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'हिमाचल निर्माता डॉ. वाई एस परमार ने इतिहास के साथ प्रदेश का भूगोल भी बदला, विकास की रखी थी मजबूत आधारशिला' - Dr YS Parmar birth anniversary

YS Parmar birth anniversary: हिमाचल निर्माता डॉ. वाईएस परमार की आज 118वीं जयंती हैं. इस मौके पर शिमला में राज्य स्तरीय कार्यक्रम आयोजित किया गया. इस कार्यक्रम की अध्यक्षता सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने की. उन्होंने कहा कि वर्तमान में प्रदेश विकास की राह पर अग्रसर है, यह डॉ. परमार का सपना था. डॉ. परमार ने प्रदेश का इतिहास ही नहीं, बल्कि भूगोल को भी बदला. उन्होंने प्रदेश की सीमाओं को और बड़ा किया.

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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Aug 4, 2024, 7:23 PM IST

डॉ. वाईएस परमार की श्रद्धांजलि देते सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू
डॉ. वाईएस परमार की श्रद्धांजलि देते सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू (ETV BHARAT)

शिमला: मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने आज हिमाचल प्रदेश विधानसभा परिसर शिमला में हिमाचल निर्माता और प्रथम मुख्यमंत्री डॉ. यशवंत सिंह परमार की 118वीं जयंती के अवसर पर आयोजित राज्य स्तरीय कार्यक्रम की अध्यक्षता की. इस अवसर पर उन्होंने कहा कि डॉ. परमार एक महान और दूरदर्शी व्यक्तित्व थे, जिन्होंने प्रदेश के विकास की मजबूत आधारशिला रखी.

मुख्यमंत्री ने कहा कि, 'डॉ. परमार का सम्पूर्ण जीवन हिमाचल प्रदेश के लिए समर्पित रहा है. वर्तमान में प्रदेश विकास की राह पर अग्रसर है, यह डॉ. परमार का सपना था. डॉ. परमार ने प्रदेश का इतिहास ही नहीं, बल्कि भूगोल को भी बदला. उन्होंने प्रदेश की सीमाओं को और बड़ा किया. हिमाचल का अस्तित्व डॉ. परमार की अतुलनीय देन है. उन्हें हिमाचल की संस्कृति और पर्यावरण के संरक्षक के रूप में भी जाना जाता है, उन्हें पर्यावरण से बहुत लगाव था. उन्होंने प्रदेश की सबसे बड़ी सम्पदा वनों के संरक्षण को सदैव ही अधिमान दिया. डॉ. परमार ने प्रदेश को हरित राज्य बनाने का मार्ग प्रशस्त किया.

इस साल 2200 करोड़ रुपये का राजस्व

सीएम सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि, 'हमें डॉ. परमार के सिद्धांतों और उनके दिखाए मार्ग पर चलने की आवश्यकता है. वर्तमान प्रदेश सरकार हिमाचल का उज्ज्वल भविष्य सुनिश्चित करने के दृष्टिकोण से कार्य कर रही है. आर्थिक तंगी के बावजूद प्रदेश निरंतर विकास के पथ पर अग्रसर है. सरकार द्वारा हर क्षेत्र में गुणात्मक बदलाव लाए जा रहे हैं. शिक्षा, जल विद्युत, पर्यटन व खाद्य प्रसंस्करण आदि क्षेत्रों में अनेक नवोन्मेषी पहल की जा रही हैं. सरकार द्वारा सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ नीतिगत बदलाव लाए जा रहे हैं. बेहतर प्रबन्धन के फलस्वरूप इस वर्ष सरकार ने 2200 करोड़ रुपये का अतिरिक्त राजस्व अर्जित किया है. प्रदेश सरकार समाज के अंतिम व्यक्ति तक योजनाओं का लाभ पहुंचाने के लिए कार्य कर रही हैं.'

पुस्तक का किया विमोचन

इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने डॉ. अंशुक अत्री व डॉ. राजेन्द्र अत्री द्वारा लिखित पुस्तक ‘परमारः हिमाचल के शिल्पकार’ और डॉ. अंशुक अत्री द्वारा अंग्रेजी भाषा में लिखित पुस्तक ‘द क्राफ्टिंग ऑफ हिमाचल प्रदेश’ का विमोचन किया. उन्होंने डॉ. परमार की जीवनी पर आधारित प्रदर्शनी का अवलोकन किया और उनके छायाचित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की. इससे पहले, मुख्यमंत्री ने रिज मैदान स्थित डॉ. यशवंत सिंह परमार की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की. उन्होंने डॉ. परमार की जीवनी पर आधारित छायाचित्र प्रदर्शनी का अवलोकन भी किया.

विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने डॉ. परमार को श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए कहा कि हिमाचल प्रदेश के स्वरूप में डॉ. परमार का बहुत बड़ा योगदान है. उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश के गठन के समय राज्य की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी, लेकिन डॉ. यशवंत सिंह परमार ने उन चुनौतियों का मजबूती से सामना किया और प्रदेश को बड़ी-बड़ी बाधाओं से बाहर निकाला. वर्ष 1971 में प्रदेश को पूर्ण राज्य का दर्जा प्राप्त करने में डॉ. परमार की अहम भूमिका रही है. उनके द्वारा प्रदेश हित में किए गए कार्यों को सदैव याद रखा जाएगा. उन्होंने पुस्तकों के माध्यम से भी प्रदेश को नई दिशा दी. वर्तमान सरकार प्रदेश को आत्मनिर्भर राज्य बनाने की परिकल्पना के साथ दृढ़ इच्छा शक्ति से आगे बढ़ रही है. डॉ. परमार की दूरदर्शी सोच को साकार किया जा रहा है.

