देहरादून: उत्तराखंड की अलकनंदा और भागीरथी नदी घाटी में प्रस्तावित 50 फीसदी से अधिक निर्माणकार्य वाली परियोजनाओ पर अनुमति न मिलने ने चलते लंबित पड़ी हुई हैं. जिसको देखते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गुरुवार को नई दिल्ली में केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल से मुलाकात की. मुख्यमंत्री ने कहा उत्तराखंड के सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए जल एक महत्वपूर्ण संसाधन है. जल विद्युत परियोजनायें राज्य की सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि का मुख्य जरिया भी है.
सीएम ने कहा उत्तराखण्ड की विद्युत ऊर्जा की मांग को पूरा करने के लिए ओपन मार्केट से हर साल करीब 1000 करोड़ रुपये की ऊर्जा खरीदी जाती है. राज्य में मौजूद जल स्त्रोतों से करीब 25 हजार मेगावाट जल विद्युत क्षमता का आंकलन किया गया है, लेकिन वर्तमान में सिर्फ 4200 मेगावाट क्षमता का ही उत्पादन हो पा रहा है. साथ ही कहा कि प्रमुख सचिव, प्रधानमंत्री कार्यालय की अध्यक्षता में हुई समीक्षा बैठक में अलकनंदा और भागीरथी नदी घाटी में प्रस्तावित 70 परियोजनाओं में से सिर्फ 7 परियोजनाओं जिनका निर्माण कार्य 50 प्रतिशत से अधिक हो गया है. उसके निर्माण कार्य को जारी रखने और कोई भी नई परियोजना प्रारंभ न किये जाने के निर्देश दिए गए हैं.
नई दिल्ली में माननीय केंद्रीय जल शक्ति मंत्री श्री @CRPaatil जी से भेंट की। इस अवसर पर उन्हें हाउस ऑफ हिमालयाज ब्रांड के स्थानीय उत्पाद भेंट किए।
— Pushkar Singh Dhami (@pushkardhami) August 8, 2024
इस दौरान उनसे लखवाड़ बहुउद्देशीय परियोजना के लंबित कार्यान्वयन को पूर्ण करने के साथ ही जमरानी बांध बहुउद्देशीय परियोजना, बाढ़… pic.twitter.com/cl80bqga9S
सीएम धामी ने केंद्रीय जल शक्ति मंत्री को बताया उत्तराखंड की सीमा में गंगा और उसकी सहायक नदियों के अलावा अन्य नदी घाटियों पर प्रस्तावित जल विद्युत परियोजनाओं पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया गया है. बावजूद इसके केंद्रीय जल आयोग की ओर से राज्य की अन्य नदी घाटियों जैसे धौलीगंगा, गौरीगंगा पर पिथौरागढ़ जिले में प्रस्तावित परियोजनाओं के विकास के लिए भी अनुमति नहीं दी जा रही है. जिसके चलते सीएम धामी ने केंद्रीय मंत्री से अनुरोध किया कि राज्य की अन्य नदी घाटियों पर स्थित परियोजनाओं के विकास और निर्माण की अनुमति दी जाए.
साथ ही सीएम ने कहा हल्द्वानी में बनने वाली जमरानी बांध बहुउद्देश्यीय परियोजना से हल्द्वानी और उसके सीमावर्ती क्षेत्रों में साल 2051 तक की अनुमानित जनसंख्या के लिए 170 एमएलडी पेयजल उपलब्ध होगा. इसके अलावा, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में लगभग 57 हज़ार हेक्टेयर कृषि भूमि की सिंचाई के लिए जल उपलब्ध होगा. पीएम कृषि सिंचाई योजना- त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम के तहत इस परियोजना के निर्माण के लिए 1730.21 करोड़ वित्त पोषण के तहत अक्टूबर 2023 में भारत सरकार से स्वीकृत हुए हैं. साल 2023 के प्राइस लेवल के स्तर पर परियोजना की लागत 3808.16 करोड़ है. ऐसे में सीएम ने केंद्रीय मंत्री से पुनरीक्षित लागत PMKSY-AIBP के तहत वित्त पोषण की स्वीकृति का भी अनुरोध किया.
इंटर मिनिस्टीरियल कमेटी की मार्च 2023 में हुई बैठक में राज्य का सीमांत जिला पिथौरागढ़ की 170.57 करोड़ लागत के 15 परियोजनाओं के लिये शत प्रतिशत केंद्रीय वित्त पोषण की संस्तुति पर स्वीकृति प्रदान करने का अनुरोध किया. सीएम ने कहा देहरादून जिले के सहसपुर विकासखंड में स्वारना नदी पर डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी जलाशय का निर्माण 203.3 करोड़ रुपये की लागत से किया जाना प्रस्तावित है. इस परियोजना के इंटर स्टेट क्लीयरेंस का प्रकरण अपर यमुना बोर्ड में विचाराधीन है, इसके लिये भी मुख्यमंत्री ने केंद्रीय मंत्री से अनुमति देने का अनुरोध किया.
उत्तराखंड की लखवाड़ बहुउद्देशीय परियोजना के कार्यान्वयन में देरी हो रही है. जिसके बारे में जानकारी देते हुए उन्होंने बताया लखवाड़ बहुउद्देशीय परियोजना देहरादून जिले में यमुना नदी पर 204 मीटर ऊचां बांध बनाया जाना है. इसका निर्माण राज्य की जल विद्युत उत्पादन कम्पनी यूजेवीएन की ओर से किया जा रहा है. परियोजना के जानपदीय एवं हाइड्रो मैकेनिकल कार्यो की डिजाइन और इंजीनियरिंग के लिये केन्द्रीय जल आयोग भारत सरकार के साथ एक अनुबंध पत्र सितंबर, 2013 में हस्ताक्षरित किया गया था. जनपदीय कार्या की टेंडर ड्राइंग्स दिसम्बर, 2021 में केन्द्रीय जल आयोग द्वारा निर्गत की गयी है.
उत्तराखंड सरकार, लखवाड़ बहुउद्देशीय परियोजना को जल्द पूरा करने के लिये एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया है, जो इसकी नियमित समीक्षा कर रही है. जल संसाधन, नदी विकास एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने 11-12 जुलाई को परियोजना स्थल के भ्रमण के बाद समीक्षा बैठक की गयी. जिसमें केन्द्रीय जल आयोग से करीब दस साल पहले से किये गये अनुबन्ध के सापेक्ष अभी तक अपेक्षित ड्राइंग प्राप्त न होने के कारण कार्य प्रभावित होने का प्रकरण संज्ञान में लाया गया था. इस प्रकरण में उस समय परियोजना के निर्माण के लिए छः माह में प्राथमिकता के आधार पर ड्राइंग निर्गत करने के लिए केन्द्रीय जल आयोग में एक अलग सेल गठित किये जाने पर सहमति व्यक्त की गई है. सीएम ने परियोजना को जल्द पूरा करने के लिए जल शक्ति मंत्रालय के अधीन केन्द्रीय जल आयोग से प्राथमिकता पर ड्राइंग निर्गत करने के संबंध में जल्द कार्यवाही करने का अनुरोध किया.