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सफदरजंग अस्पताल में जल्द थैलेसीमिया मरीजों के लिए शुरू होगा बोन मैरो ट्रांसप्लांट - Bone marrow transplant

World Thalassemia Day: दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में थैलेसीमिया के मरीजों के लिए जल्द बोन मैरो ट्रांसप्लांट शुरू होगा. राजधानी में थैलेसीमिया के करीब 2500 मरीज हैं.

सफदरजंग अस्पताल में  शुरू होगा बोन मैरो ट्रांसप्लांट
सफदरजंग अस्पताल में शुरू होगा बोन मैरो ट्रांसप्लांट (Etv Bharat reporter)
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : May 8, 2024, 10:48 PM IST

नई दिल्ली: विश्व थैलेसीमिया दिवस पर सफदरजंग अस्पताल में जागरुकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया. अस्पताल की एमएस ने बताया कि थैलेसीमिया के मरीजों के लिए जल्द सफदरजंग अस्पताल में बोन मैरो ट्रांसप्लांट शुरू होगा. कार्यक्रम में थैलेसीमिया वाहक स्थिति के लिए विवाह पूर्व और प्रसव पूर्व परीक्षण के महत्व पर जोर दिया गया.

सफदरजंग अस्पताल की एमएस डॉ. वंदना तलवार ने बताया कि जल्द इस अस्पताल में थैलेसीमिया मेजर के बच्चों को बोन मैरो ट्रांसप्लांट का लाभ मिलेगा. यहां 10 बिस्तरों वाला समर्पित थैलेसीमिया डेकेयर सेंटर है. यहां पहले से ही कई थैलेसीमिया बच्चों का इलाज कर रहा है, जिन्हें नियमित रूप से ट्रांसफ्यूजन और केलेशन थेरेपी मिल रही है. कार्यक्रम में कई रोगियों के साथ उनके माता-पिता, नर्सिंग और मेडिकल छात्रों ने भाग लिया.

थैलेसीमिया विशेषज्ञ डॉ. जेएस अरोड़ ने बताया कि दुनिया में थैलेसीमिया मेजर से पीड़ित बच्चों की संख्या सबसे अधिक भारत में है. एक लाख को बीटा थैलेसीमिया है. हर साल लगभग 10,000-15,000 बच्चे थैलेसीमिया मेजर के साथ पैदा होते हैं, जो थैलेसीमिया मेजर के वैश्विक बोझ में लगभग 10% का योगदान देता है. थैलेसीमिया मेजर का लगभग हर आठवां मरीज भारत में रहता है. दिल्ली में थैलेसीमिया मेजर के करीब 2500 मरीज हैं.

थैलेसीमिया रोगियों के लिए बीएमटी सेवाएं होगा शुरू: डॉ. तलवार ने कहा कि बाल रोग विभाग में थैलेसीमिया सेवाओं के विस्तार के साथ उन्हें विश्वास है कि नए उपचार उपलब्ध कराए जाएंगे और अधिक से अधिक रोगियों को लाभ होगा. साथ ही भविष्य में एसजेएच थैलेसीमिया रोगियों के लिए बीएमटी सेवाएं शुरू की जाएगी. इन रोगियों के बोन मैरो ट्रांसप्लांट को सुविधाजनक बनाने और शुरू करने का लक्ष्य रखना चाहिए. क्योंकि यह इन रोगियों के लिए एकमात्र इलाज है.

नई दिल्ली: विश्व थैलेसीमिया दिवस पर सफदरजंग अस्पताल में जागरुकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया. अस्पताल की एमएस ने बताया कि थैलेसीमिया के मरीजों के लिए जल्द सफदरजंग अस्पताल में बोन मैरो ट्रांसप्लांट शुरू होगा. कार्यक्रम में थैलेसीमिया वाहक स्थिति के लिए विवाह पूर्व और प्रसव पूर्व परीक्षण के महत्व पर जोर दिया गया.

सफदरजंग अस्पताल की एमएस डॉ. वंदना तलवार ने बताया कि जल्द इस अस्पताल में थैलेसीमिया मेजर के बच्चों को बोन मैरो ट्रांसप्लांट का लाभ मिलेगा. यहां 10 बिस्तरों वाला समर्पित थैलेसीमिया डेकेयर सेंटर है. यहां पहले से ही कई थैलेसीमिया बच्चों का इलाज कर रहा है, जिन्हें नियमित रूप से ट्रांसफ्यूजन और केलेशन थेरेपी मिल रही है. कार्यक्रम में कई रोगियों के साथ उनके माता-पिता, नर्सिंग और मेडिकल छात्रों ने भाग लिया.

थैलेसीमिया विशेषज्ञ डॉ. जेएस अरोड़ ने बताया कि दुनिया में थैलेसीमिया मेजर से पीड़ित बच्चों की संख्या सबसे अधिक भारत में है. एक लाख को बीटा थैलेसीमिया है. हर साल लगभग 10,000-15,000 बच्चे थैलेसीमिया मेजर के साथ पैदा होते हैं, जो थैलेसीमिया मेजर के वैश्विक बोझ में लगभग 10% का योगदान देता है. थैलेसीमिया मेजर का लगभग हर आठवां मरीज भारत में रहता है. दिल्ली में थैलेसीमिया मेजर के करीब 2500 मरीज हैं.

थैलेसीमिया रोगियों के लिए बीएमटी सेवाएं होगा शुरू: डॉ. तलवार ने कहा कि बाल रोग विभाग में थैलेसीमिया सेवाओं के विस्तार के साथ उन्हें विश्वास है कि नए उपचार उपलब्ध कराए जाएंगे और अधिक से अधिक रोगियों को लाभ होगा. साथ ही भविष्य में एसजेएच थैलेसीमिया रोगियों के लिए बीएमटी सेवाएं शुरू की जाएगी. इन रोगियों के बोन मैरो ट्रांसप्लांट को सुविधाजनक बनाने और शुरू करने का लक्ष्य रखना चाहिए. क्योंकि यह इन रोगियों के लिए एकमात्र इलाज है.

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