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योगी सरकार की पहल; 15000 बच्चे इतिहास, संस्कृति और धरोहरों से हो रहे परिचित - STUDENTS OF COUNCIL SCHOOLS

students of council schools : शैक्षिक भ्रमण 24 सितंबर से शुरू हुआ था. प्रत्येक जिले से 200 बच्चों को शामिल किया गया है.

शैक्षिक भ्रमण पर परिषदीय स्कूल के बच्चे
शैक्षिक भ्रमण पर परिषदीय स्कूल के बच्चे (Photo credit: ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Oct 22, 2024, 11:11 AM IST

लखनऊ : उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने परिषदीय विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों के शैक्षिक विकास के लिए एक बेहतरीन पहल की है. सरकार का उद्देश्य न केवल बच्चों को शैक्षिक रूप से सशक्त बनाना है, बल्कि उनमें भारतीय इतिहास, संस्कृति और धरोहरों के प्रति जागरूक और गर्व की भावना विकसित करना भी है. प्रदेश के सभी 75 जिलों से 15 हजार बच्चों का चयन कर उन्हें राज्य के ऐतिहासिक स्थलों का एक दिवसीय शैक्षिक भ्रमण कराया जा रहा है. राज्य सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि प्रत्येक जिले से 200 बच्चों को इसमें शामिल किया गया है, जो ग्रामीण और शहरी परिषदीय विद्यालयों के गरीब और आर्थिक रूप से पिछड़े परिवारों के हैं.



भ्रमण का पूरा खर्च उठा रही सरकार : राज्य सरकार के प्रवक्ता के मुताबिक, योगी सरकार इस योजना के अंतर्गत 75 लाख रुपये खर्च कर रही है, जिसमें बच्चों की यात्रा के लिए भाड़े का खर्च, नाश्ता और भोजन की व्यवस्था और आपातकालीन परिस्थितियों के लिए बजटीय प्रावधान शामिल हैं. इसका उद्देश्य बच्चों को उनके सामान्य शैक्षिक पाठ्यक्रम से इतर व्यावहारिक और ऐतिहासिक जानकारी देना है, जिससे वे भारतीय धरोहरों और ऐतिहासिक स्थलों को न केवल देखें, बल्कि उनके महत्व को समझें और उनसे प्रेरणा लें.


शैक्षिक भ्रमण 24 सितंबर से शुरू हुआ था. हर 20 बच्चों के समूह के साथ एक शिक्षक या शिक्षिका की जिम्मेदारी तय की गई है, जो उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के साथ-साथ भ्रमण के दौरान उन्हें ऐतिहासिक स्थलों से जुड़ी जानकारी भी प्रदान करेंगे. प्रत्येक जनपद से 10 शिक्षकों को इस भ्रमण कार्यक्रम में शामिल किया गया है. इन शिक्षकों को यह भी जिम्मेदारी दी गई है कि वे बच्चों को भ्रमण के दौरान भारत के इतिहास, संस्कृति और धरोहरों के प्रति जागरूक करें. इसके अलावा, प्रत्येक जिले के जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी और संबंधित अधिकारियों को इस योजना की निगरानी और संचालन का दायित्व सौंपा गया है, जिससे भ्रमण के दौरान बच्चों को किसी भी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़े.


योगी सरकार की इस पहल का मुख्य उद्देश्य बच्चों को उनके पाठ्यक्रम से बाहर वास्तविक दुनिया में शैक्षिक अनुभव प्रदान करना है. साथ ही इस योजना का एक महत्वपूर्ण पक्ष यह भी है कि बच्चों को भारत की समृद्ध धरोहरों और गौरवशाली इतिहास से परिचित कराया जाए. भ्रमण के दौरान बच्चों को विभिन्न ऐतिहासिक स्थलों, स्मारकों और संग्रहालयों की यात्रा कराई जा रही है, जहां उन्हें उन स्थलों के महत्व, उनके निर्माण के समय की परिस्थितियों और उनसे जुड़े ऐतिहासिक तथ्यों के बारे में विस्तृत जानकारी दी जा रही है. इससे बच्चों में न केवल इतिहास के प्रति रुचि जागृत होगी बल्कि उनमें राष्ट्रप्रेम और देशभक्ति की भावना भी मजबूत होगी.



बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री संदीप सिंह का कहना है कि सरकार का यह मानना है कि ऐसे कार्यक्रमों के माध्यम से बच्चों में न केवल शैक्षिक समझ बढ़ती है, बल्कि उनके व्यक्तित्व का भी सर्वांगीण विकास होता है. इस प्रकार के शैक्षिक भ्रमण से बच्चों की सोचने और समझने की क्षमता का विस्तार होता है. वे अपने परिवेश से बाहर निकलकर वास्तविक दुनिया के बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं, जो उनके मानसिक विकास और सृजनात्मकता को बढ़ावा देने में सहायक होता है.

