लखनऊ: लोकसभा युनाव 2024 के बाद अब यूपी में 6 महीने के भीतर उपचुनाव होंगे. दरअसल, लोकसभा चुनाव में यूपी के 9 विधायक और एक MLC सांसद बन गए हैं. इनका अपना विधायकी से इस्तीफा देने का सिलसिला शुरू हो गया है. इस्तीफे से खाली हो रही सीटों पर 6 महीने के भीतर निर्वाचन आयोग को चुनाव कराना होगा.
विधायक से सांसद बने नेताओं में सबसे पहले भाजपा के MLC जितिन प्रसाद ने इस्तीफा दिया है. जितिन प्रसाद योगी सरकार में पीडब्ल्यूडी मंत्री थे. लोकसभा चुनाव में पीलीभीत सीट से जीतकर सांसद बन गए हैं. इसके साथ ही आज यानी मंगलवार को सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव अपनी विधायकी से इस्तीफा देंगे.
अखिलेश यादव मैनपुरी की करहल विधानसभा सीट से विधायक हैं. लोकसभा चुनाव में कन्नौज सीट से वह सांसद बन गए हैं. इसके चलते अखिलेश विधायकी छोड़ रहे हैं. इनके अलावा 8 विधायक और हैं जो एक-दो दिन में इस्तीफा दे देंगे. ये भी लोकसभा चुनाव में जीतकर सांसद निर्वाचित हुए हैं.
ये विधायक देंगे इस्तीफा
- फैजाबाद की मिल्कीपुर सीट से सपा विधायक अवधेश प्रसाद
- मुरादाबाद की कुंदरकी सीट से सपा विधायक जियाउर रहमान बर्क
- अलीगढ़ की खैर सीट से भाजपा विधायक अनूप वाल्मीकि प्रधान
- गाजियाबाद विधानसभा सीट से भाजपा विधायक अतुल गर्ग
- फूलपुर विधानसभा सीट से भाजपा विधायक प्रवीण पटेल
- मीरापुर विधानसभा सीट से रालोद विधायक चंदन चौहान
- मीरजापुर की मझवा सीट से निषाद पार्टी के विधायक विनोद कुमार बिंद
पति-पत्नी संसद में दिखेंगे साथ-साथ: देश की संसद के इतिहास में शायद ये पहली बार होगा जब कोई पति-पत्नी एक साथ सदन में बैठेंगे. दरअसल, लोकसभा चुनाव में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव कन्नौज से तो सांसद बने ही हैं, उनकी पत्नी डिंपल यादव मैनपुरी से सांसद बनी हैं. दोनों के नाम ये अनोखा रिकॉर्ड भी चढ़ गया है.
उपचुनाव में खर्च होंगे करीब 11 करोड़ रुपए: यूपी के उप मुख्य चुनाव अधिकारी रहे चुके अधिकारी की मानें तो विधानसभा की एक सीट पर उपचुनाव करवाने में सरकार का करीब सवा करोड़ रुपया खर्च होता है. इस हिसाब से खाली होने वाली 9 सीटों पर उपचुनाव में सरकार की तिजोरी से 11.25 करोड़ रुपये का अतिरिक्त खर्च होगा.
अखिलेश के चाचा शिवपाल यूपी विधानसभा में होंगे नेता प्रतिपक्ष: अखिलेश यादव के दिल्ली की राजनीति में जाने के फैसले के बाद बड़ा सवाल ये है कि यूपी में नेता प्रतिपक्ष का पद कौन संभालेगा. ऐसे में माना जा रहा है कि शिवपाल यादव को विधायक दल का नेता बनाया जा सकता है. दरअसल, शिवपाल विधायक दल में सबसे वरिष्ठतम सदस्य हैं, इसलिए उन्हें नेता प्रतिपक्ष का पद दिया जा सकता है. फिलहाल, इस पर अंतिम फैसला अखिलेश यादव ही लेंगे.
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