चंडीगढ़: इन दिनों कोरोना वैक्सीन के साइड इफेक्ट को लेकर चर्चाएं तेज है. दरअसल, वैक्सीन बनाने वाली कंपनी ने एक रिपोर्ट में माना है कि वैक्सीन लगाने के दुर्लभ साइडइफेक्ट्स हो सकते हैं. जब से ये खबर सामने आई है, लोगों में डर का माहौल बन गया है. अब इसको लेकर तरह-तरह की अफवाहें भी उड़ रही है. इसको लेकर चंडीगढ़ पीजीआई की डॉक्टर मधु गुप्ता ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की और वैक्सीन के साइडइफेक्ट्स के बारे में विस्तार से बताया.
वैक्सीन लगाने पर क्या समस्या आती है?: चंडीगढ़ पीजीआई के स्कूल और पब्लिक हेल्थ के प्रोफेसर डॉ. मधु गुप्ता ने बताया कि कोविशील्ड वैक्सीन लगने के 21-40 दिनों बाद टीटीएस का प्रभाव देखने को मिल सकता है. आपको बता दें कि वैक्सीन बनाने वाली कंपनी एस्ट्राजेनेका ने लंदन की अदालत में माना है कि वैक्सीन लगाने वाले लोगों में खून का थक्का जमना या प्लेटलेट्स की संख्या घटने जैसी समस्याएं देखी जा सकती है.
क्या कहते हैं पीजीआई के एक्सपर्ट्स: पीजीआई के कोविशील्ड के ट्रायल की भी प्रमुख रह चुकी सामुदायिक चिकित्सा विभाग की प्रोफेसर मधु गुप्ता का कहना है कि यह रिपोर्ट आज से दो साल पहले पब्लिश हुई थी. जिन लोगों ने वैक्सीन लगाई है, उन्हें अब चिंता करने की जरूरत नहीं है. भारत सरकार ने यह संभावित जोखिम को ध्यान में रखते हुए 2021 में एडवायजरी जारी की थी. जिसमें कहा गया था कि जिन्हें पहले से ही कोई बीमारी है वे इस वैक्सीन को न लगाएं.
'सरकार ने जारी की थी एडवाइडरी': डॉ. मधु ने बताया कि 2021 में सरकार की ओर से जारी एडवाइडरी विशेष रूप पर इस दुर्लभ प्रभाव को देखते हुए जारी की गई थी. इस तरह की घटनाओं के लक्षण वाले व्यक्ति को कोई दूसरी खुराक नहीं दी जानी चाहिए. वहीं, सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के आंकड़ों में पता चलता है कि दूर प्रभाव 7 करोड़ टीकाकरण में से सिर्फ एक प्रतिशत में ही ऐसा है कि जिनमें थ्रोम्बोसिस विद थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम (टीटीएस) नामक समस्या का कारण बन सकती है. जिन स्वास्थ्य कर्मचारियों को टीका लगाया गया था. उनकी निगरानी भी रखी गई.'
वैक्सीन लगाने वालों को डरने की जरूरत नहीं': उन्होंने बताया कि कोविशील्ड को लेकर देशभर में 17 केंद्र को साथ लेते हुए तीन ह्यूमन ट्रायल हुए थे. जिनमें पीजीआई भी शामिल था. उस दौरान पीजीआई में इस वैक्सीन को लेने के लिए 250 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया था. लेकिन उनमें से किसी को भी टीटीएस देखने को नहीं मिला. उन्होंने बताया कि ह्यूमन ट्रायल में देश भर में 1600 प्रभावशाली शामिल थे. इनमें से किसी को भी इस बीमारी की पुष्टि नहीं हुई है.
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