ETV Bharat / state

यूपी में कम्युनिस्ट पार्टी का बुरा हाल, किसी भी पार्टी ने नहीं पूछा, अब अकेले दम चुनाव मैदान में ठोकेंगी ताल - Lok Sabha elections 2024 - LOK SABHA ELECTIONS 2024

लोकसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है. किसी भी पार्टी के साथ गठबंधन नहीं होने से नाराज कम्युनिस्ट पार्टियां यूपी की आधा दर्जन (Lok Sabha elections 2024) सीटों पर लोकसभा चुनाव में अकेले दम ताल ठोंकने को तैयार हैं.

Etv Bharat
Etv Bharat
author img

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Apr 1, 2024, 4:32 PM IST

लखनऊ : पश्चिम बंगाल और केरल को छोड़ दिया जाए तो कम्युनिस्ट पार्टियों का हाल पूरे देश में बेहाल है. उत्तर प्रदेश में भी कमोबेश वामपंथी दलों का हाल बुरा ही है. देश में जब दर्जनों पार्टियों को मिलाकर 'INDIA' गठबंधन बना तो उत्तर प्रदेश की कम्युनिस्ट पार्टियों की भी उम्मीद जाग गई कि एक बार फिर यूपी में कम्युनिस्ट पार्टी अपना खाता खोलने में सफल होगी. उन्हें उम्मीद थी कि गठबंधन में नजर अंदाज नहीं किया जाएगा और सीटें जरूर मिलेंगी. कई बार कम्युनिस्ट पार्टियों के नेताओं ने सपा मुखिया अखिलेश यादव और कांग्रेस के आलाकमान से यूपी में चुनाव लड़ने के लिए सीटों का प्रस्ताव रखा. बातचीत हुई, लेकिन नतीजा सिफर रहा. कम्युनिस्ट पार्टी को सपा ने पूछा नहीं और कांग्रेस ने भी हाल-चाल नहीं लिया. लिहाजा, अब नाराज कम्युनिस्ट पार्टियां यूपी की आधा दर्जन सीटों पर लोकसभा चुनाव में अकेले दम ताल ठोंकने को तैयार हैं. विधानसभा उपचुनाव भी कम्युनिस्ट पार्टियां लड़ेंगी.

चुनाव मैदान में प्रत्याशी उतारने का फैसला : उत्तर प्रदेश में कम्युनिस्ट पार्टी भी चाहती तो गठबंधन में चुनाव लड़ना है, लेकिन उत्तर प्रदेश में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी ने पूछा ही नहीं. कम्युनिस्ट पार्टियों को सीट देने के बारे में ख्याल तक नहीं किया गया. इसी तरह का हाल 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव से पहले भी हुआ था. कम्युनिस्ट पार्टियां चाहती थीं कि समाजवादी पार्टी या कांग्रेस में से कोई भी उन्हें साथ लेते हुए सीटें दे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. लोकसभा चुनाव से पहले भी यही सिलसिला जारी रहा. ऐसे में थक हारकर अब कम्युनिस्ट पार्टियों ने अपने प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतारने का फैसला ले लिया है.

चुनिंदा लोकसभा सीटों पर उतारेंगे प्रत्याशी : भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के नेताओं का कहना है कि ''भाजपा हराओ देश बचाओ' के नारे के साथ वामपंथी दलों के साथ मिलकर लगातार संघर्षरत हैं. वह इंडी गठबंधन का हिस्सा हैं और पूरे देश में भाजपा को हराने का काम करेंगे. उत्तर प्रदेश में भी हम मिलकर लड़ने की प्रबल इच्छा रखते थे, लेकिन कुछ दलों ने संकीर्णता का परिचय देते हुये लोकसभा सीटों का बंदरबांट कर लिया. अपने जनाधार को संबोधित करने और भाजपा की जनविरोधी नीतियों को उजागर करते हुये उसे हराने और लोकसभा में भाकपा का प्रतिनिधित्व बढ़ाने के उद्देश्य से भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने कुछ चुनिंदा लोकसभा सीटों पर प्रत्याशी उतारने का निर्णय लिया है.'

शाहजहांपुर (सुरक्षित) कामरेड सुरेश कुमार 'नेताजी'
54 फैजाबाद कामरेड अरविंद सेन यादव (पूर्व आईपीएस)
68 लालगंज (सुरक्षित) कामरेड गंगा दीन
70 घोसी- कामरेड विनोद राय
80 राबर्ट्सगंज (सुरक्षित) - कामरेड अशोक कुमार कनौजिया
विधानसभा उपचुनाव के लिए प्रत्याशी
403- दुद्धी (सुरक्षित) - कामरेड दिनेश कुमार गोंड


राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य डॉ. गिरीश और राज्य सचिव अरविन्द राज स्वरूप का कहना है कि उत्तर प्रदेश में भाजपा से लड़ाई लड़ने के लिए सभी दलों का साथ रहना जरूरी है. उत्तर प्रदेश में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी इंडिया गठबंधन का हिस्सा है और कम्युनिस्ट पार्टी भी इस गठबंधन में शामिल है, लेकिन यहां पर इन दोनों पार्टियों ने आपस में ही सीटें तय कर लीं. कम्युनिस्ट पार्टी को पूछा तक नहीं. ऐसे में अब वामपंथी दल भी पीछे नहीं रहने वाले हैं. चुनाव मैदान में उतरकर अपना दम दिखाएंगे.

