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बीजेपी ने सुक्खू सरकार के खिलाफ राज्यपाल को सौंपा ज्ञापन, भ्रष्टाचार सहित लगाए ये गंभीर आरोप

हिमाचल बीजेपी ने सुक्खू सरकार के खिलाफ राज्यपाल को एक ज्ञापन सौंपा है. इसमें बीजेपी ने प्रदेश सरकार पर कई घोटालों के आरोप लगाए हैं.

बीजेपी ने सुक्खू सरकार के खिलाफ राज्यपाल को सौंपा ज्ञापन
बीजेपी ने सुक्खू सरकार के खिलाफ राज्यपाल को सौंपा ज्ञापन (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : 3 hours ago

शिमला: हिमाचल की कांग्रेस सरकार एक तरफ जहां बिलासपुर में 2 साल का कार्यकाल पूरा होने पर समारोह का आयोजन कर रही है. वहीं, बीजेपी ने आज प्रदेश सरकार के खिलाफ राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल को 116 पन्नों का ज्ञापन सौंपा है. इस ज्ञापन में बीजेपी ने सरकार पर भ्रष्टाचार सहित कई गंभीर आरोप लगाए हैं. नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष राजीव बिंदल सहित अन्य विधायकों और प्रदेश स्तरीय नेताओ ने राज्यपाल को ये ज्ञापन सौंपा है.

बीजेपी की ओर से सौंपे गए ज्ञापन में सरकार पर शराब घोटाला, भू घोटाला, पीडब्ल्यूडी घोटाले के साथ ही मुख्यमंत्री कार्यालय पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए हैं. बीजेपी ने राज्यपाल से इसकी जांच की मांग उठाई है. भाजपा ने आरोप लगाते हुए कहा कि, 'वर्तमान कांग्रेस सरकार का 2 वर्ष का ये कार्यकाल प्रदेश के इतिहास में काले अध्याय के रूप में जाना जाएगा, क्योंकि भ्रष्टाचार में डूबी सुक्खू सरकार ने 'मित्रों' को अनैतिक रूप से लाभ पहुंचाकर, फिजूल खर्ची को बढ़ावा देकर और आर्थिक कुप्रबंधन कर प्रदेश को आर्थिक दिवालियापन की कगार पर खड़ा कर दिया हैं. वहीं, क़ानून व्यवस्था को ठेंगा दिखाते हुए खनन, ड्रग, शराब, कबाड़, वन व भू माफिया को सरंक्षण देकर प्रदेश में माफिया राज स्थापित कर दिया है.'

राज्यपाल को ज्ञापन सौंपने जाती बीजेपी
राज्यपाल को ज्ञापन सौंपने जाते बीजेपी नेता (ETV BHARAT)

बीजेपी ने लगाए शराब घोटाले के आरोप

बीजेपी ने ज्ञापन में कहा कि, 'अजीब-गरीब फैसले लेकर प्रदेश को देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में मजाक का विषय बना दिया. मुख्यमंत्री कार्यालय भ्रष्टाचार का अड्डा बन चुका है.
हिमाचल सरकार के आबकारी एवं कराधान विभाग ने इस वर्ष के लिए फरवरी-मार्च 2024 में शराब के ठेकों की नीलामी की थी, जिसमें बहुत बड़ा घोटाला हुआ है. एक तो विभाग ने जिलों में छोटे यूनिट मिलाकर बड़े यूनिट बना दिए, ताकि चहेते ठेकेदारों को फायदा पहुंचाया जा सके. सरकारी दबाव में प्रशासनिक अधिकारियों ने नीलामी करने में गड़बड़ियां की जिससे कई जिलों में बोली रिजर्व दाम के बराबर या कम में ही चली गई और चहेतों को लाभ देने के लिए सरकारी खजाने को चूना लगाने का काम किया गया है.'

