ETV Bharat / state

यूपी महिला आयोग के प्रस्ताव 'बैड टच' पर शुरू हुई बहस, राजस्थान में महिलाओं का अलग-अलग मत - DEBATE ON BAD TOUCH PROPOSAL

यूपी महिला आयोग के प्रस्ताव 'बैड टच' पर बहस शुरू हो गई है. कुछ ने इन्हें संविधान विरोधी बताया, कुछ ने सुरक्षा के​ लिए जरूरी.

Debate on Bad Touch Proposal
'बैड टच' पर शुरू हुई बहस (ETV Bharat Jaipur)
author img

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Nov 9, 2024, 7:22 PM IST

जयपुर: उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग ने महिलाओं को 'बैड टच' से बचाने और पुरुषों के बुरे इरादों को रोकने के लिए एक प्रस्ताव दिया है. इसके मुताबिक, पुरुषों को महिलाओं के कपड़े नहीं सिलने चाहिए और न ही उनके बाल काटने चाहिए. जिम में भी महिला ट्रेनर होनी चाहिए. यूपी महिला आयोग के प्रस्ताव के बाद देशभर में महिला सुरक्षा और उसको लेकर बनाये गए सुझाव पर बहस हो रही है. राजस्थान में महिला सामाजिक कार्यकर्ताओं में इस प्रस्ताव को लेकर अलग-अलग मत है. किसी ने इसे महिला सुरक्षा के लिहाज से सही बताया, तो किसी ने महिलाओं को रोजगार से जोड़ते हुए अन्य राज्यों में भी अमल करने का सुझाव दिया. तो किसी ने इसे संविधान विरोधी बताया.

यूपी महिला आयोग के प्रस्ताव 'बैड टच' पर राजस्थान के दिग्गजों की प्रतिक्रिया (ETV Bharat Jaipur)

प्रस्ताव में संविधान अधिकारों का हनन: सामाजिक कार्यकर्ता निशा सिद्धू ने कहा कि उत्तर प्रदेश महिला आयोग ने जिस प्रकार से सुझाव तैयार किये हैं, वे संविधान से मिले अधिकारों का हनन है. पुरुष टेलर महिलाओं का नाप नहीं करेंगे, उनको टच में नहीं आएंगी. यह एक तरह से संविधान प्रदत्त अधिकार का उल्लंघन है. हमारे संविधान में जो फंडामेंटल राइट्स दिए गए हैं, उसमें हक दिया गया कि कोई भी व्यक्ति कोई भी काम कर सकता है. जाति-धर्म, समुदाय से ऊपर काम को प्राथमिकता दी गई है. हर व्यक्ति अपने हिसाब से काम करेगा, उसमें किस तरह की कोई पाबंदी नहीं होगी, लेकिन इस तरह के तालिबानी फैसला देने से संविधान का उल्लंघन है. निशा ने कहा कि अगर इसको दूसरे तरीके से देखें, तो ऐसे कई प्रोफेशन हैं जहां पर महिलाएं की जगह पुरुष काम करते हैं. खास तौर से डॉक्टर हैं. वह भी महिलाओं का इलाज करते हैं, तो क्या फिर उनको भी बंद कर देना चाहिए? इस तरह के मनमाने फैसले किसी तरह से स्वीकार नहीं है.

पढ़ें: पैरेंट्स सावधान ! मोबाइल के उपयोग के बीच अनजान और अनचाहे खतरों का भी शिकार हो रहे बच्चे, अब वर्चुअल टच की जानकारी जरूरी - Virtual Touch Knowledge

