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लंका थाने से लापता बीएचयू छात्र का मामला; दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति पर 15 दिन में निर्णय ले सरकार - Allahabad High Court News - ALLAHABAD HIGH COURT NEWS

वाराणसी के लंका थाने से छात्र शिव कुमार त्रिवेदी के लापता होने की विवेचना में दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ अभियोजन की स्वीकृति पर निर्णय लेने हाईकोर्ट ने निर्देश दिया है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट (Photo Credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Aug 30, 2024, 8:50 PM IST

प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वाराणसी के लंका थाने से बीएचयू छात्र शिव कुमार त्रिवेदी के लापता होने की विवेचना में लापरवाही बरतने के दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ अभियोजन की स्वीकृति पर 15 दिन में निर्णय लेने का निर्देश दिया है.

कोर्ट ने आश्चर्य जताते हुए कहा कि जिस सरकार को अभियोग चलाने की अनुमति देनी है, वही सक्षम प्राधिकारी को पत्र लिख रही है. कोर्ट ने निर्देश के अनुपालन में सरकार की ओर से हलफनामा दाखिल कर बताया गया कि अभियोग चलाने की अनुमति के लिए सरकार को लिखा गया है.

यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति अरुण भंसाली एवं न्यायमूर्ति विकास बुधवार की खंडपीठ ने अधिवक्ता सौरभ तिवारी की जनहित याचिका पर दिया है. याचिका में कहा गया कि लंका पुलिस बीएचयू छात्र शिव कुमार त्रिवेदी को फरवरी 2020 में पकड़कर थाने ले गई. वहां से वह संदेहास्पद परिस्थिति में लापता हो गया. इसकी जांच सीबीसीआईडी को सौंपी गई. इसी दौरान छात्र की लाश एक तालाब में पाई गई. बाद में लंका थाने के आठ पुलिसकर्मियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई, लेकिन अभियोजन की अनुमति में देरी की जा रही है. कहा गया कि घटना के छह माह बाद जांच शुरू की गई. जबकि छात्र के शव का पोस्टमार्टम बीएचयू में ही हुआ. यह भी आरोप है कि पुलिस उसका पता लगाने में नाकाम रही.

प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वाराणसी के लंका थाने से बीएचयू छात्र शिव कुमार त्रिवेदी के लापता होने की विवेचना में लापरवाही बरतने के दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ अभियोजन की स्वीकृति पर 15 दिन में निर्णय लेने का निर्देश दिया है.

कोर्ट ने आश्चर्य जताते हुए कहा कि जिस सरकार को अभियोग चलाने की अनुमति देनी है, वही सक्षम प्राधिकारी को पत्र लिख रही है. कोर्ट ने निर्देश के अनुपालन में सरकार की ओर से हलफनामा दाखिल कर बताया गया कि अभियोग चलाने की अनुमति के लिए सरकार को लिखा गया है.

यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति अरुण भंसाली एवं न्यायमूर्ति विकास बुधवार की खंडपीठ ने अधिवक्ता सौरभ तिवारी की जनहित याचिका पर दिया है. याचिका में कहा गया कि लंका पुलिस बीएचयू छात्र शिव कुमार त्रिवेदी को फरवरी 2020 में पकड़कर थाने ले गई. वहां से वह संदेहास्पद परिस्थिति में लापता हो गया. इसकी जांच सीबीसीआईडी को सौंपी गई. इसी दौरान छात्र की लाश एक तालाब में पाई गई. बाद में लंका थाने के आठ पुलिसकर्मियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई, लेकिन अभियोजन की अनुमति में देरी की जा रही है. कहा गया कि घटना के छह माह बाद जांच शुरू की गई. जबकि छात्र के शव का पोस्टमार्टम बीएचयू में ही हुआ. यह भी आरोप है कि पुलिस उसका पता लगाने में नाकाम रही.

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