यह भी पढ़ें : सर्दी की आहट के साथ यूपी में शुरू हुई बाढ़ रोकने की तैयारी, सीएम योगी ने की तैयारियों की समीक्षा

यह भी पढ़ें : बनारस में पीएम मोदी की बड़ी घोषणा; MBBS की 75 हजार सीटें बढ़ेंगी, डॉक्टरों की कमी दूर करने का हो रहा प्रयास

लखनऊ : उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने परिषदीय विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों के शैक्षिक विकास के लिए एक बेहतरीन पहल की है. सरकार का उद्देश्य न केवल बच्चों को शैक्षिक रूप से सशक्त बनाना है, बल्कि उनमें भारतीय इतिहास, संस्कृति और धरोहरों के प्रति जागरूक और गर्व की भावना विकसित करना भी है. प्रदेश के सभी 75 जिलों से 15 हजार बच्चों का चयन कर उन्हें राज्य के ऐतिहासिक स्थलों का एक दिवसीय शैक्षिक भ्रमण कराया जा रहा है. राज्य सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि प्रत्येक जिले से 200 बच्चों को इसमें शामिल किया गया है, जो ग्रामीण और शहरी परिषदीय विद्यालयों के गरीब और आर्थिक रूप से पिछड़े परिवारों के हैं.



भ्रमण का पूरा खर्च उठा रही सरकार : राज्य सरकार के प्रवक्ता के मुताबिक, योगी सरकार इस योजना के अंतर्गत 75 लाख रुपये खर्च कर रही है, जिसमें बच्चों की यात्रा के लिए भाड़े का खर्च, नाश्ता और भोजन की व्यवस्था और आपातकालीन परिस्थितियों के लिए बजटीय प्रावधान शामिल हैं. इसका उद्देश्य बच्चों को उनके सामान्य शैक्षिक पाठ्यक्रम से इतर व्यावहारिक और ऐतिहासिक जानकारी देना है, जिससे वे भारतीय धरोहरों और ऐतिहासिक स्थलों को न केवल देखें, बल्कि उनके महत्व को समझें और उनसे प्रेरणा लें.


शैक्षिक भ्रमण 24 सितंबर से शुरू हुआ था. हर 20 बच्चों के समूह के साथ एक शिक्षक या शिक्षिका की जिम्मेदारी तय की गई है, जो उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के साथ-साथ भ्रमण के दौरान उन्हें ऐतिहासिक स्थलों से जुड़ी जानकारी भी प्रदान करेंगे. प्रत्येक जनपद से 10 शिक्षकों को इस भ्रमण कार्यक्रम में शामिल किया गया है. इन शिक्षकों को यह भी जिम्मेदारी दी गई है कि वे बच्चों को भ्रमण के दौरान भारत के इतिहास, संस्कृति और धरोहरों के प्रति जागरूक करें. इसके अलावा, प्रत्येक जिले के जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी और संबंधित अधिकारियों को इस योजना की निगरानी और संचालन का दायित्व सौंपा गया है, जिससे भ्रमण के दौरान बच्चों को किसी भी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़े.


योगी सरकार की इस पहल का मुख्य उद्देश्य बच्चों को उनके पाठ्यक्रम से बाहर वास्तविक दुनिया में शैक्षिक अनुभव प्रदान करना है. साथ ही इस योजना का एक महत्वपूर्ण पक्ष यह भी है कि बच्चों को भारत की समृद्ध धरोहरों और गौरवशाली इतिहास से परिचित कराया जाए. भ्रमण के दौरान बच्चों को विभिन्न ऐतिहासिक स्थलों, स्मारकों और संग्रहालयों की यात्रा कराई जा रही है, जहां उन्हें उन स्थलों के महत्व, उनके निर्माण के समय की परिस्थितियों और उनसे जुड़े ऐतिहासिक तथ्यों के बारे में विस्तृत जानकारी दी जा रही है. इससे बच्चों में न केवल इतिहास के प्रति रुचि जागृत होगी बल्कि उनमें राष्ट्रप्रेम और देशभक्ति की भावना भी मजबूत होगी.



बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री संदीप सिंह का कहना है कि सरकार का यह मानना है कि ऐसे कार्यक्रमों के माध्यम से बच्चों में न केवल शैक्षिक समझ बढ़ती है, बल्कि उनके व्यक्तित्व का भी सर्वांगीण विकास होता है. इस प्रकार के शैक्षिक भ्रमण से बच्चों की सोचने और समझने की क्षमता का विस्तार होता है. वे अपने परिवेश से बाहर निकलकर वास्तविक दुनिया के बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं, जो उनके मानसिक विकास और सृजनात्मकता को बढ़ावा देने में सहायक होता है.

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