नई दिल्ली: दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट ने चिकित्सा उपकरणों की आपूर्ति करने वाली कंपनियों और मरीजों से रिश्वत लेने के मामले में गिरफ्तार दो डॉक्टरों समेत नौ लोगों को पांच दिन की सीबीआई हिरासत में भेज दिया है. स्पेशल जज प्रशांत कुमार ने नौ आरोपियों को 14 मई तक की सीबीआई हिरासत में भेज दिया है।सीबीआई ने इन आरोपियों को 8 मई को गिरफ्तार किया था.
गिरफ्तार आरोपियों में राम मनोहर लोहिया अस्पताल के कॉर्डियोलॉजी विभाग के दो डॉक्टर पर्वत गौड़ा और डॉक्टर अजय राज की भूमिका प्रमुख है. न्यूरो सर्जन डॉक्टर मनीष रावत पर आरोप है कि वह न्यूरो की समस्या से बेहद परेशान मरीजों से जल्दी अप्वाइंटमेंट और सर्जरी के लिए रिश्वत लेता था. उसने एक बिचौलिये अवनेश पटेल को मरीजों से रिश्वत लेने के लिए लगाया हुआ था.
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पटेल मरीजों से रिश्वत के लिए संपर्क करता था. साथ ही सर्जरी में इस्तेमाल होने वाले इम्प्लांट को उनकी तय कीमत से काफी ज्यादा राशि में खरीदने के लिए जंगपुरा स्थित एक दुकान पर भेजता था. उपकरण की तय राशि से ज्यादा की रकम डॉक्टर मनीष को रिश्वत के रूप में दी जाती थी. सीबीआई के मुताबिक डॉक्टर मनीष रावत ने अवैध रूप से कमाई कर करीब ढाई करोड़ रुपये की संपत्ति अर्जित की है.
सीबीआई के मुताबिक डॉक्टर रावत ने मरीजों को 30 हजार से लेकर एक लाख 15 हजार रुपये तक की रिश्वत एक बिचौलिया के बैंक खाते में जमा कराने के लिए कहा था. डॉक्टर रावत मरीजों से दीपक खट्टर की कंपनी कनिष्क सर्जरी से ही उपकरण खरीदने के लिए कहता था.
सीबीआई के मुताबिक डॉक्टर रावत की पत्नी के लॉकर में 69 लाख रुपये के गहने भी मिले थे. रावत दंपत्ति के पास 3.39 करोड़ रुपये थे और उनका सालाना खर्च 1.16 करोड़ रुपये था. सीबीआई के मुताबिक डॉक्टर रावत ने नोएडा और उत्तराखंड के हल्द्वानी में 3.47 करोड़ रुपये की पांच अचल संपत्तियां अर्जित की हैं.
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