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प्रदूषण से गले में खराश नाक में जलन, दिल्ली एनसीआर में 41 प्रतिशत बढ़े मरीज - AIR POLLUTION DAMAGING HEALTH

दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण गंभीर स्तर पर, आंख, कान, गले और नाक की समस्याओं में इजाफा, EXPERTS से जानिए काली हवा से बचने के तरीके

प्रदूषण से आंख,कान, गले और नाक की समस्याओं में इजाफा
प्रदूषण से आंख,कान, गले और नाक की समस्याओं में इजाफा (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : 6 hours ago

नई दिल्ली: दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण गंभीर स्तर तक पहुंच चुका है. यह स्थिति एक महीने से जारी है, हालांकि बीच में कुछ सुधार देखने को मिला, लेकिन अब एक बार फिर से एक्यूआई ने लोगों की चिंताओं को बढ़ा दिया है. प्रदूषण का प्रभाव कान, नाक और गले पर भी नकारात्मक रूप से पड़ता है. हाल ही में इस मुद्दे पर दिल्ली में एक सर्वेक्षण कराया गया, जिसमें चौंकाने वाले निष्कर्ष सामने आए हैं.

आंखों से संबंधित समस्याओं में इजाफा: हेल्थकेयर प्रदाता प्रिस्टीन केयर द्वारा किए गए सर्वेक्षण में दिल्ली, मेरठ, फरीदाबाद, नोएडा, गाजियाबाद, रोहतक, चंडीगढ़, कानपुर आदि शहरों के 56,176 व्यक्तियों को शामिल किया गया. इनमें से लगभग आधे (41 प्रतिशत) ने उच्च प्रदूषण के दौरान आंखों से संबंधित स्वास्थ्य समस्याओं में बढ़ोतरी देखी, जबकि 55 प्रतिशत ने कान, नाक या गले से जुड़ी समस्याओं का अनुभव किया. इनमें से 38 प्रतिशत ने प्रदूषण के कारण आंखों में जलन और सूजन की शिकायत की. प्रभावित लोगों में आंखों में लालिमा और खुजली जैसे सामान्य लक्षण भी पाए गए.

प्रदूषण से बढ़ायी ईएनटी समस्याएं : लोगों ने प्रदूषण के बढ़ने पर इन समस्याओं में वृद्धि की बात की. इसमें गले में खराश, नाक में जलन और कान में परेशानी जैसी ईएनटी समस्याएं भी शामिल थीं. इन स्वास्थ्य समस्याओं ने दीर्घकालिक चिंताओं को जन्म दिया. सर्वेक्षण में यह जानकारी सामने आई कि ईएनटी समस्याओं से ग्रस्त 68 प्रतिशत लोग स्वास्थ्य पेशेवरों से परामर्श नहीं करते हैं.

आंखों के सेहत पर विशेष ध्यान देना आवश्यक : प्रिस्टिन केयर के ईएनटी सर्जन, डॉ. धीरेंद्र सिंह ने कहा, "खतरनाक वायु गुणवत्ता सभी के स्वास्थ्य के लिए चिंता का कारण है. बच्चे खास तौर पर इसके प्रति संवेदनशील होते हैं. ऐसी हवा के संपर्क में आने से नाक और कान की संवेदनशील श्लेष्म झिल्ली में जलन हो सकती है, जो समय के साथ गंभीर समस्याएं पैदा कर सकती हैं. इससे बचने के लिए बाहर निकलने से बचना, मास्क पहनना और हाइड्रेटेड रहना जरूरी है. आंखों के स्वास्थ्य पर भी विशेष ध्यान देना आवश्यक है.

सुरक्षा के लिए सक्रिय कदम उठाना जरूरी : प्रिस्टिन केयर के सह-संस्थापक डॉ. वैभव कपूर ने कहा, "यह जानकर आश्चर्य होता है कि लोग प्रदूषण और इसकी स्वास्थ्य पर असर को कितने हल्के में लेते हैं. आंखों और ईएनटी से संबंधित स्वास्थ्य समस्याओं में वृद्धि के उपायों की तत्काल आवश्यकता है. बढ़ते प्रदूषण के स्तर के साथ, व्यक्तियों को अपने स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए सक्रिय कदम उठाने चाहिए.

