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रूटीन खर्च के लिए सरकार फिर लेगी 700 करोड़ का लोन, हिमाचल पर जल्द ही एक लाख करोड़ हो जाएगा कर्ज का बोझ - Debt on Himachal - DEBT ON HIMACHAL

HP Govt will Take 700 Crore Loan: हिमाचल सरकार एक बार फिर लोन लेने जा रही है. प्रदेश में रूटीन खर्च चलाने के लिए सुक्खू सरकार 700 करोड़ रुपए का लोन लेगी. इससे पहले अप्रैल में सरकार ने 1000 रुपए का लोन लिया था.

HP Govt will Take 700 Crore Loan
HP Govt will Take 700 Crore Loan (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : May 3, 2024, 6:51 AM IST

शिमला: गंभीर वित्तीय संकट में फंसे हिमाचल को अपनी आर्थिक गाड़ी खींचने के लिए कर्ज का सहारा लेना पड़ता है. हाल ही में केंद्र सरकार की तरफ से हिमाचल को मार्च से दिसंबर 2024 के बीच की अवधि के लिए 6200 करोड़ रुपए की लोन लिमिट सैंक्शन हुई है. इस तरह हिमाचल सरकार दिसंबर 2024 तक 6200 करोड़ का कर्ज ले सकेगी. इसी लिमिट में से अब राज्य सरकार 700 करोड़ रुपए का लोन लेने जा रही है. इसके लिए प्रक्रिया पूरी कर ली गई है. अप्रैल महीने में भी राज्य सरकार ने एक हजार करोड़ रुपए का लोन लिया था. इस तरह दो महीने में ही हिमाचल सरकार 1700 करोड़ रुपए का लोन ले चुकी होगी. जिस रफ्तार से राज्य सरकार को रूटीन खर्च चलाने के लिए कर्ज लेना पड़ रहा है, उससे ये स्पष्ट दिख रहा है कि इस साल के अंत तक राज्य पर लोन का बोझ एक लाख करोड़ रुपए तक हो जाएगा.

माहवार 1500 करोड़ से अधिक वेतन-पेंशन खर्च

हिमाचल प्रदेश में कर्मचारियों के वेतन और पेंशनर्स की पेंशन पर महीने में खर्च का आंकड़ा 1500 करोड़ रुपए से अधिक का है. हिमाचल सरकार पर नए वेतन आयोग के एरियर के भुगतान का भी बोझ है. इसके अलावा डीए की किस्त भी बकाया है. ये बोझ दस हजार करोड़ रुपए से ज्यादा है. अभी आलम ये है कि रूटीन का खर्च चलाने के लिए भी लोन लेना पड़ रहा है. राज्य के पास खुद के आर्थिक संसाधन बहुत कम हैं. इस समय देश भर के साथ हिमाचल में भी आदर्श आचार संहिता लागू है. इसी आचार संहिता के बीच राज्य सरकार को रूटीन खर्च के लिए कर्ज का लेना पड़ रहा है. ट्रेजरी बैलेंस बनाने के लिए कर्ज की ये रकम सहायक होगी.

वित्त वर्ष शुरू होते ही लोन लेना शुरू

हिमाचल सरकार का वित्त वर्ष पहली अप्रैल से शुरू हुआ है. वित्त वर्ष की शुरुआत में ही 1000 करोड़ रुपए का लोन लिया गया था. जो तीन अप्रैल को खाते में आया था. अब 700 करोड़ का नया लोन लिया जा रहा है. इस तरह पहले दो महीनों में 1700 करोड़ का लोन हो गया है. हिमाचल पर अब कर्ज का बोझ 90 हजार करोड़ रुपए के करीब पहुंच गया है. गंभीर बात ये है कि राज्य सरकार को अनुबंध नीति के तहत नियुक्त कर्मचारियों को सारे वित्तीय लाभ देने पड़ रहे हैं. इस बारे में हिमाचल हाईकोर्ट से एक के बाद एक फैसले आ रहे हैं. उन फैसलों में अदालत ने राज्य सरकार को अनुबंध सेवाकाल को नियमित सेवाकाल में जोड़ने के लिए आदेश दिए हैं.

नए वित्त आयोग पर टिकी उम्मीद की नजरें

हिमाचल सरकार को 15वें वित्त आयोग की सिफारिश के अनुसार मिलने वाला राजस्व घाटा अनुदान यानी रेवेन्यू डेफिसिट ग्रांट भी निरंतर कम हो रही है. अब हिमाचल प्रदेश की सारी आशाएं नए वित्त आयोग पर टिकी हैं. नया वित्त आयोग यानी 16वां फाइनेंस कमीशन इसी साल हिमाचल का दौरा करेगा. राज्य सरकार को उम्मीद है कि नया वित्त आयोग पहाड़ी राज्य की कठिन परिस्थितियों को समझते हुए उदार आर्थिक सहायता की सिफारिश करेगा. साथ ही उम्मीद है कि नए वित्त आयोग में हिमाचल सरकार का राजस्व घाटा अनुदान बढ़ाने की सिफारिश हो सके. इसके लिए वित्त विभाग ने अभी से तैयारियां शुरू कर दी हैं.

