नई दिल्ली: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के जेल जाने से राजधानी में उत्पन्न हालात को लेकर बीजेपी विधायक आज शुक्रवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात करेंगे. दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता के नेतृत्व में बीजेपी विधायक मुख्यमंत्री के जेल में होने के कारण उत्पन्न संवैधानिक संकट के विषय में शुक्रवार शाम 5 बजे राष्ट्रपति से भेंट कर उन्हें ज्ञापन देंगे.
प्रतिनिधिमंडल में नेता प्रतिपक्ष विजेन्द्र गुप्ता के साथ बीजेपी विधायक मोहन सिंह बिष्ट, ओम प्रकाश शर्मा, अजय महावर, अभय वर्मा, अनिल वाजपेई, जितेंद्र महाजन, आम आदमी पार्टी छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए करतार सिंह तंवर एवं दिल्ली के पूर्व मंत्री राजकुमार आनंद शामिल रहेंगे. विजेंद्र गुप्ता के अनुसार, सभी विधायकों की तरफ से मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के जेल में होने के कारण दिल्ली पर छाए संवैधानिक संकट पर अपना ज्ञापन सौपेंगे. इसके अलावा छठे दिल्ली वित्त आयोग का गठन न होने और CAG रिपोर्ट को सदन में न रखे जाने जैसे मुद्दों को भी प्रमुखता से बताएंगे.
दिल्ली की जनता भारी संकट से जूझ रही हैः विजेन्द्र गुप्ता ने कहा कि केजरीवाल सरकार भ्रष्टाचार में डूबी है. राजधानी में प्रशासनिक व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है और मानसून की बारिश से दिल्ली में बाढ़ जैसी स्थिति बनी हुई है. इसके चलते दिल्ली की जनता भारी संकट से जूझ रही है. आए दिन हो रहे हादसों को रोक पाने में सरकार पूरी तरह से विफल है.
नेता प्रतिपक्ष ने बताया कि दिल्ली जल बोर्ड में भारी वित्तीय अनियमितताओं की सच्चाई को छिपाने के प्रयास के लिए दिल्ली सरकार पर आरोप लगाया है. दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए उन्होंने बताया कि दिल्ली सरकार में व्याप्त भ्रष्टाचार के कारण, दिल्ली जल बोर्ड की 2021-22 और 2022-23 की बैलेंस शीट तैयार नहीं की गई है, जिसके कारण CAG द्वारा ऑडिट नहीं किया जा सका है.
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'28,400 करोड़ रुपये का जल बोर्ड ने क्या किया?': नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि 2015-16 से अब तक दिल्ली जल बोर्ड को 28,400 करोड़ रुपये दिए गए हैं, लेकिन किसी को भी नहीं पता कि इतनी बड़ी राशि कहां और किन उद्देश्यों के लिए उपयोग की गई है. दिल्ली सरकार को दिल्ली जल बोर्ड द्वारा 73,000 करोड़ रुपये के ऋण को चुकाने में असमर्थता के बारे में नियमित रूप से सूचित किया जाता रहा, लेकिन सरकार हमेशा निष्क्रिय बनी रही और इस ऋण को चुकाने या कम करने के लिए कोई प्रभावी कदम नहीं उठाए.
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