शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट की बेंच ने आज सुक्खू सरकार के 6 मुख्य संसदीय सचिवों को उनके पद से हटाने और उनसे सभी सुविधाएं वापस लेने के आदेश दे दिए हैं. बीजेपी विधायक सतपाल सिंह सत्ती समेत तीन याचिकाओं की सुनवाई के बाद बुधवार को जस्टिस विवेक सिंह ठाकुर और जस्टिस बिपिन चंद्र नेगी की बेंच ने ये फैसला सुनाया है. बीजेपी नेता जयराम ठाकुर और राजीव बिंदल ने हाईकोर्ट के इस फैसले पर खुशी जताई है.
नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने हिमाचल हाईकोर्ट की डबल बेंच के निर्णय पर कहा कि, 'मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की ओर से यह फैसला असंवैधानिक और तानाशाहीपूर्ण तरीके से लिया गया था. भारतीय जनता पार्टी मांग करती है कि सीपीएस के पद पर नियुक्त किए गए सभी विधानसभा सदस्यों की सदस्यता भी रद्द की जाए. सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के स्पष्ट आदेश के बाद भी सरकार ने तानाशाही पूर्ण तरीके से यह नियुक्ति अपने विधायकों को खुश रखने के लिए की थी, इसका खर्च प्रदेश के आम टैक्स पेयर्स को उठाना पड़ा.'
पूर्व सीएम ने कहा कि, 'सुक्खू सरकार ने यह निर्णय संविधान के दायरे के बाहर रहकर लिया था, जिसे आज माननीय न्यायालय ने रद्द कर दिया है. इससे ये भी साफ हो गया है कि कांग्रेस पार्टी की सरकार संविधान के बजाय अपने प्रावधानों से चलना पसंद करती है. बीजेपी पहले दिन से ही सीपीएस बनाने के फैसले के खिलाफ थी, क्योंकि यह असंवैधानिक था. ये माननीय न्यायालय के आदेशों की उल्लंघना थी. इसके खिलाफ बीजेपी ने आवाज उठाई, कोर्ट गए और सरकार के इस फैसले को चुनौती दी गई. इस असंवैधानिक निर्णय को औचित्यपूर्ण ठहराने में सुक्खू सरकार ने हर स्तर पर राज्य के संसाधनों का प्रयोग किया, जिससे प्रदेश के राजस्व पर करोड़ों रुपए का बोझ पड़ा. सुक्खू सरकार सीपीएस की नियुक्तियों के अपने स्टैंड से पीछे हट सकती थी, लेकिन संवैधानिक व्यस्था को मानने में सुक्खू सरकार यकीन नहीं करती है '
वहीं, बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. राजीव बिंदल ने कहा कि, 'हिमाचल हाईकोर्ट ने प्रदेश सीपीएस की नियुक्ति को निरस्त कर दिया है. बीजेपी इसका स्वागत करती है. हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के महत्वपूर्ण फैसले ने साबित कर दिया कि हिमाचल प्रदेश की वर्तमान कांग्रेस सरकार किस प्रकार गैर कानूनी तरीके से मुख्य संसदीय सचिवों की नियुक्ति करते हुए दो साल व्यतीत कर दिए. लगातार हिमाचल प्रदेश के पैसे का दुरूपयोग हुआ, शक्तियों का दुरूपयोग हुआ, 6 मुख्य संसदीय सचिव बनाकर उनको मंत्रियों के बराबर शक्तियां देना गैर कानूनी रहा, संविधान के खिलाफ रहा.'
डॉ. बिन्दल ने कहा कि, 'माननीय उच्च न्यायालय ने सभी सीपीएस की शक्तियां, कानून को समाप्त करने का जो फैंसला किया, वो स्वागत योग्य कदम है और हिमाचल प्रदेश की जनता के साथ अन्यायपूर्ण रवैया वर्तमान कांग्रेस सरकार ने किया है, हम उसकी निंदा करते हैं.'
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