महिला सुरक्षा की दिशा में महत्वपूर्ण कदम: सामाजिक कार्यकर्ता डॉ मनीषा सिंह ने कहा कि उत्तर प्रदेश महिला आयोग की ओर से दिए गए सुझावों को महिला सुरक्षा की दिशा में महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखना चाहिए. हालांकि इस प्रस्ताव को लेकर अलग-अलग मत हो सकते हैं. लेकिन मैं एक सामाजिक कार्यकर्ता होने के नाते इस तरह के मामलों में महसूस कर चुकी हूं कि महिलाओं को गलत इंटेंशन से छुआ जाता है, फिर चाहे वह टेलर हो या फिर ट्रेनिंग करने वाले ट्रेनर. यह सही है कि सब जगह पर समान रूप से जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता, लेकिन इस तरह की शिकायत सामने आती हैं. इसको लेकर मेरा मानना है कि हमें नेगेटिव आस्पेक्ट में सोचने की जगह इसको पॉजिटिव तरीके से सोचना चाहिए. इससे हमें यह भी देखना चाहिए कि इस तरह के फैसला अगर लागू होते हैं, तो महिलाओं के लिए रोजगार के अवसर भी खुलेंगे. महिलाएं इस तरह के काम में भागीदारी निभाती हैं, तो वह आत्मनिर्भर भी होंगी.

पढ़ें: शिक्षा विभाग के खाते में जुड़ा एक और कीर्तिमान, 'गुड टच-बैड टच' का पाठ वर्ल्ड रिकार्ड्स में शामिल

मनीषा सिंह ने कहा कि महिलाओं की सुरक्षा एक महत्वपूर्ण मुद्दा है. इस तरह के मुद्दे पर राजनीति नहीं होनी चाहिए, सुझाव पर अपनी-अपनी राय हो सकती है, लेकिन उत्तर प्रदेश महिला आयोग ने जो सुझाव दिए हैं, वे महिलाओं को लेकर जो रिसर्च उनके सामने आया है, उसके अनुसार ही सुझाव तैयार किए गए हैं. न केवल महिला टेलर और ट्रेनर बल्कि बसों में महिलाओं की भागीदारी और सीसीटीवी कैमरे लगाने सहित जो अन्य सुझाव हैं, वह भी महिला सुरक्षा की दिशा में ही उठाए जाने वाले कदमों में से है.

नियमों के साथ सोच बदलने की जरूरत: दलित महिलाओं को लेकर काम करने वाली सामाजिक कार्यकर्ता सुमन देवठिया ने कहा कि कई बार इस तरह की शिकायत आती है कि महिलाओं के साथ में गलत टच किया जाता है, लेकिन राज्यों की सरकार से अपील करती हूं कि खासतौर से महिलाओं के मामले को लेकर नियम-कानून के साथ सोसाइटी में पितृसात्मक सोच को बदला जाए. जब तक मानसिकता को बदला नहीं जाएगा, तब तक घटनाएं नहीं रुक सकती. सरकार इस तरह के सुझाव और निर्णय ले, लेकिन उससे कोई कारगर साबित नहीं होंगे.

पढ़ें: No Bag Day : 28 अक्टूबर को छात्रों को फिर पढ़ाया जाएगा गुड टच, बैड टच का पाठ, पहले चरण में बना था रिकॉर्ड

आयोग ने दिए ये सुझाव: बता दें कि 28 अक्टूबर को हुई महिला आयोग की एक बैठक के बाद कई ऐसे सुझाव दिए गए, जिनमें पुरुषों को महिलाओं का नाप लेने की अनुमति नहीं देना और शॉप पर सीसीटीवी कैमरे लगाना आदि शामिल है. फिलहाल, अभी यह सिर्फ एक प्रस्ताव है और महिला आयोग बाद में राज्य सरकार से इस संबंध में कानून बनाने का अनुरोध करेगा. महिला आयोग के नियमों का पालन करवाना जिला प्रशासन के जिम्मे होगा.

आयोग ने कहा कि जिस जिम में महिलाएं जाती हैं, उन जिमों में महिला ट्रेनर होनी चाहिए. सभी जिम ट्रेनर का पुलिस वेरिफिकेशन किया जाना चाहिए. जो महिला किसी पुरुष ट्रेनर से ट्रेनिंग लेना चाहे, तो उसे लिखित में देना होगा. क्योंकि, महिला आयोग को लगातार जिम जाने वाली महिलाओं और लड़कियों के शोषण की शिकायत मिल रही हैं, जिसके बाद यह फैसला लिया गया है. साथ ही जिस टेलर शॉप में महिलाओं के कपड़े सिलते हैं, वहां नाप लेने के लिए महिला टेलर को रखा जाना सुनिश्चित किया जाए. यही नहीं जिन स्कूल बसों में लड़कियां जाती हों, उनमें महिला कर्मचारी हो.