यह भी पढ़ें : क्या नेपाल में राजनीतिक घटनाक्रम के पीछे चीन का हाथ है?

यह भी पढ़ें : यूपी में 'लाल सलाम का काम तमाम', फिर भी ताल ठोकने में पीछे नहीं वामपंथी

लखनऊ : पश्चिम बंगाल और केरल को छोड़ दिया जाए तो कम्युनिस्ट पार्टियों का हाल पूरे देश में बेहाल है. उत्तर प्रदेश में भी कमोबेश वामपंथी दलों का हाल बुरा ही है. देश में जब दर्जनों पार्टियों को मिलाकर 'INDIA' गठबंधन बना तो उत्तर प्रदेश की कम्युनिस्ट पार्टियों की भी उम्मीद जाग गई कि एक बार फिर यूपी में कम्युनिस्ट पार्टी अपना खाता खोलने में सफल होगी. उन्हें उम्मीद थी कि गठबंधन में नजर अंदाज नहीं किया जाएगा और सीटें जरूर मिलेंगी. कई बार कम्युनिस्ट पार्टियों के नेताओं ने सपा मुखिया अखिलेश यादव और कांग्रेस के आलाकमान से यूपी में चुनाव लड़ने के लिए सीटों का प्रस्ताव रखा. बातचीत हुई, लेकिन नतीजा सिफर रहा. कम्युनिस्ट पार्टी को सपा ने पूछा नहीं और कांग्रेस ने भी हाल-चाल नहीं लिया. लिहाजा, अब नाराज कम्युनिस्ट पार्टियां यूपी की आधा दर्जन सीटों पर लोकसभा चुनाव में अकेले दम ताल ठोंकने को तैयार हैं. विधानसभा उपचुनाव भी कम्युनिस्ट पार्टियां लड़ेंगी.

चुनाव मैदान में प्रत्याशी उतारने का फैसला : उत्तर प्रदेश में कम्युनिस्ट पार्टी भी चाहती तो गठबंधन में चुनाव लड़ना है, लेकिन उत्तर प्रदेश में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी ने पूछा ही नहीं. कम्युनिस्ट पार्टियों को सीट देने के बारे में ख्याल तक नहीं किया गया. इसी तरह का हाल 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव से पहले भी हुआ था. कम्युनिस्ट पार्टियां चाहती थीं कि समाजवादी पार्टी या कांग्रेस में से कोई भी उन्हें साथ लेते हुए सीटें दे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. लोकसभा चुनाव से पहले भी यही सिलसिला जारी रहा. ऐसे में थक हारकर अब कम्युनिस्ट पार्टियों ने अपने प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतारने का फैसला ले लिया है.

चुनिंदा लोकसभा सीटों पर उतारेंगे प्रत्याशी : भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के नेताओं का कहना है कि ''भाजपा हराओ देश बचाओ' के नारे के साथ वामपंथी दलों के साथ मिलकर लगातार संघर्षरत हैं. वह इंडी गठबंधन का हिस्सा हैं और पूरे देश में भाजपा को हराने का काम करेंगे. उत्तर प्रदेश में भी हम मिलकर लड़ने की प्रबल इच्छा रखते थे, लेकिन कुछ दलों ने संकीर्णता का परिचय देते हुये लोकसभा सीटों का बंदरबांट कर लिया. अपने जनाधार को संबोधित करने और भाजपा की जनविरोधी नीतियों को उजागर करते हुये उसे हराने और लोकसभा में भाकपा का प्रतिनिधित्व बढ़ाने के उद्देश्य से भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने कुछ चुनिंदा लोकसभा सीटों पर प्रत्याशी उतारने का निर्णय लिया है.'

शाहजहांपुर (सुरक्षित) कामरेड सुरेश कुमार 'नेताजी'
54 फैजाबाद कामरेड अरविंद सेन यादव (पूर्व आईपीएस)
68 लालगंज (सुरक्षित) कामरेड गंगा दीन
70 घोसी- कामरेड विनोद राय
80 राबर्ट्सगंज (सुरक्षित) - कामरेड अशोक कुमार कनौजिया
विधानसभा उपचुनाव के लिए प्रत्याशी
403- दुद्धी (सुरक्षित) - कामरेड दिनेश कुमार गोंड


राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य डॉ. गिरीश और राज्य सचिव अरविन्द राज स्वरूप का कहना है कि उत्तर प्रदेश में भाजपा से लड़ाई लड़ने के लिए सभी दलों का साथ रहना जरूरी है. उत्तर प्रदेश में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी इंडिया गठबंधन का हिस्सा है और कम्युनिस्ट पार्टी भी इस गठबंधन में शामिल है, लेकिन यहां पर इन दोनों पार्टियों ने आपस में ही सीटें तय कर लीं. कम्युनिस्ट पार्टी को पूछा तक नहीं. ऐसे में अब वामपंथी दल भी पीछे नहीं रहने वाले हैं. चुनाव मैदान में उतरकर अपना दम दिखाएंगे.

यह भी पढ़ें : क्या नेपाल में राजनीतिक घटनाक्रम के पीछे चीन का हाथ है?

यह भी पढ़ें : यूपी में 'लाल सलाम का काम तमाम', फिर भी ताल ठोकने में पीछे नहीं वामपंथी

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.