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कांग्रेस नेताओं की अपनी-अपनी यात्राओं के क्या हैं मायने, चुनाव में फायदा या होगा नुकसान! - Haryana Congress Factionalism

Haryana Congress Factionalism: हरियाणा में विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस पूरी तैयारी के साथ मैदान में उतरी है. कांग्रेस सांसद कुमारी सैलजा ने कांग्रेस संदेश यात्रा का ऐलान किया है. वहीं, सैलजा ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर एक पोस्टर भी शेयर किया है. खास बात ये है कि पोस्टर से पूर्व सीएम हुड्डा, पार्टी प्रदेशाध्यक्ष उदयभान और प्रदेश इंचार्ज दीपक बाबरिया की फोटो गायब है.

Haryana Congress Factionalism
Haryana Congress Factionalism (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Jul 27, 2024, 7:51 AM IST

Updated : Jul 27, 2024, 7:58 AM IST

चंडीगढ़: हरियाणा में कांग्रेस पार्टी की गुटबाजी की बात आज की नहीं है. सालों से प्रदेश में कांग्रेस दो धड़ों में बंटी हुई है. एक गुट नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा का है तो दूसरा गुट कुमारी सैलजा का है. जिसे किरण चौधरी के कांग्रेस में रहते हुए एसआरके गुट कहा जाता था. लेकिन किरण चौधरी के बीजेपी में शामिल होने के बाद जहां अब यह गुट SRB गुट बनता दिखाई दे रहा है. तो वहीं, कांग्रेस के यह दोनों गुट अपनी-अपनी यात्रा के सहारे हरियाणा में विधानसभा चुनाव जीतने की तैयारी में जुट गए हैं.

हरियाणा मांगे हिसाब बनाम कांग्रेस संदेश यात्रा: प्रदेश में विधानसभा चुनाव का बिगुल बजने से पहले कांग्रेस नेता अपनी-अपनी ताकत दिखाने में जुट गए हैं. एक तरफ हरियाणा कांग्रेस ने दीपेंद्र हुड्डा की अगुवाई में हरियाणा मांगे हिसाब यात्रा निकली. तो वहीं, अब कुमारी सैलजा भी अंबाला से कांग्रेस संदेश पद यात्रा निकाल रही हैं. यानी कांग्रेस की गुटबाजी थमने का नाम नहीं ले रही है. हालांकि दोनों यात्राओं का मकसद बीजेपी को तीसरी बार सत्ता में वापसी करने से रोकना है. वहीं, बता दें कि हरियाणा मांगे हिसाब यात्रा का जब हुड्डा गुट ने पोस्टर जारी किया था, तो उसमें कुमारी सैलजा की फोटो गायब थी. अब कुमारी सैलजा की कांग्रेस संदेश यात्रा के पोस्टर से हुड्डा गुट के नेता गायब है.

हरियाणा मांगे हिसाब यात्रा को पार्टी के लोकसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा लीड कर रहे हैं. जिसको देखते हुए राजनीतिक गलियारों में यह भी चर्चा भी है कि इस कार्यक्रम के हुड्डा गुट दीपेंद्र हुड्डा को भावी सीएम के तौर पर प्रोजेक्ट कर रहा है. यह बात इसलिए भी हो रही है क्योंकि यह कार्यक्रम हरियाणा कांग्रेस का था. लेकिन इस कार्यक्रम से कुमारी सैलजा और उनके साथी रणदीप सुरजेवाला और चौधरी बीरेंद्र सिंह दूर रहे.

एक तरफ हरियाणा मांगे हिसाब चल रहा है, तो अब वहीं पार्टी के वरिष्ठ नेता लोकसभा सांसद कुमारी सैलजा कांग्रेस संदेश पदयात्रा 27 जुलाई से खासतौर पर जीटी रोड बेल्ट को साधने के लिए निकाल रही हैं. अंबाला से शुरू होने वाली इस पद यात्रा में पार्टी के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा रणदीप सुरजेवाला और बीरेंद्र सिंह भी शामिल होंगे. यानी हरियाणा मांगे हिसाब यात्रा से दूर रहे यह नेता कुमारी सैलजा के साथ नजर आएंगे. इसलिए सोशल मीडिया में इस गुट को एसआरबी गुट भी कहा जा रहा है.

दोनो यात्राओं का एक ही मकसद!: भले ही हरियाणा कांग्रेस के दोनों गुट अलग-अलग यात्रा निकाल रहे है. मीडिया इस पर सवाल भी उठा रहा हो. लेकिन अलग अलग यात्रा निकलने पर हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष पहले ही कह चुके हैं कि अलग यात्रा का मकसद पार्टी विरोधी नहीं है. बल्कि कांग्रेस का ही प्रचार प्रसार करना है, इसलिए इसमें कोई दिक्कत की बात नहीं है.

