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जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में छत्तीसगढ़ की अहम भूमिका: CM साय - fight against climate change

रायपुर में आयोजित छत्तीसगढ़ ग्रीन समिट के दौरान सीएम साय ने दावा किया कि जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में छत्तीसगढ़ ने अहम भूमिका निभाई है. साथ ही सीएम ने जल्द ही गुरु घासीदास-तमोर पिंगला टाइगर रिजर्व की स्थापना की बात कही है.

FIGHT AGAINST CLIMATE CHANGE
जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Oct 3, 2024, 3:48 PM IST

रायपुर: छत्तीसगढ़ ग्रीन समिट के पहले सेशन का सीएम विष्णुदेव साय ने गुरुवार को शुभारंभ किया. इस दौरान सीएम साय ने कहा कि जलवायु परिवर्तन में छत्तीसगढ़ अपनी खास भूमिका अदा कर रहा है. छत्तीसगढ़ अपनी सौर और जल विद्युत क्षमता का विस्तार कर रहा है. साल 2030 तक भारत के 500 गीगावाट अक्षय ऊर्जा क्षमता के लक्ष्य को प्राप्त करने में भी प्रदेश महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा.

जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में योगदान: दरअसल छत्तीसगढ़ ग्रीन समिट के पहले संस्करण के दौरान सीएम साय ने कहा कि दुनिया पर्यावरण क्षरण और जलवायु परिवर्तन के गंभीर परिणामों से जूझ रहा है. यह एक राष्ट्रीय चिंता का विषय बन गया है. इस साल देश ने रिकॉर्ड तोड़ गर्मी का अनुभव किया. दिल्ली में तापमान 52.3 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया था. यहां तक ​​कि दुबई, जो मूल रूप से एक रेगिस्तान है, वहां बाढ़ आ गई थी. छत्तीसगढ़ जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में योगदान दे रहा है.

हम अपनी सौर और जल विद्युत क्षमता का विस्तार कर रहे हैं. साल 2030 तक भारत के 500 गीगावाट अक्षय ऊर्जा के लक्ष्य को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे. उनकी सरकार ने राज्य के हरित आवरण को बढ़ावा देने के लिए कई कार्यक्रम शुरू किए हैं, जो पहले से ही इसके भौगोलिक क्षेत्र का 44 प्रतिशत है.: विष्णुदेव साय, मुख्यमंत्री, छत्तीसगढ़

टाइगर रिजर्व की होगी स्थापना: छत्तीसगढ़ जल्द ही गुरु घासीदास-तमोर पिंगला टाइगर रिजर्व की स्थापना करेगा, जो इंद्रावती, उदंती-सीतानदी और अचानकमार के बाद राज्य का चौथा टाइगर रिजर्व होगा. इस टाइगर रिजर्व की स्थापना से राज्य के वन क्षेत्र में वृद्धि होगी. साथ ही स्थानीय समुदायों के लिए इकोटूरिज्म और आजीविका के अवसर बढेंगे. पर्यावरणीय स्थिरता को बढ़ावा देने और लोक परंपराओं को विकास विमर्श में एकीकृत करने के लिए पहला छत्तीसगढ़ ग्रीन समिट 2024 रायपुर में 3-5 अक्टूबर को आयोजित किया जा रहा है.

शिखर सम्मेलन में दी जाएगी ये जानकारी: छत्तीसगढ़ वन और जलवायु परिवर्तन विभाग द्वारा विबग्योर एनई फाउंडेशन के सहयोग से आयोजित इस शिखर सम्मेलन में वनों और समुदायों, भारतीय वानिकी और पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं के बीच संबंधों पर सत्र होंगे. विशेषज्ञ पारिस्थितिकी बहाली और वनों की ओर से पारिस्थितिकी तंत्र को दिए जाने वाले लाभों के बारे में जानकारी देंगे, जिसका लक्ष्य एक ऐसा स्थाई मॉडल बनाना है जो पारिस्थितिकी संरक्षण और सामुदायिक कल्याण को संतुलित करे.

सोर्स: PTI

धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान से बदलेगी सूरत, सीएम साय ने विकास का किया दावा - CM vishnudeo sai in Balrampur
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जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में योगदान: दरअसल छत्तीसगढ़ ग्रीन समिट के पहले संस्करण के दौरान सीएम साय ने कहा कि दुनिया पर्यावरण क्षरण और जलवायु परिवर्तन के गंभीर परिणामों से जूझ रहा है. यह एक राष्ट्रीय चिंता का विषय बन गया है. इस साल देश ने रिकॉर्ड तोड़ गर्मी का अनुभव किया. दिल्ली में तापमान 52.3 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया था. यहां तक ​​कि दुबई, जो मूल रूप से एक रेगिस्तान है, वहां बाढ़ आ गई थी. छत्तीसगढ़ जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में योगदान दे रहा है.

हम अपनी सौर और जल विद्युत क्षमता का विस्तार कर रहे हैं. साल 2030 तक भारत के 500 गीगावाट अक्षय ऊर्जा के लक्ष्य को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे. उनकी सरकार ने राज्य के हरित आवरण को बढ़ावा देने के लिए कई कार्यक्रम शुरू किए हैं, जो पहले से ही इसके भौगोलिक क्षेत्र का 44 प्रतिशत है.: विष्णुदेव साय, मुख्यमंत्री, छत्तीसगढ़

टाइगर रिजर्व की होगी स्थापना: छत्तीसगढ़ जल्द ही गुरु घासीदास-तमोर पिंगला टाइगर रिजर्व की स्थापना करेगा, जो इंद्रावती, उदंती-सीतानदी और अचानकमार के बाद राज्य का चौथा टाइगर रिजर्व होगा. इस टाइगर रिजर्व की स्थापना से राज्य के वन क्षेत्र में वृद्धि होगी. साथ ही स्थानीय समुदायों के लिए इकोटूरिज्म और आजीविका के अवसर बढेंगे. पर्यावरणीय स्थिरता को बढ़ावा देने और लोक परंपराओं को विकास विमर्श में एकीकृत करने के लिए पहला छत्तीसगढ़ ग्रीन समिट 2024 रायपुर में 3-5 अक्टूबर को आयोजित किया जा रहा है.

शिखर सम्मेलन में दी जाएगी ये जानकारी: छत्तीसगढ़ वन और जलवायु परिवर्तन विभाग द्वारा विबग्योर एनई फाउंडेशन के सहयोग से आयोजित इस शिखर सम्मेलन में वनों और समुदायों, भारतीय वानिकी और पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं के बीच संबंधों पर सत्र होंगे. विशेषज्ञ पारिस्थितिकी बहाली और वनों की ओर से पारिस्थितिकी तंत्र को दिए जाने वाले लाभों के बारे में जानकारी देंगे, जिसका लक्ष्य एक ऐसा स्थाई मॉडल बनाना है जो पारिस्थितिकी संरक्षण और सामुदायिक कल्याण को संतुलित करे.

सोर्स: PTI

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