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Delhi: अबकी बार युवाओं और महिलाओं पर कांग्रेस का जोर, विधानसभा चुनाव में शून्य सीट से आगे बढ़ने की रणनीति

दिल्ली विधानसभा चुनाव की तैयारियों में कांग्रेस पूरी तरीके से जुट गई है. पार्टी इस बार सभी 70 सीटों पर योग्य उम्मीदवारों को टिकट देगी.

दिल्ली विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस हुई एक्टिव
दिल्ली विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस हुई एक्टिव (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : 2 hours ago

नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा के लगातार दो चुनावों में शून्य सीट हासिल करने वाली कांग्रेस, इस बार सभी सीटों के लिए योग्य उम्मीदवारों की तलाश कर रही है. आम आदमी पार्टी पहले से ही चुनावी मोड में आ चुकी है. पार्टी के तमाम नेता अलग-अलग विधानसभाओं में पदयात्रा शुरू कर लोगों से वोट देने की अपील कर रहे हैं. दूसरी तरफ विधानसभा में विपक्ष में बैठी भाजपा भी केजरीवाल सरकार की विफलताओं को गिनाकर दिल्लीवालों से अबकी बार भाजपा के पक्ष में वोट मांग रहे हैं.

इधर, कांग्रेस ने प्रदेश स्तर के नेताओं को सभी विधानसभा सीटों के लिए योग्य उम्मीदवार तलाशने का टास्क दिया है. हालांकि, इस संबंध में अभी औपचारिक ऐलान नहीं किया गया है. लेकिन पार्टी के पुराने नेता जो दिल्ली से सांसद, विधायक, मंत्री रह चुके हैं वह अपने-अपने क्षेत्र से योग्य उम्मीदवारों के नाम प्रस्तावित कर उसे स्क्रीनिंग कमेटी के पास भेजने में जुट गए हैं. पार्टी सूत्रों के अनुसार, हरियाणा चुनाव में अप्रत्याशित नतीजे के बाद कांग्रेस पुराने फार्मूले पर नहीं बल्कि उन उम्मीदवारों की तलाश में जुट गई है, जो विजेता हो सकते हैं.

दिल्ली चुनाव कांग्रेस के लिए अहम: पुरानी दिल्ली में पार्टी की मीटिंग में प्रदेश अध्यक्ष देवेंद्र यादव ने कहा कि आम आदमी पार्टी की सरकार से पहले दिल्ली में वर्ष 1998 से 2013 तक लगातार कांग्रेस की सरकार रही थी. उसके बाद से कांग्रेस शून्य में चली गई. पिछले एक दशक से कांग्रेस दिल्ली के चुनावी राजनीति में बाहर है. पिछले दो विधानसभा चुनाव में पार्टी का खाता तक नहीं खुला. ऐसे में इस बार होने वाले विधानसभा चुनाव कांग्रेस के लिए काफी अहम है. कार्यकर्ताओं से बिना समय गंवाए चुनाव के लिए जुट जाने की अपील की.

जीतने वाले प्रत्याशियों को कांग्रेस देगी टिकट: अब तक माना जा रहा था कि पार्टी के पूर्व विधायक, पूर्व मंत्री और पूर्व सांसद को दिल्ली के चुनावी मैदान में उतरने की योजना थी, उनकी दावेदारी को प्राथमिकता दी जा रही थी, लेकिन अब इस पर पुनर्विचार हो रहा है. पिछले दो विधानसभा चुनाव में तकरीबन उन सभी नेताओं को पार्टी ने टिकट दिया था, जो पहले मंत्री और सांसद रह चुके हैं. लेकिन उनका प्रदर्शन भी निराशाजनक रहा. उन्हें सफलता नहीं मिली. ऐसे में अब यह तय किया जा रहा है कि प्रत्याशियों का चयन केवल पूर्व विधायक या मंत्री तक ही सीमित कर नहीं रखा जाएगा. जो प्रत्याशी जीत की दावेदारी में मजबूत दिखेंगे, चाहे वह नए चेहरे हो या युवा नेता, उनका तवज्जो मिलने की संभावना अधिक है.

राहुल गांधी की मौजूदगी में स्वराज अभियान से जुड़े हुए सैकड़ो युवाओं को पार्टी में शामिल किया गया और इनमें से कुछ युवाओं के साथ उन्होंने मीटिंग भी की.
राहुल गांधी की मौजूदगी में स्वराज अभियान से जुड़े हुए सैकड़ो युवाओं को पार्टी में शामिल किया गया और इनमें से कुछ युवाओं के साथ उन्होंने मीटिंग भी की. (etv bharat)

नए विजन के साथ राजनीति में आने वाले को भी टिकट: इस बार कांग्रेस युवा व महिला वर्ग के उन नेताओं को अधिक मौका देने की कोशिश में है, जो नए विजन के साथ राजनीति में आने और दिल्ली के विकास की बात सोचते हैं. पिछले दिनों राहुल गांधी की मौजूदगी में स्वराज अभियान से जुड़े सैकड़ों युवाओं को पार्टी में शामिल किया गया और इनमें से कुछ युवाओं के साथ राहुल गांधी ने मीटिंग भी की थी. इसे भी दिल्ली चुनाव के लिए प्रत्याशियों के चयन की प्रक्रिया से ही जोड़कर देखा जा रहा है. पार्टी के अन्य शीर्ष नेताओं के अलग-अलग कामगार लोगों से मुलाकात, उनके साथ समय बिताने और सूचना हासिल कर वह कैसे विधायक चाहते हैं यह एकत्रित करने के निर्देश दिए गए हैं.

