देहरादूनः उत्तराखंड कांग्रेस छोड़कर पीके अग्रवाल और उनकी पत्नी लक्ष्मी अग्रवाल ने भाजपा का दामन थाम लिया है. दूसरी तरफ कांग्रेस ने भी दोनों के द्वारा भाजपा में शामिल होने से चंद मिनटों पहले दोंनों को पार्टी विरोधी गतिविधियों के चलते उनके दायित्वों से मुक्त करते हुए कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से 6 साल के लिए निष्कासित कर दिया. वर्तमान में लक्ष्मी अग्रवाल कांग्रेस की पछवादून जिलाध्यक्ष का दायित्व संभाल रही थीं. जबकि पीके अग्रवाल कांग्रेस के पूर्व प्रदेश महामंत्री रह चुके हैं.
उत्तराखंड कांग्रेस का कहना है कि ऐसे नेता भाजपा को मुबारक, जो अक्सर पाला बदलते रहते हैं. कांग्रेस की प्रदेश प्रवक्ता गरिमा का कहना है कि ऐसे नेता भरोसेमंद नहीं रहते. इसलिए कांग्रेस पार्टी को ऐसे नेताओं की कोई जरूरत नहीं है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस के पास मुट्ठी भर ही सही, लेकिन निष्ठावान और समर्पित कार्यकर्ता चाहिए. गरिमा ने कहा कि कांग्रेस को ऐसे नेताओं की कोई आवश्यकता नहीं जो हल्के पत्तों की तरह इधर से उधर उड़ कर चले जाएं. ऐसे अवसरवादी और लालची नेता भारतीय जनता पार्टी को मुबारक हों.
गरिमा ने आगे कहा कि जिस तरह भाजपा 'भानुमति का पिटारा' की तरह इधर-उधर से नेताओं को जोड़ रही है. उससे भाजपा के अपने कार्यकर्ता अवसाद ग्रस्त होते जा रहे हैं. उनके सपने चकनाचूर हो रहे हैं. उन्होंने 2016 का जिक्र करते हुए कहा कि 2016 में कांग्रेस के भीतर बड़ी टूट हुई थी. तब 10 से 11 लोग भाजपा में चले गए थे. उस दौरान भाजपा ने अपने कार्यकर्ताओं का दमन करते हुए इन सभी नेताओं को विधानसभा का टिकट देकर चुनाव लड़वाया. आधा दर्जन से अधिक कांग्रेस गोत्र के विधायकों के जीतने के बाद उन्हें मंत्रिमंडल में जगह दी गई. गरिमा का कहना है कि भाजपा के पास इन नेताओं की कोई ना कोई कमजोरी होगी, तभी यह नेता भाजपा का दामन थाम रहे हैं.
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