नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि जब तक सार्वजनिक संपत्ति साफ नहीं हो जाती तब तक दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ के लिए हुए चुनाव की मतगणना की इजाजत नहीं दी जा सकती है. चीफ जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंच ने छात्र नेताओं से कहा कि हम नतीजे रोक कर रखना नहीं चाहते हैं. आप सार्वजनिक संपत्ति को साफ कर दें, फिर से पेंट करा दें. हम अगले दिन काउंटिंग करा देंगे. मामले की अगली सुनवाई 21 अक्टूबर को होगी.
सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने कहा कि दिल्ली यूनिवर्सिटी छात्रसंघ चुनाव में मुफ्त खाना बांटा जा रहा था, ऐसा हमने आम चुनाव में भी नहीं देखा. छात्र संघ चुनाव में आम चुनाव से भी ज़्यादा पैसा खर्च हुआ. यह लोकतंत्र का उत्सव है, यह मनी लॉड्रिंग का उत्सव नहीं है. बता दें, 26 सितंबर को हाईकोर्ट ने मतगणना पर रोक लगा दिया था.
हालांकि, हाईकोर्ट ने 27 सितंबर को छात्र संघ चुनाव कराने की इजाजत दे दी थी. हाईकोर्ट ने दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ के चुनाव प्रचार के दौरान सार्वजनिक संपत्ति को गंदा किए जाने पर दिल्ली यूनिवर्सिटी को फटकार लगाई थी. हाईकोर्ट ने दिल्ली यूनिवर्सिटी और सभी कॉलेज प्रशासन को निर्देश दिया था कि वे मतदान के बाद ईवीएम और बैलेट बॉक्स को अगले आदेश तक सुरक्षित और संरक्षित रखें. हाईकोर्ट ने कहा था कि जितनी भी सार्वजनिक संपत्ति को गंदा किया गया है, उसकी सफाई में आने वाली लागत की भरपाई दिल्ली यूनिवर्सिटी को करनी होगी.
यूनिवर्सिटी को उम्मीदवारों से पैसे की भारपाई का सुझाव: हाईकोर्ट ने कहा कि दिल्ली यूनिवर्सिटी बाद में इस पैसे की भरपाई चुनाव लड़ने वाले उन उम्मीदवारों से कर सकती है, जिन्होंने उक्त अपराध किया है. सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने पूछा था कि क्या कोई रिकॉर्ड है कि चुनाव में कितना पैसा इस्तेमाल किया जा रहा है. हाईकोर्ट ने कहा था कि पोस्टर दीवारों और सड़कों पर लगाए जा रहे हैं. इस तरह से पैसा को बर्बाद नहीं होने देना चाहिए. आपको इसके लिए सख्त एक्शन लेना चाहिए. हाईकोर्ट ने कहा था कि जिन उम्मीदवारों के नाम के पोस्टर लगे हैं. उन पोस्टरों को हटाने के पैसे उनसे ही वसूले जाएं. यह चुनाव कोई अकेले नहीं लड़ रहा है बल्कि चुनाव में संगठन शामिल हैं. आप अपने आप इतना असहाय महसूस मत करिए.
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