भूमि घेटाले का आरोप

राज्यपाल को सौंपे ज्ञापन में बीजेपी ने आरोप लगाते हुए कहा कि, 'इस सरकार में भूमि घोटालों को अंजाम दिया जा रहा है. सीएम सुक्खू के भाई राजीव सिंह ने नादौन में 769 कनाल जमीन खरीदी जिसे साल 2012 में सुक्खू ने अपने नाम करवा लिया, तब यह कृषि भूमि के नाम से दर्ज थी, लेकिन उस समय के एसडीएम और वर्तमान में सीएम के ओएसडी अनिल मनकोटिया ने इस जमीन की किस्म को बदल दिया. इस भूमि को 2017-2022 के विधानसभा चुनाव के दौरान दिए हल्फनामे में सीएम ने इसे गैर कृषि भूमि दर्शाया और इसकी कीमत 2 करोड़ 78 लाख रुपये बताई, लेकिन सच ये है कि ये भूमि निर्धारण धारा-3 के अनुसार किसी भी परिभाषा में नहीं आती. प्रदेश के मुख्यमंत्री पद पर बैठे व्यक्ति अपने ओएसडी से मिलकर किस तरह भूमि घोटाले को अंजाम दे रहे हैं, यह उसका एक उदाहरण है.'

अवैध कटान का आरोप

बीजेपी ने ज्ञापन में आरोप लगाते हुए कहा कि, 'वर्तमान सरकार ने निजी जमीन से पेड़ काटने के लिए अपने चहेतों को लाइसेंस दे रखे हैं. इन ठेकेदारों के पास 9 किस्म के पेड़ों के कटान की परमिशन है, लेकिन ये अन्य किस्म के पेड़ों को भी काट रहे हैं और दूसरा निजी जमीन के अलावा सरकारी जंगलों से भी अवैध रूप से कटान किया जा रहा है. वर्तमान प्रदेश सरकार में बड़े पैमाने पर हिमाचल प्रदेश की संपत्तियों को बेचना शुरू कर दिया है और पर्यटन निगम इसका एक उदाहरण है. पर्यटन निगम के कर्मचारी संघ ने सेवानिवृत कर्मचारियों की देनदारियों को लेकर एक मामला माननीय उच्च न्यायालय में दर्ज किया, जिसमें जानबूझकर पर्यटन निगम ने अदालत के आदेश पर जो रिपोर्ट अदालत में रखी उसमे पर्यटन निगम के उन 18 होटलों को घाटे में दर्शाया गया जो प्राइम लोकेशन पर चल रहे हैं. परिणाम स्वरूप अदालत ने इन होटलों को बंद करने के आदेश दे दिए.'

ये भी पढ़ें: "उपलब्धियों भरा रहा 2 साल का कार्यकाल, सरकार ने 15 महीने में 5 गारंटियां की पूरी"

ये भी पढ़ें: सुक्खू सरकार ने गिनाए दो साल के काम, सामाजिक सुरक्षा के मोर्चे पर जनता को दिए कई सुख

शिमला: हिमाचल की कांग्रेस सरकार एक तरफ जहां बिलासपुर में 2 साल का कार्यकाल पूरा होने पर समारोह का आयोजन कर रही है. वहीं, बीजेपी ने आज प्रदेश सरकार के खिलाफ राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल को 116 पन्नों का ज्ञापन सौंपा है. इस ज्ञापन में बीजेपी ने सरकार पर भ्रष्टाचार सहित कई गंभीर आरोप लगाए हैं. नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष राजीव बिंदल सहित अन्य विधायकों और प्रदेश स्तरीय नेताओ ने राज्यपाल को ये ज्ञापन सौंपा है.

बीजेपी की ओर से सौंपे गए ज्ञापन में सरकार पर शराब घोटाला, भू घोटाला, पीडब्ल्यूडी घोटाले के साथ ही मुख्यमंत्री कार्यालय पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए हैं. बीजेपी ने राज्यपाल से इसकी जांच की मांग उठाई है. भाजपा ने आरोप लगाते हुए कहा कि, 'वर्तमान कांग्रेस सरकार का 2 वर्ष का ये कार्यकाल प्रदेश के इतिहास में काले अध्याय के रूप में जाना जाएगा, क्योंकि भ्रष्टाचार में डूबी सुक्खू सरकार ने 'मित्रों' को अनैतिक रूप से लाभ पहुंचाकर, फिजूल खर्ची को बढ़ावा देकर और आर्थिक कुप्रबंधन कर प्रदेश को आर्थिक दिवालियापन की कगार पर खड़ा कर दिया हैं. वहीं, क़ानून व्यवस्था को ठेंगा दिखाते हुए खनन, ड्रग, शराब, कबाड़, वन व भू माफिया को सरंक्षण देकर प्रदेश में माफिया राज स्थापित कर दिया है.'

