कॉलोनी में चार हफ्ते के अंदर शिफ्ट करने का आदेश - Bhalswa Dairy Case

भलस्वा डेयरी मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को अहम फैसला सुनाया. कोर्ट ने 4 सप्ताह के अंदर भलस्वा से सभी डेयरियों को घोघा डेयरी कॉलोनी में शिफ्ट करने का आदेश दिया है.

author img

By ETV Bharat Delhi Team

Published : Jul 24, 2024, 9:16 PM IST

दिल्ली हाईकोर्ट का अहम फैसला.
दिल्ली हाईकोर्ट का अहम फैसला. (फाइल फोटो)

नई दिल्लीः दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को भलस्वा से सभी डेयरियों को घोघा डेयरी कॉलोनी में चार हफ्ते के अंदर शिफ्ट करने का आदेश दिया. कार्यकारी चीफ जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंच ने दिल्ली नगर निगम, दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड, दिल्ली सरकार और केंद्रीय आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय को निर्देश दिया कि वे इस संबंध में तेजी से कदम उठाएं.

हाईकोर्ट ने कहा कि इन कॉलोनियों में डेयरी प्लाट के आवंटियों ने प्लाट का इस्तेमाल व्यवसायिक और आवासीय उपयोग के लिए करना शुरू कर दिया है. ऐसा बिना किसी कानूनी अनुमति के किया गया है. इन प्लाट पर जो निर्माण हुए हैं वो भी बिना अनुमति के किए गए हैं. हाईकोर्ट ने 5 दिसंबर 1976 को डेयरियों के लिए डीडीए की ओर से प्लाट के आवंटन की शर्तों पर गौर करते हुए पाया कि ये प्लाट केवल जानवरों के शेड के इस्तेमाल के लिए आवंटित की गई थीं. आवंटन की शर्तों में ये साफ कहा गया था कि इन प्लाट को आवासीय इकाई नहीं बनाया जाएगा.

घोघा कॉलोनी में है बेकार जमीनः दिल्ली हाईकोर्ट ने इस बात पर भी गौर किया कि दिल्ली नगर निगम और दिल्ली सरकार भलस्वा और गाजीपुर डेयरियों के दुधारू पशुओं को पास के लैंडफिल साइट से कूड़ा खाने से रोकने में नाकाम रही हैं. सुनवाई के दौरान केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय की ओर से कहा गया कि भलस्वा डेयरी को शिफ्ट करने के लिए 30 एकड़ भूमि की जरूरत है. जबकि, घोघा डेयरी कॉलोनी में करीब 83 एकड़ भूमि बेकार पड़ी हुई है.

खतरनाक कचरा खा लेते हैं पशुः इससे पहले 3 मई को सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने कहा था कि गाजीपुर और भलस्वा डेयरी को बड़े लैंडफिल साइट पर शिफ्ट करने की जरूरत है. इन लैंडफिल साइट पर पशु खतरनाक कचरा खा लेते हैं. इन पशुओं का दूध अगर कोई पी ले तो उसके स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ सकता है. कोर्ट ने साफ किया कि लैंडफिल साइट के पास बने डेयरियों के पशु निश्चित तौर पर खतरनाक कचरा खाएंगे और वे आम लोगों खासकर बच्चों के लिए नुकसानदेह साबित होंगे. इसलिए इन डेयरियों को शिफ्ट कराने की जरूरत है.

पहले के आदेश पर नहीं हुई कार्रवाईः याचिका सुनयना सिब्बल, अशर जेसुदौस और अक्षिता कुकरेजा ने दायर किया है. इसमें कहा गया है कि लैंडफिल साइट के पास बनी डेयरियां कानून का खुला उल्लंघन कर रही हैं. इन डेयरियों में पशुओं के साथ क्रूरता बरती जाती है और जानवरों की अधिकता इतनी ज्यादा है कि कई बार जानवरी मल पर ही लेटी रहती हैं. इससे मच्छर पैदा होते हैं.

