लखनऊ : उत्तर प्रदेश अल्पसंख्यक कांग्रेस 6 से 22 दिसंबर तक अभियान चलाएगा. इसके तहत देश के मुख्य न्यायाधीश को एक लाख पत्र भेजे जाएंगे. कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव और उत्तर प्रदेश अल्पसंख्यक कांग्रेस के अध्यक्ष शाहनवाज आलम ने इस पर विस्तार से जानकारी दी. दलित समाज को भी पर्चा बांटने की बात कही.
शाहनवाज आलम ने बताया कि अगर आज पूजा स्थल अधिनियम का उल्लंघन हो रहा है तो कल जमींदारी उन्मूलन कानून का भी उल्लंघन होगा. पुराने जमींदारों के परिजन दलितों को बांटी गई जमीन का कागज लेकर फिर से उस पर दावा करने लगेंगे. जब यह कानून बना था तब आरएसएस और जनसंघ ने इसका विरोध किया था.
वहीं पर्चे के माध्यम से यह भी बताया जाएगा कि संविधान को खतरा मुसलमानों से नहीं बल्कि आरएसएस और भाजपा से है. अभियान में वकीलों, शिक्षकों, डॉक्टरों, मौलानाओं, दलित बुद्धिजीवीयों से संपर्क किया जाएगा. इसके अलावा सोशल मीडिया, चौपालों और नुक्कड़ सभाओं के माध्यम से भी न्यायपालिका के सांप्रदायिक और दलित विरोधी रवैये पर लोगों को जागरूक किया जाएगा.
शाहनवाज आलम ने बताया कि 1991 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने पूजा स्थल अधिनियम बनाया था, जिसे देश की दोनों सदनों ने सर्वसम्मति से पास किया था. अधिनियम में कहा गया था कि 15 अगस्त 1947 तक उपासना स्थलों का जो भी चरित्र था वो वैसे ही रहेगा. उसे चुनौती देने वाली कोई याचिका किसी कोर्ट में स्वीकार नहीं हो सकती.
उन्होंने कहा कि इस अधिनियम का उल्लंघन हो रहा है. अभियान के तहत एक लाख लोग पत्र भेजकर मुख्य न्यायाधीश से पूछेंगे कि वो कानून की अवमानना पर चुप क्यों हैं. वहीं यह सवाल भी पूछा जाएगा कि मुसलमानों के खिलाफ राज्य प्रायोजित हिंसा पर अदालतें संविधान के आर्टिकल 32 और 226 के तहत स्वतः संज्ञान क्यों नहीं लेतीं, जबकि पर्यावरण के मुद्दों पर वह मीडिया की रिपोर्टों पर भी हस्तक्षेप करती हैं.