राज्यपाल को ज्ञापन सौंपने जाती बीजेपी
राज्यपाल को ज्ञापन सौंपने जाते बीजेपी नेता (ETV BHARAT)

बीजेपी ने लगाए शराब घोटाले के आरोप

बीजेपी ने ज्ञापन में कहा कि, 'अजीब-गरीब फैसले लेकर प्रदेश को देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में मजाक का विषय बना दिया. मुख्यमंत्री कार्यालय भ्रष्टाचार का अड्डा बन चुका है.
हिमाचल सरकार के आबकारी एवं कराधान विभाग ने इस वर्ष के लिए फरवरी-मार्च 2024 में शराब के ठेकों की नीलामी की थी, जिसमें बहुत बड़ा घोटाला हुआ है. एक तो विभाग ने जिलों में छोटे यूनिट मिलाकर बड़े यूनिट बना दिए, ताकि चहेते ठेकेदारों को फायदा पहुंचाया जा सके. सरकारी दबाव में प्रशासनिक अधिकारियों ने नीलामी करने में गड़बड़ियां की जिससे कई जिलों में बोली रिजर्व दाम के बराबर या कम में ही चली गई और चहेतों को लाभ देने के लिए सरकारी खजाने को चूना लगाने का काम किया गया है.'

भूमि घेटाले का आरोप

राज्यपाल को सौंपे ज्ञापन में बीजेपी ने आरोप लगाते हुए कहा कि, 'इस सरकार में भूमि घोटालों को अंजाम दिया जा रहा है. सीएम सुक्खू के भाई राजीव सिंह ने नादौन में 769 कनाल जमीन खरीदी जिसे साल 2012 में सुक्खू ने अपने नाम करवा लिया, तब यह कृषि भूमि के नाम से दर्ज थी, लेकिन उस समय के एसडीएम और वर्तमान में सीएम के ओएसडी अनिल मनकोटिया ने इस जमीन की किस्म को बदल दिया. इस भूमि को 2017-2022 के विधानसभा चुनाव के दौरान दिए हल्फनामे में सीएम ने इसे गैर कृषि भूमि दर्शाया और इसकी कीमत 2 करोड़ 78 लाख रुपये बताई, लेकिन सच ये है कि ये भूमि निर्धारण धारा-3 के अनुसार किसी भी परिभाषा में नहीं आती. प्रदेश के मुख्यमंत्री पद पर बैठे व्यक्ति अपने ओएसडी से मिलकर किस तरह भूमि घोटाले को अंजाम दे रहे हैं, यह उसका एक उदाहरण है.'

अवैध कटान का आरोप

बीजेपी ने ज्ञापन में आरोप लगाते हुए कहा कि, 'वर्तमान सरकार ने निजी जमीन से पेड़ काटने के लिए अपने चहेतों को लाइसेंस दे रखे हैं. इन ठेकेदारों के पास 9 किस्म के पेड़ों के कटान की परमिशन है, लेकिन ये अन्य किस्म के पेड़ों को भी काट रहे हैं और दूसरा निजी जमीन के अलावा सरकारी जंगलों से भी अवैध रूप से कटान किया जा रहा है. वर्तमान प्रदेश सरकार में बड़े पैमाने पर हिमाचल प्रदेश की संपत्तियों को बेचना शुरू कर दिया है और पर्यटन निगम इसका एक उदाहरण है. पर्यटन निगम के कर्मचारी संघ ने सेवानिवृत कर्मचारियों की देनदारियों को लेकर एक मामला माननीय उच्च न्यायालय में दर्ज किया, जिसमें जानबूझकर पर्यटन निगम ने अदालत के आदेश पर जो रिपोर्ट अदालत में रखी उसमे पर्यटन निगम के उन 18 होटलों को घाटे में दर्शाया गया जो प्राइम लोकेशन पर चल रहे हैं. परिणाम स्वरूप अदालत ने इन होटलों को बंद करने के आदेश दे दिए.'

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