प्रदूषण के प्रभाव से निपटने के उपाय जरूरी : इन चुनौतियों के बावजूद, सर्वेक्षण में जनता के समक्ष प्रदूषण के प्रभाव से निपटने के उपायों को अपनाने में कमी नजर आई. केवल 35 प्रतिशत लोगों ने सुरक्षात्मक आईवियर या धूप का चश्मा पहनने की जानकारी दी, और लगभग 40 प्रतिशत ने उच्च प्रदूषण वाले दिनों में ईएनटी से संबंधित समस्याओं के लिए कोई विशेष सावधानी नहीं बरती. फिर भी, आधे से अधिक लोगों ने आंखों और ईएनटी स्वास्थ्य पर प्रदूषण के दीर्घकालिक प्रभावों को लेकर चिंता व्यक्त की है.

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आंखों से संबंधित समस्याओं में इजाफा: हेल्थकेयर प्रदाता प्रिस्टीन केयर द्वारा किए गए सर्वेक्षण में दिल्ली, मेरठ, फरीदाबाद, नोएडा, गाजियाबाद, रोहतक, चंडीगढ़, कानपुर आदि शहरों के 56,176 व्यक्तियों को शामिल किया गया. इनमें से लगभग आधे (41 प्रतिशत) ने उच्च प्रदूषण के दौरान आंखों से संबंधित स्वास्थ्य समस्याओं में बढ़ोतरी देखी, जबकि 55 प्रतिशत ने कान, नाक या गले से जुड़ी समस्याओं का अनुभव किया. इनमें से 38 प्रतिशत ने प्रदूषण के कारण आंखों में जलन और सूजन की शिकायत की. प्रभावित लोगों में आंखों में लालिमा और खुजली जैसे सामान्य लक्षण भी पाए गए.

प्रदूषण से बढ़ायी ईएनटी समस्याएं : लोगों ने प्रदूषण के बढ़ने पर इन समस्याओं में वृद्धि की बात की. इसमें गले में खराश, नाक में जलन और कान में परेशानी जैसी ईएनटी समस्याएं भी शामिल थीं. इन स्वास्थ्य समस्याओं ने दीर्घकालिक चिंताओं को जन्म दिया. सर्वेक्षण में यह जानकारी सामने आई कि ईएनटी समस्याओं से ग्रस्त 68 प्रतिशत लोग स्वास्थ्य पेशेवरों से परामर्श नहीं करते हैं.

आंखों के सेहत पर विशेष ध्यान देना आवश्यक : प्रिस्टिन केयर के ईएनटी सर्जन, डॉ. धीरेंद्र सिंह ने कहा, "खतरनाक वायु गुणवत्ता सभी के स्वास्थ्य के लिए चिंता का कारण है. बच्चे खास तौर पर इसके प्रति संवेदनशील होते हैं. ऐसी हवा के संपर्क में आने से नाक और कान की संवेदनशील श्लेष्म झिल्ली में जलन हो सकती है, जो समय के साथ गंभीर समस्याएं पैदा कर सकती हैं. इससे बचने के लिए बाहर निकलने से बचना, मास्क पहनना और हाइड्रेटेड रहना जरूरी है. आंखों के स्वास्थ्य पर भी विशेष ध्यान देना आवश्यक है.

सुरक्षा के लिए सक्रिय कदम उठाना जरूरी : प्रिस्टिन केयर के सह-संस्थापक डॉ. वैभव कपूर ने कहा, "यह जानकर आश्चर्य होता है कि लोग प्रदूषण और इसकी स्वास्थ्य पर असर को कितने हल्के में लेते हैं. आंखों और ईएनटी से संबंधित स्वास्थ्य समस्याओं में वृद्धि के उपायों की तत्काल आवश्यकता है. बढ़ते प्रदूषण के स्तर के साथ, व्यक्तियों को अपने स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए सक्रिय कदम उठाने चाहिए.

प्रदूषण के प्रभाव से निपटने के उपाय जरूरी : इन चुनौतियों के बावजूद, सर्वेक्षण में जनता के समक्ष प्रदूषण के प्रभाव से निपटने के उपायों को अपनाने में कमी नजर आई. केवल 35 प्रतिशत लोगों ने सुरक्षात्मक आईवियर या धूप का चश्मा पहनने की जानकारी दी, और लगभग 40 प्रतिशत ने उच्च प्रदूषण वाले दिनों में ईएनटी से संबंधित समस्याओं के लिए कोई विशेष सावधानी नहीं बरती. फिर भी, आधे से अधिक लोगों ने आंखों और ईएनटी स्वास्थ्य पर प्रदूषण के दीर्घकालिक प्रभावों को लेकर चिंता व्यक्त की है.

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