ऐसा दिखता भी है, हरियाणा मांगे हिसाब यात्रा के टारगेट जीटी रोड बेल्ट रही. वहीं कुमारी सैलजा की कांग्रेस संदेश यात्रा का टारगेट भी जीटी रोड बेल्ट है. वहीं, बीजेपी 2014 हो या फिर 2019 इसी बेल्ट के सहारे हरियाणा की सत्ता में आई थी. पार्टी इस बार भी इसी के सहारे तीसरी बार जीत की हैट्रिक लगाना चाह रही है. कांग्रेस इस बात को भली-भांति जानती है. भले ही नेता यात्राएं अलग अलग निकल रहे हो. लेकिन इनका मकसद एक ही दिख रहा है कि किसी तरह बीजेपी के जीटी रोड बेल्ट मिशन को डिरेल किया जाए. हालांकि जनता अलग अलग यात्राओं को किस राजनीतिक चश्मे से देखती है वह बात अलग है.

यात्राओं का संदेश, फायदा या होगा नुकसान?: इन सवालों को लेकर राजनीतिक मामलों के जानकार धीरेंद्र अवस्थी कहते हैं कि कांग्रेस की गुटबाजी कोई नई बात नहीं है. इसलिए इस पर बार बार चर्चा करने से पार्टी का ज्यादा नुकसान होता दिखाई नहीं देता है. वे कहते हैं कि इस वक्त कांग्रेस का एक ही मकसद है. वह यह कि बीजेपी को तीसरी बार हरियाणा की सत्ता में आने से रोका जाए. इसी वजह से कांग्रेस का इस बार फोकस भी जीटी रोड बेल्ट और दक्षिण हरियाणा है. क्योंकि यह वही इलाके हैं, जहां बीजेपी खुद को मजबूत मानती है.

वे कहते हैं कि इसी मकसद के साथ पार्टी के नेता यात्राएं निकाल रहे हैं कि लोगों को कांग्रेस के पक्ष में ज्यादा से ज्यादा खड़ा किया जाए. वे कहते हैं कि अलग अलग यात्राएं भले ही नेता निकाल रहे हों. इसका कांग्रेस को नुकसान नहीं होगा. क्योंकि मकसद दोनों गुटों का बीजेपी को हराना ही है. वे कहते हैं कि नेता अगर इस दौरान पार्टी विरोधी कोई बयान नहीं देते हैं और कांग्रेस को मजबूत करने की बात करते हैं. तो फिर पार्टी को इसमें कोई आपत्ति भी दिखाई नहीं देती है. नुकसान तब हो सकता है, जब वे एक दूसरे के खिलाफ बयान देने के लिए अपने मंच का इस्तेमाल करें.

ये भी पढ़ें: मोदी सरकार ने किया MSP गारंटी कानून बनाने से इंकार, 72 करोड़ किसान-मजदूर का अपमान- रणदीप सुरजेवाला - Randeep Surjewala on MSP

ये भी पढ़ें: 'किसान दिल्ली नहीं तो क्या लाहौर जाएं?' हिसार में बीजेपी पर बरसे पंजाब के सीएम, बोले- सरकार बनने पर लागू करेंगे केजरीवाल की गारंटी - Aam Aadmi Party Rally in Hisar

चंडीगढ़: हरियाणा में कांग्रेस पार्टी की गुटबाजी की बात आज की नहीं है. सालों से प्रदेश में कांग्रेस दो धड़ों में बंटी हुई है. एक गुट नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा का है तो दूसरा गुट कुमारी सैलजा का है. जिसे किरण चौधरी के कांग्रेस में रहते हुए एसआरके गुट कहा जाता था. लेकिन किरण चौधरी के बीजेपी में शामिल होने के बाद जहां अब यह गुट SRB गुट बनता दिखाई दे रहा है. तो वहीं, कांग्रेस के यह दोनों गुट अपनी-अपनी यात्रा के सहारे हरियाणा में विधानसभा चुनाव जीतने की तैयारी में जुट गए हैं.

हरियाणा मांगे हिसाब बनाम कांग्रेस संदेश यात्रा: प्रदेश में विधानसभा चुनाव का बिगुल बजने से पहले कांग्रेस नेता अपनी-अपनी ताकत दिखाने में जुट गए हैं. एक तरफ हरियाणा कांग्रेस ने दीपेंद्र हुड्डा की अगुवाई में हरियाणा मांगे हिसाब यात्रा निकली. तो वहीं, अब कुमारी सैलजा भी अंबाला से कांग्रेस संदेश पद यात्रा निकाल रही हैं. यानी कांग्रेस की गुटबाजी थमने का नाम नहीं ले रही है. हालांकि दोनों यात्राओं का मकसद बीजेपी को तीसरी बार सत्ता में वापसी करने से रोकना है. वहीं, बता दें कि हरियाणा मांगे हिसाब यात्रा का जब हुड्डा गुट ने पोस्टर जारी किया था, तो उसमें कुमारी सैलजा की फोटो गायब थी. अब कुमारी सैलजा की कांग्रेस संदेश यात्रा के पोस्टर से हुड्डा गुट के नेता गायब है.

