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चंडीगढ़ में राष्ट्रीय शिल्प मेले की शुरुआत, पहले दिन पंजाबी गायकों ने बांधा समां, जानें क्या है खास

Chandigarh Crafts fair 2024: चंडीगढ़ के प्रशासक गुलाब चंद कटारिया ने नगाड़ा बजाकर 14वें राष्ट्रीय शिल्प मेले का आगाज किया. जानें इसमें क्या है खास.

Chandigarh Crafts fair 2024
Chandigarh Crafts fair 2024 (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Nov 30, 2024, 10:50 AM IST

चंडीगढ़: शुक्रवार को चंडीगढ़ के प्रशासक गुलाब चंद कटारिया ने नगाड़ा बजाकर 14वें राष्ट्रीय शिल्प मेले का आगाज किया. राष्ट्रीय शिल्प मेला इस बार रिद्म ऑफ इंडिया और कलर ऑफ इंडिया थीम के साथ मनाया जा रहा है. सांस्कृतिक केंद्र पटियाला और चंडीगढ़ कला एवं संस्कृति विभाग के संयुक्त तत्वाधान में इस मेले को आयोजित किया जा रहा है. प्रशासक ने मेले में स्थापित पत्थरों में तराशे गए राशि चिन्हों को बहुत सराहा और कलाकारों की बहुत तारीफ की.

चंडीगढ़ में क्राफ्ट मेले का आगाज: चंडीगढ़ के प्रशासक गुलाब चंद कटारिया ने कहा कि राजभवन ने कलाकारों के सम्मान में हर संभव मदद की है. मैं चाहता हूं कि देश के कोने-कोने में कलाकारों का सम्मान किया जाना चाहिए और ये हमारी जिम्मेदारी है. अभी भी गांवों में कई कलाकार छिपे बैठे हैं. मैं डायरेक्टर फुरकान खान जी से गुजारिश करता हूं कि उन्हें तलाशें और यहां लेकर आएं. हम उनका सम्मान करेंगे. जिसके वो हकदार हैं.

पहले दिन गायकों ने बांधा समां: उद्घाटन समारोह के बाद मंच पर 51 वाद्य यंत्रों की खास संगीतमय प्रस्तुति पेश की गई. जिसका अभ्यास निदेशक फुरकान खान के निर्देशन में किया गया था. प्रस्तुति को रिद्म ऑफ इंडिया का नाम दिया गया. फिर 14 राज्यों के लोक नृत्यों ने सभी को दीवाना बनाया. इस नृत्य को कोरियोग्राफर सुशील शर्मा ने 'कलर ऑफ इंडिया' थीम पर तैयार कराया. फिर सूफी गायक कंवर ग्रेवाल ने समा बांधा.

सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन: लोक कलाओं पर आधारित कार्यक्रम मेले में दिनभर जारी रहे. इस मौके पर लोक कला साधक (लाइफटाइम अचीवमेंट) अवॉर्ड भी दिए गए. लोक नृत्य श्रेणी में राजस्थान की तेरहताल की कलाकार दुर्गा देवी और हिमाचल प्रदेश के बालक राम ठाकुर का अवॉर्ड मिला. वहीं, लोक संगीत के क्षेत्र में पंजाब के देस राज लचकानी और जम्मू-कश्मीर की गुजरी गायक 'बेगम जान' को लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड से नवाजा गया.

कलाकारों को किया गया सम्मानित: चारों कलाकारों को 2.5-2.5 लाख रुपए के ड्राफ्ट के साथ सम्मान पट्टिका और शॉल सम्मान के रूप में भेंट किया गया. पहली बार मेले में दो युवा अवॉर्ड भी दिए गए. चयन समिति ने युवा अवॉर्ड के लिए हरियाणा के मनोज जाले और उत्तराखंड के सुधांशु बिष्ट को चुना. उन्हें मंच पर 1-1 लाख रुपए का ड्राफ्ट के साथ सम्मान पट्टिका और शाल देकर सम्मानित किया गया. मेले में बनाई गई विरासती सड़क ने भी सभी को अपनी ओर आकर्षित किया और यहां भीड़ लगी रही.

पंजाब के सूफी गायक कंवर ग्रेवाल ने दी प्रस्तुति: राष्ट्रीय शिल्प मेले के पहले दिन पंजाब के सूफी गायक कंवर ग्रेवाल ने माहौल बना दिया. उन्होंने अपने गीतों से लोगों को नाचने पर मजबूर किया और मस्त भी बनाया. उन्होंने "नचना पैंदा है',"न जाईं मस्तां दे वेड़े मस्त बना देन गे बिबा' के साथ-साथ "छल्ला' गाया. इसके अलावा उन्होंने "टिकटां दो लैंली, "रंग करतार दे' आदि गानों से भी सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया. कंवर ग्रेवाल ने कहा कि इस तरह के ओपन स्टेज पर गाना हमेशा मुझे पसंद रहा है. यहां आने वाले अच्छे श्रोता होते हैं. उनसे अच्छा जोड़ बनता है और एक गायक के लिए वो बहुत जरूरी है. श्रोता जोश पैदा करते हैं. जो गायक के अंदर तक पहुंचता है.

