नई दिल्ली: हर व्यक्ति के जीवन में पिता का स्थान बेहद खास होता है. हो भी क्यों न, पिता ही वह शख्स है, जो जीवन भर संघर्ष की आंधी झेलकर बच्चे को सभी प्रकार की सुख-सुविधाएं व सुरक्षा देता है. इसी एहसास को सेलिब्रेट करने लिए हर साल जून महीने के तीसरे रविवार को 'फादर्स डे' के तौर पर मनाया जाता है. यह दिन पहली बार संयुक्त राज्य अमेरिका में मनाया गया था. इस खास दिन के मौके पर हम आपको बताएंगे उस बेटी के बारे में, जिसने भविष्य की चिंता किए बिना अपना लिवर डोनेट कर पिता को नया जीवन दिया.
80 फीसदी लिवर किया डोनेट: दिल्ली के मटिया महल बाजार में अपने परिवार के साथ रहने वाली वान्या ने 'ईटीवी भारत' के साथ खास बातचीत में बताया कि करीब छह महीने पहले उनके पिता की तबीयत अचानक खराब हो गई. तीन महीने के इलाज के बाद भी उनकी हालत ठीक नहीं हुई. डॉक्टरों ने बताया कि उन्हें लिवर ट्रांसप्लांट कराना होगा. इसके बाद वान्या ने एक बड़ा फैसला लेते हुए अपने लिवर का 80 फीसदी हिस्सा अपने पिता को डोनेट कर दिया.
14 घंटे चला ऑपरेशन: वान्या ने बताया कि ट्रांसप्लांट की बात को लेकर घर में काफी बातचीत हुई, लेकिन उन्होंने मन बना लिया था कि वही अपने पिता को लिवर डोनेट करेंगी. इसके बाद उनका बॉडी चेकअप हुआ और सभी रिपोर्ट्स अच्छी आई. जिस पर डॉक्टरों ने उनको डोनर बनने की अनुमति दे दी. उन्हें अनुमान नहीं था कि ऑपरेशन इतना लंबा होगा. यह ऑपरेशन 14 घंटे में पूरा हुआ. पांच दिन आईसीयू में रहने के बाद उन्हें एक हफ्ते के लिए नार्मल वार्ड में शिफ्ट किया गया. इस दौरान उन्हें कई तरह की तकलीफों का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने कहा कि पापा के लिए इतना तो किया ही जा सकता है.
ठीक होने में लगेगा लंबा वक्त: उनके परिवार में मां और दो बहनें हैं. वह घर की दूसरी बेटी है. उनकी बड़ी बहन की शादी हो चुकी है, जिनके दो बच्चे हैं और छोटी बहन पढ़ाई करती है. वान्या ने बताया कि ट्रांसप्लांट के बाद उनके पिता तबियत ठीक नहीं हुई है और उनका इलाज नोएडा के प्राइवेट अस्पताल में चल रहा है, जहां वह फिलहाल वेंटिलेटर पर हैं. वान्या ने बताया कि उनके पिता मटिया महल बाजार में करेंसी एक्सचेंज के बिजनेस में हैं. साथ ही वह एक गेस्ट हॉउस भी संचालित करते हैं. डॉक्टरों ने बताया कि लिवर के दोबारा बनने और टांकों के ठीक होने में करीब एक साल का समय लगता है.
काफी रहा संघर्ष: वहीं शादी और भविष्य पर सवाल पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि अभी इस बारे में कुछ नहीं सोचा है. पहले वे पूरी तरह से फिट हो जाएं, इसके बाद ही कुछ विचार करेंगी. लोगों ने कहा कि ऑपरेशन के बाद सामान्य जीवन में कई तरह की समस्याएं आएंगी, लेकिन उनकी राय नहीं बदली. ऑपरेशन के दौरान उनके शरीर पर कई जगह कैनुला लगाए गए. यूरिन पाइप और फूड पाइप भी लगायी गई. ऑपरेशन के कुछ दिनों बाद उनके लिवर में पस भर गया था, जिसे निकालने के लिए अलग से पाइप लगाई गई थी. वान्या ने कहा कि पापा को ठीक होता देख उनके सारे दर्द गायब हो गए. मैं अपने पिता के जल्दी ठीक होने की कामना करती हूं. अब लोग उनकी तारीफ करते नहीं थक रहे हैं.
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जानिए फादर्स डे के बारे में: पहली बार सन् 1908 में वेस्ट वर्जीनिया के फेयरमोंट में ग्रेस गोल्डन क्लेटन ने अपने पिता की याद में एक चर्च में फादर्स डे मनाया गया था. हालांकि तब इस आयोजन को व्यापक पहचान नहीं मिली थी. बाद में सन् 1910 में वाशिंगटन की सोनोरा स्मार्ट डाॅड ने अपने पिता, विलियम जैक्सन स्मार्ट के लिए पहली बार मनाया. विलियम ने अकेले अपने छह बच्चों की परवरिश की थी. वह अपने बच्चों के लिए मां भी थे और पिता भी. इसके बाद 19 जून, 1910 को स्पोकेन, वाशिंगटन में पहली बार आधिकारिक तौर पर फादर्स डे मनाया गया. वहीं फादर्स डे को राष्ट्रीय मान्यता मिली सन् 1966 में जब अमेरिकी राष्ट्रपति लिंडन बी. जॉनसन ने जून के तीसरे रविवार को फादर्स डे के रूप में मान्यता दी. इसके बाद सन् 1972 में राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन ने इस दिन को स्थायी राष्ट्रीय अवकाश घोषित कर दिया.