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डीयू के शताब्दी अवसर से 9 साल बाद पूरी की पढ़ाई, अब 100वें दीक्षांत समारोह में मिली डिग्री - DU 100th convocation

दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) का 100वां दीक्षांत समारोह शनिवार को आयोजित हुआ. इस मौके पर 9 साल पहले छूटी हुई पढ़ाई पूरी करके डिग्री लेने का मिला मौका तो दिल्ली की वृंदा गुप्ता हैदराबाद से दौड़ी चली आई.

डीयू के शताब्दी अवसर से 9 साल बाद पूरी की पढ़ाई
डीयू के शताब्दी अवसर से 9 साल बाद पूरी की पढ़ाई
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Feb 24, 2024, 7:53 PM IST

डीयू के शताब्दी अवसर से 9 साल बाद पूरी की पढ़ाई

नई दिल्लीः दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) का 100वां दीक्षांत समारोह कई मायनों में छात्र-छात्राओं के लिए यादगार रहा. इसमें कई नई चीजें हुई. जिनमें पहली बार अलग-अलग रंग के अंगवस्त्र का इस्तेमाल, डिग्री में 17 नए फीचर और शताब्दी अवसर का लाभ उठाकर अपने छूटे हुए कोर्स का पेपर देकर डिग्री पूरी करने वाले छात्र-छात्राओं को भी डिग्रियां प्रदान की गई. इन्हीं शताब्दी अवसर वाले छात्र-छात्राओं में से एक थीं दिल्ली की निवासी वृंदा गुप्ता.

वृंदा ने बताया कि उन्होंने डीयू के फैकल्टी ऑफ मैथमेटिकल साइंस से मास्टर्स की पढ़ाई की थी. मास्टर्स के अंतिम वर्ष 2015 में इकोनोमेट्रिक्स के पेपर में वह फेल हो गई थी, जिसकी वजह से उनका मास्टर्स कंप्लीट नहीं हो पाया था. अंत में उन्होंने कोर्स को छोड़ दिया. इसके बाद उन्हें तेलंगाना के हैदराबाद में डेटा साइंटिस्ट के तौर पर नौकरी मिल गई. फिर वह नौकरी में लग गई. उन्होंने डीयू के किरोड़ीमल कॉलेज से वर्ष 2013 में सांख्यिकी में बैचलर डिग्री ली थी. बैचलर डिग्री से नौकरी तो मिल गई थी. लेकिन, नौकरी में आगे बढ़ने के लिए मास्टर डिग्री की आवश्कता थी. लेकिन, मास्टर डिग्री के लिए फिर से दोबारा दाखिला लेकर जीरो से शुरूआत करना उनके लिए संभव नहीं था.

इसलिए उनको नौकरी में कई बार बिना प्रमोशन के रहना पड़ा. लेकिन, अचानक जब दिल्ली विश्वविद्यालय के 100 साल पूरे होने के अवसर पर डीयू ने वर्ष 2022 में किसी एक पेपर की वजह से अपनी पढ़ाई पूरी न होने की वजह से डिग्री प्राप्त नहीं कर पाने वाले छात्रों को मौका दिया तो उसमें उन्हें अपने लिए उम्मीद की किरण दिखाई दी. हालांकि, डीयू द्वारा पहली बार दिए गए शताब्दी अवसर का वह वर्ष 2022 में लाभ नहीं ले पाई.

लेकिन, जब डीयू कुलपति प्रोफेसर योगेश सिंह ने दोबारा वर्ष 2023 में भी छूटी हुई पढ़ाई पूरी कर डिग्री लेने वालों को एक और मौका दिया तो उन्होंने इकोनोमेट्रिक्स का पेपर देने के लिए आवेदन कर दिया. जब पेपर की तारीख छह मार्च 2023 नजदीक आई तो वह बीमार पड़ गई. परीक्षा के बारे में भी सात दिन पहले ही पता चला. इसलिए उन्होंने पांच दिन अस्पताल में बेड पर ही पढ़ाई कर पेपर की तैयारी की. फिर हैदराबाद से डीयू में पेपर देने के लिए दिल्ली आई.

वृंदा ने बताया कि अभी दो महीने पहले ही मेरा रिजल्ट आया और मैं पास हो गई. इस महीने जब मुझे 100वें दीक्षांत समारोह के बारे में पता चला तो मैं मन ही मन इस समारोह में अपनी डिग्री लेने के लिए बहुत उत्साहित थी. आज मुझे अपना 9 साल पहले छूटा हुआ पेपर देकर पढ़ाई पूरी होने के बाद डिग्री मिल रही है. आज मैं बहुत खुश हूं. अपने छोटे ढ़ाई साल के बच्चे और पति के साथ में फ्लाइट लेकर हैदराबाद से डिग्री लेने आई हूं. मैंने ये कभी नहीं सोचा था कि मुझे फिर से एक पेपर देने का मौका मिलेगा और डिग्री कंम्प्लीट हो जाएगी. अब नौकरी के प्रमोशन और अच्छे अवसर के लिए मेरे पास मास्टर डिग्री भी आ गई है, जिसकी मुझे काफी समय से जरूरत थी.

