जयपुर: हाल ही में देवली-उनियारा विधानसभा क्षेत्र में उपचुनाव के दौरान निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा की ओर से एसडीएम को थप्पड़ मारने का मामला अभी थमा भी नहीं की. शिव से निर्दलीय विधायक रविंद्र भाटी और नागौर से सांसद हनुमान बेनीवाल की कर्मचारी और अधिकारियों को लेकर की गई भाषा पर अब सियासी बयानबाजी तेज हो गई है. बीजेपी ने मंगलवार को जनप्रतिनिधियों की असंयमित भाषा पर कड़ी आपत्ति दर्ज करते हुए कहा कि राजनीति सिद्धांतों और मुद्दों की होनी चाहिए. सस्ती लोकप्रियता के लिए इस तरह की भाषा नहीं बोलनी चाहिए.
सस्ती लोकप्रियता के लिए मुद्दों से भटक रहे राजनेता: पूर्व विधायक और प्रवक्ता रामलाल शर्मा ने कहा कि यह दुर्भाग्य इस बात का है कि प्रदेश की राजनीति में राजनेता और जनप्रतिनिधि सस्ती लोकप्रियता, सोशल मीडिया पर फॉलोवर्स बढ़ाने के लिए असंयमित भाषा का इस्तेमाल कर रहे हैं. इस तरह की बयानबाजी न तो कानून संमत है, ना ही नैतिकता और मानवता के अनुकूल है. यह सही है कि जनता के मुद्दों की ओर सरकार का ध्यान खींचना राजनीतिक व्यक्ति का नैतिक धर्म है. लेकिन राजनीतिक मुद्दों के आधार के पर सस्ती लोकप्रियता के लिए अमर्यादित भाषा उचित नहीं है. राजनीति सिद्धांतों-मुद्दों की होनी चाहिए, लोकतांत्रिक व्यवस्था में सबका अपना काम बात है.
इन नेताओं की भाषा पर आपत्ति: रामलाल शर्मा ने चार नेताओं की भाषाओं का जिक्र किया जिसमें शिव विधायक रविंद्र भाटी, नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल, देवली-उनियारा विधानसभा में क्षेत्र में SDM के साथ हुई घटना और कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव धीरज गुर्जर की ओर से कर्मचारियों के जूते मारने के बयान शामिल है. शर्मा ने कहा कि बाहुबलियों की राजनीति राजस्थान में नहीं चलेगी. दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है कि लोग गुंडागर्दी और दादागिरी के आधार पर राजनीति कर रहे हैं. लोकतंत्र में जनता सर्वोपरि है, यहां बाहुबली नहीं, जनता की सेवा करने वाले लोग राजनीति में आगे बढ़ते हैं.
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किसी भी नेता को छूट नहीं: बीजेपी विधायक अनीता भदेल की ओर से RAS अधिकारी को लेकर दिए बयान पर रामलाल शर्मा ने कहा कि राजनेता और जनप्रतिनिधि किसी भी पार्टी का हो, दादागिरी और बाहुबलियों की राजनीति नहीं चलेगी. राजस्थान की राजनीति हमेशा पाक-साफ रही है, सुचिता की राजनीति रही है. हमेशा एक दूसरे की विचारधारा, मुद्दों और सिद्धांत के आधार पर अपनी बात कही है. लेकिन कभी भी किसी भी दल और किसी भी नेता को इस तरह की भाषा का अधिकार नहीं दिया.