नई दिल्ली: दक्षिणी दिल्ली के छतरपुर और सतबरी ईलाके के वन्य क्षेत्र में सैकड़ों पेड़ काटे जाने के मामले में दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव नरेश कुमार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दिया है. जिसमें कहा गया है कि उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने 2 फरवरी को साइट का दौरा किया था, जिसके बाद निर्माण कार्य में तेजी आई थी. हलफनामे में कहा गया है कि पेड़ों को काटने संबंधित कोई आदेश एलजी ने नहीं दिया था. परियोजनाओं को तेजी से पूरा करने के लिए उच्च अधिकारियों द्वारा इस तरह के दौरे को ऐसे कार्यों की अपेक्षा के लिए वैधानिक प्रावधानों को बायपास करने के निर्देश के रूप में नहीं माना जा सकता है.
मुख्य सचिव ने हलफनामे में कहा है कि उपराज्यपाल के दौरे के दौरान दक्षिणी रिज में पेड़ों की कटाई के लिए शीर्ष कोर्ट की अनुमति प्राप्त करने की आवश्यकता के बारे में "बताया" नहीं गया था. नरेश कुमार ने अदालत के समक्ष जो नया हलफनामा प्रस्तुत किया है वह सतबरी में पेड़ों की अवैध कटाई के लिए उपराज्यपाल वीके सक्सेना की अध्यक्षता वाले दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) के खिलाफ अवमानना याचिका पर सुनवाई कर रहा है.
12 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने दिया था आदेश
गत 12 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने मुख्य सचिव को यह बताने का निर्देश दिया था कि उस ईलाके में निर्माणाधीन साइट पर उपराज्यपाल के दौरे के बाद क्या हुआ था. अदालत ने अपने अंतिम आदेश में कहा कि उसे इस बात की जांच करने में कोई दिलचस्पी नहीं है कि अदालत की अनुमति के अभाव में एलजी ने इस परियोजना को कैसे आगे बढ़ाया, लेकिन यह जानना चाहा कि क्या यह बात उनके साथ आए किसी अधिकारी द्वारा उनकी जानकारी में लाई गई थी. इस पर मुख्य सचिव नरेश कुमार ने कहा कि उनकी जानकारी के अनुसार, साइट पर मौजूद किसी भी अधिकारी ने इस अदालत द्वारा पारित आदेशों और वन अधिकारी की अनुमति प्राप्त करने की आवश्यकता के बारे में एलजी के संज्ञान में नहीं लाया है. इससे पहले जुलाई में ही सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर अफसोस जताया था कि पेड़ों को अवैध रूप से हटाने पर लगातार एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप चल रहा है.
बता दें कि दिल्ली की रहने वाली बिंदू कपूरिया द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दायर अवमानना याचिका में आरोप लगाया गया है कि सुप्रीम कोर्ट की अनुमति के बिना रिज में लगभग 1,100 पेड़ काट दिए गए, जैसा कि मई 1996 के एमसी मेहता मामले में निर्देशों के तहत आवश्यक था, जो रिज को अतिक्रमणों से बचाता है. छतरपुर से सार्क विश्वविद्यालय और मैदान गढ़ी और सतबरी इलाकों में अन्य प्रतिष्ठानों तक 10 किमी लंबी सड़क के निर्माण के लिए बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई की गई थी. मुख्य सचिव ने अदालत को बताया कि एलजी ने सभी अधिकारियों को परियोजना को तेजी से पूरा करने के निर्देश जारी किए हैं. हालाँकि, उन्होंने कहा, "परियोजनाओं को तेजी से पूरा करने के लिए ऐसे दौरों के दौरान उच्च अधिकारियों द्वारा दिए गए निर्देशों को ऐसे कार्यों में तेजी लाने के लिए वैधानिक प्रावधानों की अनदेखी करने की दिशा के रूप में नहीं माना जा सकता है.
दिल्ली सरकार ने उपराज्यपाल पर लगाया था गंभीर आरोप
इस मामले में बीती 9 जुलाई को डीडीए ने छत्तरपुर के रिज क्षेत्र में 1100 पेड़ों को काटने के मामले में दिल्ली सरकार के मंत्रियों ने उपराज्यपाल पर बड़ा आरोप लगाया था. दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय के निर्देश पर इस मामले की जांच के लिए गठित फैक्ट फाइंडिंग कमेटी में शामिल मंत्री सौरभ भारद्वाज, आतिशी ने मंगलवार को मौके पर जाकर जायजा लिया था. मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा था कि छतरपुर जंगल में फॉर्म हाउस वालों को फायदा पहुंचाने के लिए किया गया है. डीडीए यहां जंगल काटकर सड़क बना रहा है. इसी सड़क के दूसरी तरफ़ फार्महाउस हैं, उनकी जमीन को लेकर भी सड़क चौड़ी की जा सकती थी लेकिन डीडीए ने गैरकानूनी ढंग से जंगल काट दिए.