हरियाणा मांगे हिसाब यात्रा को पार्टी के लोकसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा लीड कर रहे हैं. जिसको देखते हुए राजनीतिक गलियारों में यह भी चर्चा भी है कि इस कार्यक्रम के हुड्डा गुट दीपेंद्र हुड्डा को भावी सीएम के तौर पर प्रोजेक्ट कर रहा है. यह बात इसलिए भी हो रही है क्योंकि यह कार्यक्रम हरियाणा कांग्रेस का था. लेकिन इस कार्यक्रम से कुमारी सैलजा और उनके साथी रणदीप सुरजेवाला और चौधरी बीरेंद्र सिंह दूर रहे.

एक तरफ हरियाणा मांगे हिसाब चल रहा है, तो अब वहीं पार्टी के वरिष्ठ नेता लोकसभा सांसद कुमारी सैलजा कांग्रेस संदेश पदयात्रा 27 जुलाई से खासतौर पर जीटी रोड बेल्ट को साधने के लिए निकाल रही हैं. अंबाला से शुरू होने वाली इस पद यात्रा में पार्टी के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा रणदीप सुरजेवाला और बीरेंद्र सिंह भी शामिल होंगे. यानी हरियाणा मांगे हिसाब यात्रा से दूर रहे यह नेता कुमारी सैलजा के साथ नजर आएंगे. इसलिए सोशल मीडिया में इस गुट को एसआरबी गुट भी कहा जा रहा है.

दोनो यात्राओं का एक ही मकसद!: भले ही हरियाणा कांग्रेस के दोनों गुट अलग-अलग यात्रा निकाल रहे है. मीडिया इस पर सवाल भी उठा रहा हो. लेकिन अलग अलग यात्रा निकलने पर हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष पहले ही कह चुके हैं कि अलग यात्रा का मकसद पार्टी विरोधी नहीं है. बल्कि कांग्रेस का ही प्रचार प्रसार करना है, इसलिए इसमें कोई दिक्कत की बात नहीं है.

ऐसा दिखता भी है, हरियाणा मांगे हिसाब यात्रा के टारगेट जीटी रोड बेल्ट रही. वहीं कुमारी सैलजा की कांग्रेस संदेश यात्रा का टारगेट भी जीटी रोड बेल्ट है. वहीं, बीजेपी 2014 हो या फिर 2019 इसी बेल्ट के सहारे हरियाणा की सत्ता में आई थी. पार्टी इस बार भी इसी के सहारे तीसरी बार जीत की हैट्रिक लगाना चाह रही है. कांग्रेस इस बात को भली-भांति जानती है. भले ही नेता यात्राएं अलग अलग निकल रहे हो. लेकिन इनका मकसद एक ही दिख रहा है कि किसी तरह बीजेपी के जीटी रोड बेल्ट मिशन को डिरेल किया जाए. हालांकि जनता अलग अलग यात्राओं को किस राजनीतिक चश्मे से देखती है वह बात अलग है.

यात्राओं का संदेश, फायदा या होगा नुकसान?: इन सवालों को लेकर राजनीतिक मामलों के जानकार धीरेंद्र अवस्थी कहते हैं कि कांग्रेस की गुटबाजी कोई नई बात नहीं है. इसलिए इस पर बार बार चर्चा करने से पार्टी का ज्यादा नुकसान होता दिखाई नहीं देता है. वे कहते हैं कि इस वक्त कांग्रेस का एक ही मकसद है. वह यह कि बीजेपी को तीसरी बार हरियाणा की सत्ता में आने से रोका जाए. इसी वजह से कांग्रेस का इस बार फोकस भी जीटी रोड बेल्ट और दक्षिण हरियाणा है. क्योंकि यह वही इलाके हैं, जहां बीजेपी खुद को मजबूत मानती है.

वे कहते हैं कि इसी मकसद के साथ पार्टी के नेता यात्राएं निकाल रहे हैं कि लोगों को कांग्रेस के पक्ष में ज्यादा से ज्यादा खड़ा किया जाए. वे कहते हैं कि अलग अलग यात्राएं भले ही नेता निकाल रहे हों. इसका कांग्रेस को नुकसान नहीं होगा. क्योंकि मकसद दोनों गुटों का बीजेपी को हराना ही है. वे कहते हैं कि नेता अगर इस दौरान पार्टी विरोधी कोई बयान नहीं देते हैं और कांग्रेस को मजबूत करने की बात करते हैं. तो फिर पार्टी को इसमें कोई आपत्ति भी दिखाई नहीं देती है. नुकसान तब हो सकता है, जब वे एक दूसरे के खिलाफ बयान देने के लिए अपने मंच का इस्तेमाल करें.

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Last Updated : Jul 27, 2024, 7:58 AM IST
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