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"पिता ने कहा था कि राजनीति बहुत खराब हो गई है, इसमें मत आना, लेकिन कुछ मजबूरियां थी": डॉ चरणदास महंत - Bisahu Das Mahant birth anniversary - BISAHU DAS MAHANT BIRTH ANNIVERSARY

दिवंगत बिसाहू दास महंत की 100वीं जयंती समारोह का आयोजन किया गया. इस दौरान डॉ चरणदास महंत ने अपने पिता से जुड़े पुराने संस्मरणों को बताया. उन्होंने कहा कि पिता ने कहा था कि राजनीति बहुत खराब हो गई है, इसमें मत आना. लेकिन कुछ मजबूरियां थी, मैंने अपने पिता की राजनीतिक विरासत को संभाला है." इसके साथ ही डॉ महंत ने वर्तमान राजनीतिक परिवेश पर भी चर्चा की.

BISAHU DAS MAHANT BIRTH ANNIVERSARY
डॉ चरणदास महंत
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Apr 2, 2024, 8:26 AM IST

Updated : Apr 2, 2024, 9:04 AM IST

डॉ चरणदास महंत ने बताया पिता का संस्मरण

कोरबा: सोमवार 1 अप्रैल को महंत परिवार ने दिवंगत बिसाहू दास महंत की 100वीं जयंती समारोह का आयोजन किया. कोरबा में प्रियदर्शनी इंदिरा गांधी स्टेडियम परिसर के राजीव इनडोर ऑडिटोरियम में इस समारोह का आयोजन किया गया. इस दौरान नेता प्रतिपक्ष डॉ महंत ने अपने पिता दिवंगत बिसाहू दास महंत के पुराने संस्मरण भी सुनाए.

"पिता ने 45 साल पहले ही चेताया था": डॉ चरणदास महंत ने बताया, "मेरे राजनीतिक जीवन को 44 साल हो चुके हैं. पिता ने 45 साल पहले ही चेताया था कि राजनीति का स्तर कितना गिर जाएगा. इसलिए वह चाहते थे कि उनके परिवार से अब कोई भी राजनीति में प्रवेश न करे. पिता ने आज से 44-45 साल पहले ही यह अनुभव कर लिया था कि आज की राजनीति वैसी नहीं है, जैसी की होनी चाहिए."

महंत के पिता नहीं चाहते थे कोई राजनीति में आए: डॉ चरणदास महंत ने आगे बताया, "एक दिन खाना खाते वक्त पिताजी ने हम सभी भाई बहनों को अपने पास बुलाया और कहा कि अब राजनीति बहुत खराब हो गई है. मेरे परिवार से कोई भी राजनीति में मत जाना. मेरी खुद भी राजनीति में आने की कोई इच्छा नहीं थी, लेकिन उस समय की कुछ परिस्थितियों और मजबूरी की वजह से मुझे राजनीति में आना पड़ा." महंत ने कहा, "मैंने तो अपने पिता की राजनीतिक विरासत को संभाल लिया है."

"यदि सेवा कर सके तो ही राजनीति में आए, वरना नहीं": बेटे सूरज के प्रश्न पर डॉ महंत ने कहा, "जो भी परिवार सेवा की भावना लेकर राजनीति में आते हैं. उनके लिए राजनीति करना उतना कठिन नहीं है. मुझे लोगों ने ही 44 साल तक अपने बच्चों की तरह पाला है. इसलिए अगर मेरा बेटा भी वैसा कर सकता है, तो ही वह राजनीति में आ सकता है. अगर नहीं कर सकता तो फिर वह नहीं आएगा."

कौन थे बिसाहू दास महंत? : उनके दिवंगत पिता बिसाहू दास महंत भी अविभाजित मध्य प्रदेश के समय बड़े कांग्रेस नेता थे. उन्हें हसदेव नदी पर बने बांगो बांध के स्वप्न द्रष्टा के तौर पर देखा जाता है. स्व. बिसाहू दास महंत कांग्रेस के सबसे सफल विधायकों में से एक थे. अविभाजित मध्यप्रदेश के समय वह 1952 से लगातार विधायक रहे. उनके दो बेटे और चार बेटियां थी. डॉ चरण दास महंत को उनके राजनीतिक विरासत संभालने की जिम्मेदारी मिली. चरणदास महंत ने पिता से मिली अपनी राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाया.

