शिमला: धर्मशाला के तपोवन में आरंभ हुए हिमाचल प्रदेश विधानसभा के विंटर सेशन के पहले दिन कुल चार बिल सदन में रखे गए. सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने सदन के पटल पर (हिमाचल प्रदेश सरकारी कर्मचारी भर्ती एवं सेवा की शर्तें विधेयक, 2024) को रखा. इस विधेयक में अनुबंध के आधार पर नियुक्त सरकारी कर्मचारियों के नियमितिकरण और सीनियोरिटी लिस्ट में संशोधन से जुड़े बिंदुओं की बात कही गई है. अनुबंध के आधार पर नियुक्त किए गए कर्मचारी, जो नियमित नहीं हुए हैं, उन्हें सीनियोरिटी से जुड़ी इन्क्रीमेंट नहीं मिलेगी. यानी नियमित कर्मचारी ही भर्ती व प्रमोशन नियमों के दायरे में होंगे.
उल्लेखनीय है कि हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने समय-समय पर अनुबंध अवधि को रेगुलर सेवा में गिनने और वित्तीय लाभ देने के आदेश जारी किए हैं. इससे सरकार के खजाने पर भारी आर्थिक बोझ आ रहा है. हिमाचल प्रदेश में वर्ष 2003 में अनुबंध पर नियुक्ति की प्रक्रिया आरंभ की गई थी. सरकार का तर्क है कि यदि 21 साल के इस अंतराल को भी वित्तीय लाभों व प्रमोशन आदि के लिए गिना जाएगा तो आर्थिक बोझ बहुत अधिक हो जाएगा.
सदन में सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू की तरफ से रखे गए विधेयक के प्रावधानों के अनुसार अनुबंध पर तैनात कर्मचारियों की सीनियोरिटी अब उनके नियमित यानी रेगुलर होने के बाद ही तय की जा सकेगी. अनुबंध अथवा संविदा कर्मचारियों की सीनियोरिटी को बैक डेट से गिने जाने के संदर्भ में कई अदालती आदेश आए हैं. इससे खजाने पर करोड़ों रुपए का बोझ पड़ने के आसार हैं. साथ ही इन आदेशों के बाद सरकार को कर्मचारियों की सीनियोरिटी लिस्ट में भी संशोधन करना होगा. ऐसे में ट्रेजरी पर बढ़ते वित्तीय दबाव के साथ ही सीनियोरिटी लिस्ट में संशोधन की लंबी प्रक्रिया पर भी खर्च होगा. यही कारण है कि सरकार ने बिल लाने का फैसला लिया है.
बिल के प्रावधानों के अनुसार अब अनुबंध पर तैनात कर्मचारी को सीनियोरिटी इन्क्रीमेंट नहीं मिलेगा. हिमाचल में विगत 21 साल से अनुबंध कर्मचारियों की भर्ती जारी है. अनुबंध पर कर्मचारियों की नियुक्ति जब होती है तो उनके साथ तय शर्तों के आधार पर करार किया जाता है. उन शर्तों के अनुसार ही अनुबंध कर्मी नियमित होते हैं और सीनियोरिटी का लाभ ले सकते हैं. ऐसे में अदालत के आदेश के बाद इन कर्मचारियों को सीनियोरिटी का लाभ देने पर कई अन्य कर्मचारी प्रभावित होंगे. ऐसे में सरकार ने अनुबंध कर्मचारियों के मामले में नई सेवा शर्तों को लेकर विधेयक लाया है.
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