याचिका में कहा गया है कि इसके पहले हाईकोर्ट ने इन डेयरियों को दिल्ली के नगर निगम के इलाकों से बाहर शिफ्ट करने का आदेश दिया था, लेकिन इस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई. सुनवाई के दौरान कमिश्नर गौरी पुरी ने कोर्ट को बताया था कि इन डेयरियों में पशुओं को ऑक्सीटोसिन की खुराक धड़ल्ले से दी जाती है ताकि दूध ज्यादा निकाला जा सके.

नई दिल्लीः दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को भलस्वा से सभी डेयरियों को घोघा डेयरी कॉलोनी में चार हफ्ते के अंदर शिफ्ट करने का आदेश दिया. कार्यकारी चीफ जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंच ने दिल्ली नगर निगम, दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड, दिल्ली सरकार और केंद्रीय आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय को निर्देश दिया कि वे इस संबंध में तेजी से कदम उठाएं.

हाईकोर्ट ने कहा कि इन कॉलोनियों में डेयरी प्लाट के आवंटियों ने प्लाट का इस्तेमाल व्यवसायिक और आवासीय उपयोग के लिए करना शुरू कर दिया है. ऐसा बिना किसी कानूनी अनुमति के किया गया है. इन प्लाट पर जो निर्माण हुए हैं वो भी बिना अनुमति के किए गए हैं. हाईकोर्ट ने 5 दिसंबर 1976 को डेयरियों के लिए डीडीए की ओर से प्लाट के आवंटन की शर्तों पर गौर करते हुए पाया कि ये प्लाट केवल जानवरों के शेड के इस्तेमाल के लिए आवंटित की गई थीं. आवंटन की शर्तों में ये साफ कहा गया था कि इन प्लाट को आवासीय इकाई नहीं बनाया जाएगा.

घोघा कॉलोनी में है बेकार जमीनः दिल्ली हाईकोर्ट ने इस बात पर भी गौर किया कि दिल्ली नगर निगम और दिल्ली सरकार भलस्वा और गाजीपुर डेयरियों के दुधारू पशुओं को पास के लैंडफिल साइट से कूड़ा खाने से रोकने में नाकाम रही हैं. सुनवाई के दौरान केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय की ओर से कहा गया कि भलस्वा डेयरी को शिफ्ट करने के लिए 30 एकड़ भूमि की जरूरत है. जबकि, घोघा डेयरी कॉलोनी में करीब 83 एकड़ भूमि बेकार पड़ी हुई है.

खतरनाक कचरा खा लेते हैं पशुः इससे पहले 3 मई को सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने कहा था कि गाजीपुर और भलस्वा डेयरी को बड़े लैंडफिल साइट पर शिफ्ट करने की जरूरत है. इन लैंडफिल साइट पर पशु खतरनाक कचरा खा लेते हैं. इन पशुओं का दूध अगर कोई पी ले तो उसके स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ सकता है. कोर्ट ने साफ किया कि लैंडफिल साइट के पास बने डेयरियों के पशु निश्चित तौर पर खतरनाक कचरा खाएंगे और वे आम लोगों खासकर बच्चों के लिए नुकसानदेह साबित होंगे. इसलिए इन डेयरियों को शिफ्ट कराने की जरूरत है.

पहले के आदेश पर नहीं हुई कार्रवाईः याचिका सुनयना सिब्बल, अशर जेसुदौस और अक्षिता कुकरेजा ने दायर किया है. इसमें कहा गया है कि लैंडफिल साइट के पास बनी डेयरियां कानून का खुला उल्लंघन कर रही हैं. इन डेयरियों में पशुओं के साथ क्रूरता बरती जाती है और जानवरों की अधिकता इतनी ज्यादा है कि कई बार जानवरी मल पर ही लेटी रहती हैं. इससे मच्छर पैदा होते हैं.

याचिका में कहा गया है कि इसके पहले हाईकोर्ट ने इन डेयरियों को दिल्ली के नगर निगम के इलाकों से बाहर शिफ्ट करने का आदेश दिया था, लेकिन इस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई. सुनवाई के दौरान कमिश्नर गौरी पुरी ने कोर्ट को बताया था कि इन डेयरियों में पशुओं को ऑक्सीटोसिन की खुराक धड़ल्ले से दी जाती है ताकि दूध ज्यादा निकाला जा सके.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.