अपने पिता की विरासत संभाल रहे महंत: डॉ चरणदास महंत को प्रदेश के बड़े लीडर्स में से एक हैं. वह न सिर्फ वर्तमान छत्तीसगढ़ बल्कि अविभाजित मध्यप्रदेश में भी मंत्री रह चुके हैं. 15 साल के भाजपा शासन काल के बाद जब 2018 में प्रदेश में कांग्रेस की सरकार आई. तब वह सीएम की रेस में भी शामिल रहे. लेकिन उन्होंने बीते 5 साल विधानसभा अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाली. अभी वह छत्तीसगढ़ विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष हैं.

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"पिता ने 45 साल पहले ही चेताया था": डॉ चरणदास महंत ने बताया, "मेरे राजनीतिक जीवन को 44 साल हो चुके हैं. पिता ने 45 साल पहले ही चेताया था कि राजनीति का स्तर कितना गिर जाएगा. इसलिए वह चाहते थे कि उनके परिवार से अब कोई भी राजनीति में प्रवेश न करे. पिता ने आज से 44-45 साल पहले ही यह अनुभव कर लिया था कि आज की राजनीति वैसी नहीं है, जैसी की होनी चाहिए."

महंत के पिता नहीं चाहते थे कोई राजनीति में आए: डॉ चरणदास महंत ने आगे बताया, "एक दिन खाना खाते वक्त पिताजी ने हम सभी भाई बहनों को अपने पास बुलाया और कहा कि अब राजनीति बहुत खराब हो गई है. मेरे परिवार से कोई भी राजनीति में मत जाना. मेरी खुद भी राजनीति में आने की कोई इच्छा नहीं थी, लेकिन उस समय की कुछ परिस्थितियों और मजबूरी की वजह से मुझे राजनीति में आना पड़ा." महंत ने कहा, "मैंने तो अपने पिता की राजनीतिक विरासत को संभाल लिया है."

"यदि सेवा कर सके तो ही राजनीति में आए, वरना नहीं": बेटे सूरज के प्रश्न पर डॉ महंत ने कहा, "जो भी परिवार सेवा की भावना लेकर राजनीति में आते हैं. उनके लिए राजनीति करना उतना कठिन नहीं है. मुझे लोगों ने ही 44 साल तक अपने बच्चों की तरह पाला है. इसलिए अगर मेरा बेटा भी वैसा कर सकता है, तो ही वह राजनीति में आ सकता है. अगर नहीं कर सकता तो फिर वह नहीं आएगा."

कौन थे बिसाहू दास महंत? : उनके दिवंगत पिता बिसाहू दास महंत भी अविभाजित मध्य प्रदेश के समय बड़े कांग्रेस नेता थे. उन्हें हसदेव नदी पर बने बांगो बांध के स्वप्न द्रष्टा के तौर पर देखा जाता है. स्व. बिसाहू दास महंत कांग्रेस के सबसे सफल विधायकों में से एक थे. अविभाजित मध्यप्रदेश के समय वह 1952 से लगातार विधायक रहे. उनके दो बेटे और चार बेटियां थी. डॉ चरण दास महंत को उनके राजनीतिक विरासत संभालने की जिम्मेदारी मिली. चरणदास महंत ने पिता से मिली अपनी राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाया.

अपने पिता की विरासत संभाल रहे महंत: डॉ चरणदास महंत को प्रदेश के बड़े लीडर्स में से एक हैं. वह न सिर्फ वर्तमान छत्तीसगढ़ बल्कि अविभाजित मध्यप्रदेश में भी मंत्री रह चुके हैं. 15 साल के भाजपा शासन काल के बाद जब 2018 में प्रदेश में कांग्रेस की सरकार आई. तब वह सीएम की रेस में भी शामिल रहे. लेकिन उन्होंने बीते 5 साल विधानसभा अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाली. अभी वह छत्तीसगढ़ विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष हैं.

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Last Updated : Apr 2, 2024, 9:04 AM IST
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