ये भी पढ़ें: खर्च की गाड़ी खींचने के लिए हिमाचल को मिली कर्ज की मंजूरी, दिसंबर तक लिया जा सकेगा 6200 करोड़ का लोन

ये भी पढ़ें: "कंगना एक अच्छी अभिनेत्री, लेकिन जयराम ठाकुर फ्लॉप डायरेक्टर, फिल्म कहां से होगी हिट"

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शिमला: गंभीर वित्तीय संकट में फंसे हिमाचल को अपनी आर्थिक गाड़ी खींचने के लिए कर्ज का सहारा लेना पड़ता है. हाल ही में केंद्र सरकार की तरफ से हिमाचल को मार्च से दिसंबर 2024 के बीच की अवधि के लिए 6200 करोड़ रुपए की लोन लिमिट सैंक्शन हुई है. इस तरह हिमाचल सरकार दिसंबर 2024 तक 6200 करोड़ का कर्ज ले सकेगी. इसी लिमिट में से अब राज्य सरकार 700 करोड़ रुपए का लोन लेने जा रही है. इसके लिए प्रक्रिया पूरी कर ली गई है. अप्रैल महीने में भी राज्य सरकार ने एक हजार करोड़ रुपए का लोन लिया था. इस तरह दो महीने में ही हिमाचल सरकार 1700 करोड़ रुपए का लोन ले चुकी होगी. जिस रफ्तार से राज्य सरकार को रूटीन खर्च चलाने के लिए कर्ज लेना पड़ रहा है, उससे ये स्पष्ट दिख रहा है कि इस साल के अंत तक राज्य पर लोन का बोझ एक लाख करोड़ रुपए तक हो जाएगा.

माहवार 1500 करोड़ से अधिक वेतन-पेंशन खर्च

हिमाचल प्रदेश में कर्मचारियों के वेतन और पेंशनर्स की पेंशन पर महीने में खर्च का आंकड़ा 1500 करोड़ रुपए से अधिक का है. हिमाचल सरकार पर नए वेतन आयोग के एरियर के भुगतान का भी बोझ है. इसके अलावा डीए की किस्त भी बकाया है. ये बोझ दस हजार करोड़ रुपए से ज्यादा है. अभी आलम ये है कि रूटीन का खर्च चलाने के लिए भी लोन लेना पड़ रहा है. राज्य के पास खुद के आर्थिक संसाधन बहुत कम हैं. इस समय देश भर के साथ हिमाचल में भी आदर्श आचार संहिता लागू है. इसी आचार संहिता के बीच राज्य सरकार को रूटीन खर्च के लिए कर्ज का लेना पड़ रहा है. ट्रेजरी बैलेंस बनाने के लिए कर्ज की ये रकम सहायक होगी.

वित्त वर्ष शुरू होते ही लोन लेना शुरू

हिमाचल सरकार का वित्त वर्ष पहली अप्रैल से शुरू हुआ है. वित्त वर्ष की शुरुआत में ही 1000 करोड़ रुपए का लोन लिया गया था. जो तीन अप्रैल को खाते में आया था. अब 700 करोड़ का नया लोन लिया जा रहा है. इस तरह पहले दो महीनों में 1700 करोड़ का लोन हो गया है. हिमाचल पर अब कर्ज का बोझ 90 हजार करोड़ रुपए के करीब पहुंच गया है. गंभीर बात ये है कि राज्य सरकार को अनुबंध नीति के तहत नियुक्त कर्मचारियों को सारे वित्तीय लाभ देने पड़ रहे हैं. इस बारे में हिमाचल हाईकोर्ट से एक के बाद एक फैसले आ रहे हैं. उन फैसलों में अदालत ने राज्य सरकार को अनुबंध सेवाकाल को नियमित सेवाकाल में जोड़ने के लिए आदेश दिए हैं.

नए वित्त आयोग पर टिकी उम्मीद की नजरें

हिमाचल सरकार को 15वें वित्त आयोग की सिफारिश के अनुसार मिलने वाला राजस्व घाटा अनुदान यानी रेवेन्यू डेफिसिट ग्रांट भी निरंतर कम हो रही है. अब हिमाचल प्रदेश की सारी आशाएं नए वित्त आयोग पर टिकी हैं. नया वित्त आयोग यानी 16वां फाइनेंस कमीशन इसी साल हिमाचल का दौरा करेगा. राज्य सरकार को उम्मीद है कि नया वित्त आयोग पहाड़ी राज्य की कठिन परिस्थितियों को समझते हुए उदार आर्थिक सहायता की सिफारिश करेगा. साथ ही उम्मीद है कि नए वित्त आयोग में हिमाचल सरकार का राजस्व घाटा अनुदान बढ़ाने की सिफारिश हो सके. इसके लिए वित्त विभाग ने अभी से तैयारियां शुरू कर दी हैं.

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