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चंडीगढ़: शुक्रवार को चंडीगढ़ के प्रशासक गुलाब चंद कटारिया ने नगाड़ा बजाकर 14वें राष्ट्रीय शिल्प मेले का आगाज किया. राष्ट्रीय शिल्प मेला इस बार रिद्म ऑफ इंडिया और कलर ऑफ इंडिया थीम के साथ मनाया जा रहा है. सांस्कृतिक केंद्र पटियाला और चंडीगढ़ कला एवं संस्कृति विभाग के संयुक्त तत्वाधान में इस मेले को आयोजित किया जा रहा है. प्रशासक ने मेले में स्थापित पत्थरों में तराशे गए राशि चिन्हों को बहुत सराहा और कलाकारों की बहुत तारीफ की.

चंडीगढ़ में क्राफ्ट मेले का आगाज: चंडीगढ़ के प्रशासक गुलाब चंद कटारिया ने कहा कि राजभवन ने कलाकारों के सम्मान में हर संभव मदद की है. मैं चाहता हूं कि देश के कोने-कोने में कलाकारों का सम्मान किया जाना चाहिए और ये हमारी जिम्मेदारी है. अभी भी गांवों में कई कलाकार छिपे बैठे हैं. मैं डायरेक्टर फुरकान खान जी से गुजारिश करता हूं कि उन्हें तलाशें और यहां लेकर आएं. हम उनका सम्मान करेंगे. जिसके वो हकदार हैं.

पहले दिन गायकों ने बांधा समां: उद्घाटन समारोह के बाद मंच पर 51 वाद्य यंत्रों की खास संगीतमय प्रस्तुति पेश की गई. जिसका अभ्यास निदेशक फुरकान खान के निर्देशन में किया गया था. प्रस्तुति को रिद्म ऑफ इंडिया का नाम दिया गया. फिर 14 राज्यों के लोक नृत्यों ने सभी को दीवाना बनाया. इस नृत्य को कोरियोग्राफर सुशील शर्मा ने 'कलर ऑफ इंडिया' थीम पर तैयार कराया. फिर सूफी गायक कंवर ग्रेवाल ने समा बांधा.

सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन: लोक कलाओं पर आधारित कार्यक्रम मेले में दिनभर जारी रहे. इस मौके पर लोक कला साधक (लाइफटाइम अचीवमेंट) अवॉर्ड भी दिए गए. लोक नृत्य श्रेणी में राजस्थान की तेरहताल की कलाकार दुर्गा देवी और हिमाचल प्रदेश के बालक राम ठाकुर का अवॉर्ड मिला. वहीं, लोक संगीत के क्षेत्र में पंजाब के देस राज लचकानी और जम्मू-कश्मीर की गुजरी गायक 'बेगम जान' को लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड से नवाजा गया.

कलाकारों को किया गया सम्मानित: चारों कलाकारों को 2.5-2.5 लाख रुपए के ड्राफ्ट के साथ सम्मान पट्टिका और शॉल सम्मान के रूप में भेंट किया गया. पहली बार मेले में दो युवा अवॉर्ड भी दिए गए. चयन समिति ने युवा अवॉर्ड के लिए हरियाणा के मनोज जाले और उत्तराखंड के सुधांशु बिष्ट को चुना. उन्हें मंच पर 1-1 लाख रुपए का ड्राफ्ट के साथ सम्मान पट्टिका और शाल देकर सम्मानित किया गया. मेले में बनाई गई विरासती सड़क ने भी सभी को अपनी ओर आकर्षित किया और यहां भीड़ लगी रही.

पंजाब के सूफी गायक कंवर ग्रेवाल ने दी प्रस्तुति: राष्ट्रीय शिल्प मेले के पहले दिन पंजाब के सूफी गायक कंवर ग्रेवाल ने माहौल बना दिया. उन्होंने अपने गीतों से लोगों को नाचने पर मजबूर किया और मस्त भी बनाया. उन्होंने "नचना पैंदा है',"न जाईं मस्तां दे वेड़े मस्त बना देन गे बिबा' के साथ-साथ "छल्ला' गाया. इसके अलावा उन्होंने "टिकटां दो लैंली, "रंग करतार दे' आदि गानों से भी सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया. कंवर ग्रेवाल ने कहा कि इस तरह के ओपन स्टेज पर गाना हमेशा मुझे पसंद रहा है. यहां आने वाले अच्छे श्रोता होते हैं. उनसे अच्छा जोड़ बनता है और एक गायक के लिए वो बहुत जरूरी है. श्रोता जोश पैदा करते हैं. जो गायक के अंदर तक पहुंचता है.

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