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नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा के लगातार दो चुनावों में शून्य सीट हासिल करने वाली कांग्रेस, इस बार सभी सीटों के लिए योग्य उम्मीदवारों की तलाश कर रही है. आम आदमी पार्टी पहले से ही चुनावी मोड में आ चुकी है. पार्टी के तमाम नेता अलग-अलग विधानसभाओं में पदयात्रा शुरू कर लोगों से वोट देने की अपील कर रहे हैं. दूसरी तरफ विधानसभा में विपक्ष में बैठी भाजपा भी केजरीवाल सरकार की विफलताओं को गिनाकर दिल्लीवालों से अबकी बार भाजपा के पक्ष में वोट मांग रहे हैं.

इधर, कांग्रेस ने प्रदेश स्तर के नेताओं को सभी विधानसभा सीटों के लिए योग्य उम्मीदवार तलाशने का टास्क दिया है. हालांकि, इस संबंध में अभी औपचारिक ऐलान नहीं किया गया है. लेकिन पार्टी के पुराने नेता जो दिल्ली से सांसद, विधायक, मंत्री रह चुके हैं वह अपने-अपने क्षेत्र से योग्य उम्मीदवारों के नाम प्रस्तावित कर उसे स्क्रीनिंग कमेटी के पास भेजने में जुट गए हैं. पार्टी सूत्रों के अनुसार, हरियाणा चुनाव में अप्रत्याशित नतीजे के बाद कांग्रेस पुराने फार्मूले पर नहीं बल्कि उन उम्मीदवारों की तलाश में जुट गई है, जो विजेता हो सकते हैं.

दिल्ली चुनाव कांग्रेस के लिए अहम: पुरानी दिल्ली में पार्टी की मीटिंग में प्रदेश अध्यक्ष देवेंद्र यादव ने कहा कि आम आदमी पार्टी की सरकार से पहले दिल्ली में वर्ष 1998 से 2013 तक लगातार कांग्रेस की सरकार रही थी. उसके बाद से कांग्रेस शून्य में चली गई. पिछले एक दशक से कांग्रेस दिल्ली के चुनावी राजनीति में बाहर है. पिछले दो विधानसभा चुनाव में पार्टी का खाता तक नहीं खुला. ऐसे में इस बार होने वाले विधानसभा चुनाव कांग्रेस के लिए काफी अहम है. कार्यकर्ताओं से बिना समय गंवाए चुनाव के लिए जुट जाने की अपील की.

जीतने वाले प्रत्याशियों को कांग्रेस देगी टिकट: अब तक माना जा रहा था कि पार्टी के पूर्व विधायक, पूर्व मंत्री और पूर्व सांसद को दिल्ली के चुनावी मैदान में उतरने की योजना थी, उनकी दावेदारी को प्राथमिकता दी जा रही थी, लेकिन अब इस पर पुनर्विचार हो रहा है. पिछले दो विधानसभा चुनाव में तकरीबन उन सभी नेताओं को पार्टी ने टिकट दिया था, जो पहले मंत्री और सांसद रह चुके हैं. लेकिन उनका प्रदर्शन भी निराशाजनक रहा. उन्हें सफलता नहीं मिली. ऐसे में अब यह तय किया जा रहा है कि प्रत्याशियों का चयन केवल पूर्व विधायक या मंत्री तक ही सीमित कर नहीं रखा जाएगा. जो प्रत्याशी जीत की दावेदारी में मजबूत दिखेंगे, चाहे वह नए चेहरे हो या युवा नेता, उनका तवज्जो मिलने की संभावना अधिक है.

राहुल गांधी की मौजूदगी में स्वराज अभियान से जुड़े हुए सैकड़ो युवाओं को पार्टी में शामिल किया गया और इनमें से कुछ युवाओं के साथ उन्होंने मीटिंग भी की.
राहुल गांधी की मौजूदगी में स्वराज अभियान से जुड़े हुए सैकड़ो युवाओं को पार्टी में शामिल किया गया और इनमें से कुछ युवाओं के साथ उन्होंने मीटिंग भी की. (etv bharat)

नए विजन के साथ राजनीति में आने वाले को भी टिकट: इस बार कांग्रेस युवा व महिला वर्ग के उन नेताओं को अधिक मौका देने की कोशिश में है, जो नए विजन के साथ राजनीति में आने और दिल्ली के विकास की बात सोचते हैं. पिछले दिनों राहुल गांधी की मौजूदगी में स्वराज अभियान से जुड़े सैकड़ों युवाओं को पार्टी में शामिल किया गया और इनमें से कुछ युवाओं के साथ राहुल गांधी ने मीटिंग भी की थी. इसे भी दिल्ली चुनाव के लिए प्रत्याशियों के चयन की प्रक्रिया से ही जोड़कर देखा जा रहा है. पार्टी के अन्य शीर्ष नेताओं के अलग-अलग कामगार लोगों से मुलाकात, उनके साथ समय बिताने और सूचना हासिल कर वह कैसे विधायक चाहते हैं यह एकत्रित करने के निर्देश दिए गए हैं.

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