चंडीगढ़: हरियाणा विधानसभा चुनाव की उलटी गिनती शुरू हो चुकी है. एक तरफ कांग्रेस हरियाणा मांगे हिसाब कार्यक्रम का दूसरा दौर शुरू कर चुकी है. कांग्रेस सांसद कुमारी सैलजा भी कांग्रेस संदेश यात्रा का दूसरा दौर शुरू करने वाली हैं. दूसरी ओर सत्ता में तीसरी बार वापसी करने की चाह रखने वाली बीजेपी भी कमर कस चुकी है. हरियाणा बीजेपी ने भी अपनी चुनावी रणनीति को धार देना शुरू कर दिया है. बीजेपी हरियाणा में चार अगस्त से चुनावी अभियान शुरू कर रही है.
हरियाणा बीजेपी में बैठकों का दौर जारी: विधानसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर हरियाणा बीजेपी में बैठकों का दौर जारी है. अब पार्टी विधानसभा चुनाव के लिए अपनी रणनीति को और धारदार बना रही है. इसके लिए पार्टी के दिग्गज नेताओं की आरएसएस के साथ भी बैठक हो चुकी है. जानकारों की मानें तो बीजेपी और आरएसएस ने मिलकर चुनाव लड़ने का फैसला किया है. माना ये भी जा रहा है कि विधानसभा चुनाव में पार्टी कई वर्तमान विधायकों और मंत्रियों का टिकट काट सकती है. यानी पार्टी इस बार परफॉर्मेंस को आधार बनाकर ही टिकट देगी.
धर्मनगरी कुरुक्षेत्र से शुरू होगा चुनाव अभियान: जानकारों के मुताबिक बीजेपी ने विधानसभा चुनाव के लिए रोडमैप बना लिया है. जिसके तहत पार्टी सभी 90 विधानसभा क्षेत्रों में जनसभाओं के जरिए लोगों तक पहुंचेगी. पार्टी के इस अभियान की शुरुआत चार अगस्त को धर्मनगरी कुरुक्षेत्र से होगी. इस रैली में पार्टी के विधानसभा चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान मौजूद रहेंगे, वहीं सीएम नायब सैनी के साथ राज्य सरकार के तमाम मंत्री और राज्य से संबंधित केंद्रीय मंत्री भी मौजूद रहेंगे. जानकारी के मुताबिक बीजेपी ने सभी जनसभाओं को चुनाव घोषित होने से पहले पूरा करने का लक्ष्य रखा है.
जमीनी स्तर तक पहुंचने की रणनीति: बीजेपी के लिए इस वक्त बड़ी चुनौती कांग्रेस का उनके विरोध में जनता के बीच प्रचार करना और दस साल की एंटी इंकम्बेंसी है. इन सब के चलते हरियाणा में तीसरी बार जीत दर्ज कर सरकार बनाना बड़ी चुनौती है. इसके लिए पार्टी ने लोगों के बीच पहुंचने और सरकार की योजनाओं को उन तक पहुंचने का प्लान तैयार किया है. जिसके लिए बीजेपी जनता तक पहुंचने के लिए जनसभाओं का सहारा लेगी. वहीं पार्टी की छोटी से छोटी इकाई की बैठक भी पार्टी नेता करेंगे. यानी बीजेपी नेता अपने जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं में जोश भरते हुए विधानसभा चुनाव की इस जंग को मजबूती के साथ लड़ेंगे.
क्या कहते हैं जानकार? बीजेपी और कांग्रेस के बीच होने वाली इस चुनावी जंग पर राजनीतिक मामलों के जानकार धीरेंद्र अवस्थी ने कहा कि बीजेपी का चुनावी अभियान एक तरह से उसी दिन शुरू हो गया था, जिस दिन मनोहर लाल ने सीएम पद से इस्तीफा दिया था, लेकिन लोकसभा चुनाव में जो नतीजे आए, वो बीजेपी के लिए चिंता का सबब बने. उसके बाद बीजेपी ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी.
जनसभा के तहत जनता के बीच जाएगी बीजेपी: उन्होंने कहा कि वैसे भी बीजेपी अपनी चुनावी प्लानिंग के लिए जानी जाती है. वो चुनाव को युद्ध के तरीके से लड़ते हैं. उसमें वो किसी भी स्तर पर कमी नहीं छोड़ते हैं. वो अपने नेता और कार्यकर्ता को मैदान में झोंक देते हैं. कहा जा रहा है कि बीजेपी आधिकारिक चुनावी आगाज चार अगस्त से कर रही है. इसके तहत बीजेपी सभी विधानसभा क्षेत्र में जनसभाएं करेगी. बीजेपी चाहती है कि चुनाव की घोषणा से पहले कोई विधानसभा, कोई गांव ऐसा ना रहे, जो प्रचार से छूट जाए. बीजेपी चाहती है कि उसका फर्स्ट और सेकंड फेज का चुनाव कैंपेन पूरा हो जाए.
'फिलहाल बीजेपी से बेहतर लग रही कांग्रेस': फिलहाल की स्थिति देखकर लग रहा है कि बीजेपी के मुकाबले कांग्रेस ने बेहतर तैयारी की है. कांग्रेस ने भी बूथ लेवल तक तैयारी की हुई है. हर विधानसभा के कोऑर्डिनेटर लगा दिए गए हैं, स्क्रीनिंग कमेटी बन चुकी है, पार्टी ने 45 टॉप लीडर का ऐलान कर दिया है. क्रिकेट की टीम की तरह ही दोनों टीमों की तरफ से बेहतर रणनीति तैयार कर ली गई है. बीजेपी के सामने एक माइनस प्वाइंट इस बार ये है कि उसके खिलाफ दस साल की एंटी इनकंबेंसी है. जो लोकसभा चुनाव में भी दिखी. वहीं कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को इस बार लग रहा है कि उनकी सरकार बन सकती है. जिसकी वजह से कांग्रेस की शारीरिक भाषा बदल चुकी है. चुनाव की घोषणा से पहले दोनों पार्टियां जमीनी स्तर तक पहुंचना चाहती हैं.
रंग लाएगा बीजेपी और आरएसएस का तालमेल? आरएसएस और बीजेपी के तालमेल पर उन्होंने कहा कि आरएसएस बीजेपी की बैक बॉन है. किसी भी प्लानिंग का अप्रूवल आरएसएस के बिना नहीं होता. लोकसभा चुनाव में भी ये देखा गया है कि आरएसएस का कैडर कहीं नाराज था. उसका खामियाजा बीजेपी ने भुगता. कई मंत्रियों और विधायकों की टिकट कटने के सवाल पर उन्होंने कहा कि धर्मेंद्र प्रधान जिस दिन विधानसभा चुनाव के प्रभारी बने हैं. उस दिन ही ये बात तय हो गई थी कि बीजेपी सर्वे के आधार पर टिकट देगी. क्योंकि धर्मेंद्र प्रधान के बारे में कहा जाता है कि वो जिसकी थोड़ी भी हैं हारने की संभावना हो उसकी टिकट काटने में वो संकोच नहीं करते हैं. इसलिए ये माना जा रहा है कि तीस से चालीस प्रतिशत वर्तमान बीजेपी के विधायकों के इस बार टिकट कट सकता है. जिसमें मंत्री और विधायक दोनों आते हैं.