जबलपुर। मध्यप्रदेश की सड़कों पर गौवंश का डेरा होने से कई समस्याएं खड़ी होती है. लगभग हर जिले में गायों की मौत सड़क हादसों में हो रही है. प्रशासन ने अपने स्तर पर काफी प्रयास किए लेकिन समस्या जस की तस है. क्योंकि गाय पालने वाले लगातार लापरवाही कर रहे हैं. गायों को लावारिस छोड़ रहे हैं. इस समस्या का समाधान नहीं निकल रहा है. इसीलिए अब गौवंश को खुला छोड़ने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की मांग उठने लगी है.
गौवंश की दुर्दशा को लेकर लगाई याचिका
गौवंश की दुर्दशा को लेकर हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है. एक्टिंग चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा व जस्टिस विनय सराफ की युगलपीठ ने मामले को गंभीरता से लेते हुए राज्य शासन, पशुपालन विभाग, एनएचएआई, कलेक्टर टीकमगढ़ सहित अन्य को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. युगलपीठ ने मामले की अगली सुनवाई 26 सितंबर को निर्धारित की है. यह जनहित का मामला टीकमगढ़ निवसी स्वामी देव स्वरूपानंद की ओर से दायर की गई है. याचिका में कहा गया है कि गौवंश की दुर्दशा हो रही है. इससे सनातनियों की आस्था को गहरी चोट पहुंच रही है. क्योंकि सनातन धर्म में गौ को माता का दर्जा मिला है.
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सनातन धर्म में गाय को मां का दर्जा मिला है
याचिका में ये भी कहा गया कि 33 कोटि देवी-देवताओं का गौ माता में वास होने की मान्यता है. इसके बावजूद देखने में आ रहा है कि बेसहारा गौवंश यहां-वहां घूमते हैं. कई बार सड़क के बीच में भी पड़े रहते हैं, जिससे दुर्घटनाओं का अंदेशा बना रहता है. आवेदक की ओर से कहा गया कि बेसहारा गौवंश की सुरक्षा के लिए गौवंश विहार केंद्र बनाए जाए. अभ्यारण्य भी विकसित किए जा सकते हैं. इससे अपेक्षाकृत नैसर्गिक वातावरण में गौवंश न केवल सुरक्षित रहेगा बल्कि पुष्ट भी होगा. ऐसे बाड़ों में भोजन-पानी की सुविधा मिलेगी तो गौवंश का संरक्षण-संवर्धन बेहतर हो सकेगा.