जयपुर: उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग ने महिलाओं को 'बैड टच' से बचाने और पुरुषों के बुरे इरादों को रोकने के लिए एक प्रस्ताव दिया है. इसके मुताबिक, पुरुषों को महिलाओं के कपड़े नहीं सिलने चाहिए और न ही उनके बाल काटने चाहिए. जिम में भी महिला ट्रेनर होनी चाहिए. यूपी महिला आयोग के प्रस्ताव के बाद देशभर में महिला सुरक्षा और उसको लेकर बनाये गए सुझाव पर बहस हो रही है. राजस्थान में महिला सामाजिक कार्यकर्ताओं में इस प्रस्ताव को लेकर अलग-अलग मत है. किसी ने इसे महिला सुरक्षा के लिहाज से सही बताया, तो किसी ने महिलाओं को रोजगार से जोड़ते हुए अन्य राज्यों में भी अमल करने का सुझाव दिया. तो किसी ने इसे संविधान विरोधी बताया.

यूपी महिला आयोग के प्रस्ताव 'बैड टच' पर राजस्थान के दिग्गजों की प्रतिक्रिया (ETV Bharat Jaipur)

प्रस्ताव में संविधान अधिकारों का हनन: सामाजिक कार्यकर्ता निशा सिद्धू ने कहा कि उत्तर प्रदेश महिला आयोग ने जिस प्रकार से सुझाव तैयार किये हैं, वे संविधान से मिले अधिकारों का हनन है. पुरुष टेलर महिलाओं का नाप नहीं करेंगे, उनको टच में नहीं आएंगी. यह एक तरह से संविधान प्रदत्त अधिकार का उल्लंघन है. हमारे संविधान में जो फंडामेंटल राइट्स दिए गए हैं, उसमें हक दिया गया कि कोई भी व्यक्ति कोई भी काम कर सकता है. जाति-धर्म, समुदाय से ऊपर काम को प्राथमिकता दी गई है. हर व्यक्ति अपने हिसाब से काम करेगा, उसमें किस तरह की कोई पाबंदी नहीं होगी, लेकिन इस तरह के तालिबानी फैसला देने से संविधान का उल्लंघन है. निशा ने कहा कि अगर इसको दूसरे तरीके से देखें, तो ऐसे कई प्रोफेशन हैं जहां पर महिलाएं की जगह पुरुष काम करते हैं. खास तौर से डॉक्टर हैं. वह भी महिलाओं का इलाज करते हैं, तो क्या फिर उनको भी बंद कर देना चाहिए? इस तरह के मनमाने फैसले किसी तरह से स्वीकार नहीं है.

पढ़ें: पैरेंट्स सावधान ! मोबाइल के उपयोग के बीच अनजान और अनचाहे खतरों का भी शिकार हो रहे बच्चे, अब वर्चुअल टच की जानकारी जरूरी - Virtual Touch Knowledge

महिला सुरक्षा की दिशा में महत्वपूर्ण कदम: सामाजिक कार्यकर्ता डॉ मनीषा सिंह ने कहा कि उत्तर प्रदेश महिला आयोग की ओर से दिए गए सुझावों को महिला सुरक्षा की दिशा में महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखना चाहिए. हालांकि इस प्रस्ताव को लेकर अलग-अलग मत हो सकते हैं. लेकिन मैं एक सामाजिक कार्यकर्ता होने के नाते इस तरह के मामलों में महसूस कर चुकी हूं कि महिलाओं को गलत इंटेंशन से छुआ जाता है, फिर चाहे वह टेलर हो या फिर ट्रेनिंग करने वाले ट्रेनर. यह सही है कि सब जगह पर समान रूप से जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता, लेकिन इस तरह की शिकायत सामने आती हैं. इसको लेकर मेरा मानना है कि हमें नेगेटिव आस्पेक्ट में सोचने की जगह इसको पॉजिटिव तरीके से सोचना चाहिए. इससे हमें यह भी देखना चाहिए कि इस तरह के फैसला अगर लागू होते हैं, तो महिलाओं के लिए रोजगार के अवसर भी खुलेंगे. महिलाएं इस तरह के काम में भागीदारी निभाती हैं, तो वह आत्मनिर्भर भी होंगी.