डीयू के शताब्दी अवसर से 9 साल बाद पूरी की पढ़ाई

नई दिल्लीः दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) का 100वां दीक्षांत समारोह कई मायनों में छात्र-छात्राओं के लिए यादगार रहा. इसमें कई नई चीजें हुई. जिनमें पहली बार अलग-अलग रंग के अंगवस्त्र का इस्तेमाल, डिग्री में 17 नए फीचर और शताब्दी अवसर का लाभ उठाकर अपने छूटे हुए कोर्स का पेपर देकर डिग्री पूरी करने वाले छात्र-छात्राओं को भी डिग्रियां प्रदान की गई. इन्हीं शताब्दी अवसर वाले छात्र-छात्राओं में से एक थीं दिल्ली की निवासी वृंदा गुप्ता.

वृंदा ने बताया कि उन्होंने डीयू के फैकल्टी ऑफ मैथमेटिकल साइंस से मास्टर्स की पढ़ाई की थी. मास्टर्स के अंतिम वर्ष 2015 में इकोनोमेट्रिक्स के पेपर में वह फेल हो गई थी, जिसकी वजह से उनका मास्टर्स कंप्लीट नहीं हो पाया था. अंत में उन्होंने कोर्स को छोड़ दिया. इसके बाद उन्हें तेलंगाना के हैदराबाद में डेटा साइंटिस्ट के तौर पर नौकरी मिल गई. फिर वह नौकरी में लग गई. उन्होंने डीयू के किरोड़ीमल कॉलेज से वर्ष 2013 में सांख्यिकी में बैचलर डिग्री ली थी. बैचलर डिग्री से नौकरी तो मिल गई थी. लेकिन, नौकरी में आगे बढ़ने के लिए मास्टर डिग्री की आवश्कता थी. लेकिन, मास्टर डिग्री के लिए फिर से दोबारा दाखिला लेकर जीरो से शुरूआत करना उनके लिए संभव नहीं था.

इसलिए उनको नौकरी में कई बार बिना प्रमोशन के रहना पड़ा. लेकिन, अचानक जब दिल्ली विश्वविद्यालय के 100 साल पूरे होने के अवसर पर डीयू ने वर्ष 2022 में किसी एक पेपर की वजह से अपनी पढ़ाई पूरी न होने की वजह से डिग्री प्राप्त नहीं कर पाने वाले छात्रों को मौका दिया तो उसमें उन्हें अपने लिए उम्मीद की किरण दिखाई दी. हालांकि, डीयू द्वारा पहली बार दिए गए शताब्दी अवसर का वह वर्ष 2022 में लाभ नहीं ले पाई.

लेकिन, जब डीयू कुलपति प्रोफेसर योगेश सिंह ने दोबारा वर्ष 2023 में भी छूटी हुई पढ़ाई पूरी कर डिग्री लेने वालों को एक और मौका दिया तो उन्होंने इकोनोमेट्रिक्स का पेपर देने के लिए आवेदन कर दिया. जब पेपर की तारीख छह मार्च 2023 नजदीक आई तो वह बीमार पड़ गई. परीक्षा के बारे में भी सात दिन पहले ही पता चला. इसलिए उन्होंने पांच दिन अस्पताल में बेड पर ही पढ़ाई कर पेपर की तैयारी की. फिर हैदराबाद से डीयू में पेपर देने के लिए दिल्ली आई.

वृंदा ने बताया कि अभी दो महीने पहले ही मेरा रिजल्ट आया और मैं पास हो गई. इस महीने जब मुझे 100वें दीक्षांत समारोह के बारे में पता चला तो मैं मन ही मन इस समारोह में अपनी डिग्री लेने के लिए बहुत उत्साहित थी. आज मुझे अपना 9 साल पहले छूटा हुआ पेपर देकर पढ़ाई पूरी होने के बाद डिग्री मिल रही है. आज मैं बहुत खुश हूं. अपने छोटे ढ़ाई साल के बच्चे और पति के साथ में फ्लाइट लेकर हैदराबाद से डिग्री लेने आई हूं. मैंने ये कभी नहीं सोचा था कि मुझे फिर से एक पेपर देने का मौका मिलेगा और डिग्री कंम्प्लीट हो जाएगी. अब नौकरी के प्रमोशन और अच्छे अवसर के लिए मेरे पास मास्टर डिग्री भी आ गई है, जिसकी मुझे काफी समय से जरूरत थी.

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