नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को पूर्व केंद्रीय मंत्री एमजे अकबर द्वारा दायर एक याचिका को स्वीकार कर लिया, जिसमें ट्रायल कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली उनकी अपील पर जल्द सुनवाई की मांग की गई थी. इसमें पत्रकार प्रिया रमानी को यौन उत्पीड़न के आरोपों पर उनके द्वारा दायर आपराधिक मानहानि मामले में बरी कर दिया गया था. जस्टिस ज्योति सिंह की बेंच ने इस मामले पर 26 अप्रैल को सुनवाई करने का आदेश दिया है.
एमजे अकबर ने याचिका दायर कर इस मामले की जल्द सुनवाई की मांग की थी. उनकी ओर से वरिष्ठ वकील राजीव नय्यर ने कहा कि 13 जनवरी 2022 को हाईकोर्ट ने इस मामले की सुनवाई टाली थी, लेकिन सुनवाई की तिथि तय नहीं की थी. दो साल के बाद भी इस मामले की सुनवाई अभी तक नहीं हुई है. उन्होंने कहा कि एमजे अकबर एक वरिष्ठ पत्रकार और वरिष्ठ नागरिक हैं.
बता दें, 11 अगस्त 2021 को कोर्ट ने प्रिया रमानी को नोटिस जारी किया था. 17 फरवरी 2021 को राऊज एवेन्यू कोर्ट ने एमजे अकबर के मानहानि के केस को खारिज करते हुए प्रिया रमानी को बरी कर दिया था. एडिशनल मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट ने प्रिया रमानी को बरी करते हुए कहा था कि किसी महिला को दशकों के बाद भी अपनी शिकायत रखने का हक है.
- यह भी पढ़ें- शब-ए- बारात पर अखूंदजी मस्जिद में नहीं पढ़ी जा सकेगी नमाज, दिल्ली हाईकोर्ट से नहीं मिली अनुमति
ट्रायल कोर्ट ने कहा था कि यौन प्रताड़ना किसी की गरिमा और स्वाभिमान को चोट पहुंचाते हैं. छवि का अधिकार गरिमा के अधिकार की रक्षा नहीं कर सकता है. कोर्ट ने कहा था कि किसी महिला को दशकों के बाद भी अपनी शिकायत रखने का हक है. कोर्ट ने पौराणिक उल्लेख करते हुए कहा था कि सीता की रक्षा में जटायु आए थे. कोर्ट ने फैसले में महाभारत का भी जिक्र किया है. कोर्ट ने कहा था कि भारत में महिलाओं को बराबरी मिलनी चाहिए. संसद ने महिलाओं की रक्षा के लिए कई कानून बनाए हैं.