पढ़ें: शिक्षा विभाग के खाते में जुड़ा एक और कीर्तिमान, 'गुड टच-बैड टच' का पाठ वर्ल्ड रिकार्ड्स में शामिल

मनीषा सिंह ने कहा कि महिलाओं की सुरक्षा एक महत्वपूर्ण मुद्दा है. इस तरह के मुद्दे पर राजनीति नहीं होनी चाहिए, सुझाव पर अपनी-अपनी राय हो सकती है, लेकिन उत्तर प्रदेश महिला आयोग ने जो सुझाव दिए हैं, वे महिलाओं को लेकर जो रिसर्च उनके सामने आया है, उसके अनुसार ही सुझाव तैयार किए गए हैं. न केवल महिला टेलर और ट्रेनर बल्कि बसों में महिलाओं की भागीदारी और सीसीटीवी कैमरे लगाने सहित जो अन्य सुझाव हैं, वह भी महिला सुरक्षा की दिशा में ही उठाए जाने वाले कदमों में से है.

नियमों के साथ सोच बदलने की जरूरत: दलित महिलाओं को लेकर काम करने वाली सामाजिक कार्यकर्ता सुमन देवठिया ने कहा कि कई बार इस तरह की शिकायत आती है कि महिलाओं के साथ में गलत टच किया जाता है, लेकिन राज्यों की सरकार से अपील करती हूं कि खासतौर से महिलाओं के मामले को लेकर नियम-कानून के साथ सोसाइटी में पितृसात्मक सोच को बदला जाए. जब तक मानसिकता को बदला नहीं जाएगा, तब तक घटनाएं नहीं रुक सकती. सरकार इस तरह के सुझाव और निर्णय ले, लेकिन उससे कोई कारगर साबित नहीं होंगे.

पढ़ें: No Bag Day : 28 अक्टूबर को छात्रों को फिर पढ़ाया जाएगा गुड टच, बैड टच का पाठ, पहले चरण में बना था रिकॉर्ड

आयोग ने दिए ये सुझाव: बता दें कि 28 अक्टूबर को हुई महिला आयोग की एक बैठक के बाद कई ऐसे सुझाव दिए गए, जिनमें पुरुषों को महिलाओं का नाप लेने की अनुमति नहीं देना और शॉप पर सीसीटीवी कैमरे लगाना आदि शामिल है. फिलहाल, अभी यह सिर्फ एक प्रस्ताव है और महिला आयोग बाद में राज्य सरकार से इस संबंध में कानून बनाने का अनुरोध करेगा. महिला आयोग के नियमों का पालन करवाना जिला प्रशासन के जिम्मे होगा.

आयोग ने कहा कि जिस जिम में महिलाएं जाती हैं, उन जिमों में महिला ट्रेनर होनी चाहिए. सभी जिम ट्रेनर का पुलिस वेरिफिकेशन किया जाना चाहिए. जो महिला किसी पुरुष ट्रेनर से ट्रेनिंग लेना चाहे, तो उसे लिखित में देना होगा. क्योंकि, महिला आयोग को लगातार जिम जाने वाली महिलाओं और लड़कियों के शोषण की शिकायत मिल रही हैं, जिसके बाद यह फैसला लिया गया है. साथ ही जिस टेलर शॉप में महिलाओं के कपड़े सिलते हैं, वहां नाप लेने के लिए महिला टेलर को रखा जाना सुनिश्चित किया जाए. यही नहीं जिन स्कूल बसों में लड़कियां जाती हों, उनमें महिला कर्मचारी हो.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.