चंडीगढ़: मेट्रो परियोजना की रफ्तार धीमी पड़ती नजर आ रही है. चंडीगढ़ में मेट्रो बनाने का मुद्दा जहां पिछले कुछ सालों से चर्चा में है. वहीं, इसे अब विश्राम मिल गया है. चंडीगढ़ के सांसद द्वारा संसद में पूछे गए सवाल पर आज शहरवासियों को एक चौका देने वाला जवाब मिला है. जहां संसद में गृह राज्य मंत्री द्वारा अपने जवाब में कहा कि उन्हें मेट्रो से जुड़ा चंडीगढ़ प्रशासन से कोई प्रस्ताव नहीं मिला है.
बता दें कि पिछले कुछ दिनों से सांसद मनीष तिवारी द्वारा संसद में शहर से जुड़े अहम मुद्दों पर सवाल किया जा रहे हैं. जिस पर उन्हें गृह राज्य मंत्री द्वारा ना में जवाब मिल रहे हैं. वीरवार को सांसद मनीष तिवारी द्वारा शहर में मेट्रो को शुरू करने को लेकर सवाल पूछा गया था. मेट्रो की परियोजना कब और किस समय शुरू की जा रही है और केंद्र द्वारा चंडीगढ़ में मेट्रो बनाने के लिए कितना खर्च आवंटित किया जाएगा.
जिसके जवाब में मंत्रालय द्वारा बताया गया कि उन्हें अभी तक चंडीगढ़ प्रशासन द्वारा इससे संबंधित कोई भी प्रस्ताव नहीं भेजा गया है. लोकसभा चुनाव 2024 में इंडिया गठबंधन और भाजपा ने लोकल मेनिफेस्टो लॉन्च करते हुए चंडीगढ़ में लाल डोरे को बढ़ाने, शेर वाइस प्रॉपर्टी लीज होल्ड को फ्री होल्ड प्रॉपर्टी और बिजली पानी के दाम जैसे मुद्दे शामिल किए थे. लेकिन लोकसभा चुनाव होने के बाद लोकल मेनिफेस्टो के वादे पूरे होते नहीं दिख रहे हैं. संसद में मनीष तिवारी द्वारा पूछे गए सवाल में उन्हें गृह राज्य मंत्रालय द्वारा हर मुद्दे को लेकर ना मिल रही है. जिसे लेकर एक बार फिर शहर के लोगों में शहर के इन बड़े मुद्दों को लेकर चिंता बढ़ गई है.
जुलाई महीने तक कुछ इस तरह हो रही थी चर्चा: न्यू चंडीगढ़ के पड़ौल के पास 21 हेक्टेयर जमीन पर मेट्रो का डिपो बनना की बात कही जा रही थी. जिसे लेकर पंजाब सरकार की और से अटकले लगाई जा रही थी. वहीं, यूटी प्रशासन यह तक कहा गया था कि उनकी और से दो बार रिमाइंडर भेजने के बाद भी पंजाब सरकार की तरफ से डिपो की भूमि के संबंध में जवाब नहीं दिया गया है.
यहां तक कि पंजाब के पूर्व राज्यपाल और चंडीगढ़ के प्रशासक बनवारीलाल पुरोहित की अध्यक्षता में 12 दिसंबर 2023 को युनिफाइड मेट्रोपॉलिटन ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी (यूएमटीए) की दूसरी बैठक की गयी थी. इसमें डिपो भूमि के बारे में निर्णय लिया गया था. तब से चंडीगढ़ प्रशासन पंजाब की मंजूरी का इंतजार कर रहा है. चंडीगढ़ प्रशासन द्वारा पंजाब की तरफ से जवाब नहीं आने को लेकर डीपीआर का काम भी प्रभावित होने की बात कही गयी थी. पड़ौल के पास मौजूद 21 हेक्टेयर की जमीन पर मेट्रो कॉरिडोर 1 और 2 के संचालन और रखरखाव की सुविधा के लिए प्लानिंग की गई थी.
हेरिटेज सेक्टरों में अंडरग्राउंड होने का प्लान बना था: शहर में नेटवर्क का एक बड़ा हिस्सा हेरिटेज सेक्टरों और यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल कैपिटल कॉम्प्लेक्स से होकर गुजरेने को लेकर कई बैठकों का दौर चंडीगढ़ प्रशसन की और से चलाया गया था. मेट्रो परियोजना के लिए डीपीआर तैयार करने का काम राइट्स (रेल इंडिया टेक्निकल एंड इकोनॉमिक सर्विस) को दिया गया था. भूमिगत नेटवर्क की लागत एलिवेटेड नेटवर्क की लागत से तीन गुना अधिक है. इसलिए राइट्स ने दोनों का मिश्रण प्रस्तावित किया था. राइट्स के अनुमान के अनुसार, एलिवेटेड नेटवर्क की लागत लगभग 45 करोड़ रुपये प्रति किमी, जबकि भूमिगत नेटवर्क की लागत लगभग 150 करोड़ रुपये प्रति किमी खर्च आने की बात कही गई थी.
मेट्रो के प्रस्ताव के इनकार के बाद मनीष तिवारी ने कहा कि शहर से जुड़े अहम मुद्दों का प्रस्ताव को एक के बाद एक मुद्दे पर रिजेक्शन मिल रहा है. भाजपा और चंडीगढ़ प्रशासन के अधिकारी बेहतर बता सकते हैं कि इतने सालों से शहर में इन सभी मुद्दों पर क्या-क्या काम किया गया है. भाजपा हमेशा से लोगों के साथ खड़ी है शहर के सभी बड़े मुद्दों पर जल्द ही समाधान किया जाएगा. ऐसे में लाल डोरे को बढ़ाना, प्लेस होल्ड तू फ्री होल्ड, शेयर वाइस प्रॉपर्टी का प्रस्ताव दोबारा भेजने के लिए चंडीगढ़ प्रशासन के अधिकारियों के साथ भाजपा के नेताओं द्वारा मीटिंग की जाएगी.