ये भी पढ़ें: राशन डिपुओं में इस बार महंगा मिलेगा सरसों का तेल, ये है खाद्य पदार्थों की रेट लिस्ट

शिमला: मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने आज हिमाचल प्रदेश विधानसभा परिसर शिमला में हिमाचल निर्माता और प्रथम मुख्यमंत्री डॉ. यशवंत सिंह परमार की 118वीं जयंती के अवसर पर आयोजित राज्य स्तरीय कार्यक्रम की अध्यक्षता की. इस अवसर पर उन्होंने कहा कि डॉ. परमार एक महान और दूरदर्शी व्यक्तित्व थे, जिन्होंने प्रदेश के विकास की मजबूत आधारशिला रखी.

मुख्यमंत्री ने कहा कि, 'डॉ. परमार का सम्पूर्ण जीवन हिमाचल प्रदेश के लिए समर्पित रहा है. वर्तमान में प्रदेश विकास की राह पर अग्रसर है, यह डॉ. परमार का सपना था. डॉ. परमार ने प्रदेश का इतिहास ही नहीं, बल्कि भूगोल को भी बदला. उन्होंने प्रदेश की सीमाओं को और बड़ा किया. हिमाचल का अस्तित्व डॉ. परमार की अतुलनीय देन है. उन्हें हिमाचल की संस्कृति और पर्यावरण के संरक्षक के रूप में भी जाना जाता है, उन्हें पर्यावरण से बहुत लगाव था. उन्होंने प्रदेश की सबसे बड़ी सम्पदा वनों के संरक्षण को सदैव ही अधिमान दिया. डॉ. परमार ने प्रदेश को हरित राज्य बनाने का मार्ग प्रशस्त किया.

इस साल 2200 करोड़ रुपये का राजस्व

सीएम सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि, 'हमें डॉ. परमार के सिद्धांतों और उनके दिखाए मार्ग पर चलने की आवश्यकता है. वर्तमान प्रदेश सरकार हिमाचल का उज्ज्वल भविष्य सुनिश्चित करने के दृष्टिकोण से कार्य कर रही है. आर्थिक तंगी के बावजूद प्रदेश निरंतर विकास के पथ पर अग्रसर है. सरकार द्वारा हर क्षेत्र में गुणात्मक बदलाव लाए जा रहे हैं. शिक्षा, जल विद्युत, पर्यटन व खाद्य प्रसंस्करण आदि क्षेत्रों में अनेक नवोन्मेषी पहल की जा रही हैं. सरकार द्वारा सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ नीतिगत बदलाव लाए जा रहे हैं. बेहतर प्रबन्धन के फलस्वरूप इस वर्ष सरकार ने 2200 करोड़ रुपये का अतिरिक्त राजस्व अर्जित किया है. प्रदेश सरकार समाज के अंतिम व्यक्ति तक योजनाओं का लाभ पहुंचाने के लिए कार्य कर रही हैं.'

पुस्तक का किया विमोचन

इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने डॉ. अंशुक अत्री व डॉ. राजेन्द्र अत्री द्वारा लिखित पुस्तक ‘परमारः हिमाचल के शिल्पकार’ और डॉ. अंशुक अत्री द्वारा अंग्रेजी भाषा में लिखित पुस्तक ‘द क्राफ्टिंग ऑफ हिमाचल प्रदेश’ का विमोचन किया. उन्होंने डॉ. परमार की जीवनी पर आधारित प्रदर्शनी का अवलोकन किया और उनके छायाचित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की. इससे पहले, मुख्यमंत्री ने रिज मैदान स्थित डॉ. यशवंत सिंह परमार की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की. उन्होंने डॉ. परमार की जीवनी पर आधारित छायाचित्र प्रदर्शनी का अवलोकन भी किया.

विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने डॉ. परमार को श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए कहा कि हिमाचल प्रदेश के स्वरूप में डॉ. परमार का बहुत बड़ा योगदान है. उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश के गठन के समय राज्य की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी, लेकिन डॉ. यशवंत सिंह परमार ने उन चुनौतियों का मजबूती से सामना किया और प्रदेश को बड़ी-बड़ी बाधाओं से बाहर निकाला. वर्ष 1971 में प्रदेश को पूर्ण राज्य का दर्जा प्राप्त करने में डॉ. परमार की अहम भूमिका रही है. उनके द्वारा प्रदेश हित में किए गए कार्यों को सदैव याद रखा जाएगा. उन्होंने पुस्तकों के माध्यम से भी प्रदेश को नई दिशा दी. वर्तमान सरकार प्रदेश को आत्मनिर्भर राज्य बनाने की परिकल्पना के साथ दृढ़ इच्छा शक्ति से आगे बढ़ रही है. डॉ. परमार की दूरदर्शी सोच को साकार किया जा रहा है.

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