कोरबा: जिले के कैंसर मरीजों के लिए राहत भरी खबर है. कोरबा मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में कैंसर विभाग शुरु हो गई है. यहां डे केयर कीमोथेरेपी की सुविधा भी अब कैंसर मरीज को मिलने लगी है. हालांकि अभी यहां पूर्णकालिक कैंसर विशेषज्ञ की पदस्थापना नहीं हुई है. लेकिन कैंसर की जांच और इसके इलाज की व्यवस्था होने से कोरबा जिले के आसपास के कई जिले के लोगों को भी बड़ी राहत मिली है. अब क्षेत्र के कैंसर रोग से ग्रसित मरीजों को इलाज के लिए रायपुर का चक्कर नहीं लगाना पड़ेगा.
जिले के कैंसर मरीजों को मिली राहत: क्रिटिकल पोल्यूटड जिला होने की वजह से कोरबा में कैंसर के मरीज लगातार सामने आ रहे हैं. पहले इन सभी के इलाज के लिए जिले में कोई विकल्प मौजूद नहीं था. अब कोरबा मेडिकल कॉलेज अस्पताल में कैंसर के ऑपरेशन और कीमोथेरेपी दोनों सुविधा शुरू की गई है. हालांकि फिलहाल कोरबा जिले का सेंटर उतना एडवांस नहीं है, लेकिन फिर भी अब इलाज की सुविधा कोरबा में मिलने से जिले के कैंसर मरीजों को काफी राहत मिली है.
2023 में 148 महिलाओं का पैप स्मीयर टेस्ट: साल 2023 में कोरबा मेडिकल कॉलेज के स्त्री रोग और प्रसूति विभाग में कैंसर डिटेक्शन क्लीनिक चल रहा था. इस दौरान यहां कुल 148 महिलाओं का पैप स्मीयर टेस्ट लिया गया. ये ऐसी महिलाएं हैं, जो सेहत को लेकर फिक्र जताते हुए स्वयं मेडिकल कॉलेज सह जिला अस्पताल में परीक्षण कराने पहुंची थीं. इनमें से 20 महिलाओं की रिपोर्ट सीए सर्विक्स पॉजिटिव आई. इसके अलावा निजी अस्पतालों से डाइग्नोज होकर पहुंची 48 महिलाओं को भी चिन्हित किया गया. इस तरह बीते साल 2023 में कुल 68 रोगी सामने आए थे.
सर्जिकल ऑन्कोलॉजिस्ट कर रहे देखभाल : कैंसर विभाग के खुलने के बाद से ही कोरबा मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में सर्जिकल ऑन्कोलॉजिस्ट के तौर पर डॉ प्रभात पाणिग्रही अपनी सेवाएं दे रहे हैं, जोकि टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल मुंबई में पदस्थ हैं. वर्तमान में वह सर्जिकल कंसल्टेंट के तौर पर कोरबा मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में भी पदस्थ हैं. सर्जिकल ऑन्कोलॉजिस्ट सामान्य कैंसर सर्जन होते हैं. ये निदान, स्टेजिंग (कैंसर के चरण का निर्धारण) और कैंसर के विकास को हटाने की प्रक्रिया में विशेषज्ञता रखते हैं. इनका काम कैंसर के विकास को हटाने बायोप्सी और सर्जरी करना होता है. दुनिया भर के सर्जिकल ऑन्कोलॉजिस्ट लगातार कैंसर की वजह का पता लगाने और इसके उपचार व रोकथाम के रिसर्च में जुटे हुए हैं.
अभी तक 116 हाई रिस्क पेशेंट की स्क्रीनिंग : डॉ पाणिग्रही ने बताया, हमने कोरबा में अब तक 116 हाई रिस्क मरीजों की स्क्रीनिंग की है, जिसमें से 20 लोगों को कैंसर से ग्रसित पाया गया है. इन सभी के कीमोथेरेपी की शुरुआत कोरबा मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में की जा चुकी है.
यह एक दु:खद विषय है कि कैंसर का पता लोगों को तब चलता है, जब वह तीसरे और चौथे स्टेज में जा चुके होते हैं. कैंसर रोग के विषय में जागरूकता के अभाव की वजह से कैंसर की शुरुआत में लोग जांच नहीं कराते. यदि कैंसर पहले और दूसरे स्टेज में डायग्नोज हो जाए, तो इसके शत प्रतिशत ठीक होने की संभावना रहती है. लेकिन तीसरे, चौथे स्टेज में पता चलने से परेशानी बढ़ जाती है और कैंसर एडवांस लेवल में पहुंच जाता है. अक्सर लोग तभी कैंसर का इलाज शुरू कराते हैं. - डॉ प्रभात पाणिग्रही, सर्जिकल ऑन्कोलॉजिस्ट, कोरबा एमसीएच
विशेषज्ञ की सलाह पर शुरू की कीमोथेरेपी : कोरबा मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में पदस्थ जूनियर रेजिडेंट डॉ सोनू कुमार साहू का कहना है, "फिलहाल कैंसर विशेषज्ञ की कोरबा मेडिकल कॉलेज अस्पताल में पदस्थापना नहीं हुई है, लेकिन कैंसर विभाग की शुरुआत हो चुकी है. सर्जिकल ऑन्कोलॉजिस्ट के माध्यम से सर्जरी और कीमोथेरेपी की शुरुआत हमने कर दी है. ज्यादा जटिल केस होने पर हम मरीज को यहां से रायपुर रिफर करते हैं. वहां से जो बताया जाता है, उसके आधार पर हम मरीजों का फॉलोअप लेते हैं और उन्हें सुविधा देते हैं. खासतौर पर कोरबा में आजकल कैंसर बहुत सामान्य सी बात हो गई है. सर्वाइकल और यूट्रस कैंसर के मरीज ज्यादा सामने आ रहे हैं."
शरीर में ये लक्षणों दिखे, तो फौरन पहुंचे हॉस्पिटल: ज्यादातर ब्रेस्ट कैंसर के मरीज मिलते हैं. ऐसे में अगर किसी भी तरह की गांठ हो, शरीर में कोई घाव हो, जो ठीक नहीं हो रहा हो. पूरा मुंह ना खुले या इस तरह का कोई भी लक्षण हो. तो तत्काल जांच करानी चाहिए. खास तौर पर जो सिगरेट, गुटका और तंबाकू का नियमित उपयोग करते हैं, उनमें कैंसर होने की संभावना अत्यधिक रहती है. इसलिए अब हम ओपीडी में आने वाले मरीजों को भी कैंसर रोग के विषय में जागरूक करते हैं, उन्हें इसके बारे में बताते हैं.