नई दिल्ली: दिल्ली स्किल एंड एंटरप्रेन्योरशिप यूनिवर्सिटी (DSEU) के तीन परिसरों में बीटेक के पांच कोर्सेज को बंद करने का मामला अभी शांत भी नहीं हुआ, इस बीच दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता ने AAP सरकार पर विश्वविद्यालय में भर्ती घोटाले का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि यह एक बहुत बड़ा घोटाला है. इसने शहर के युवाओं का भविष्य अंधकारमय कर दिया है.
आप सरकार द्वारा स्थापित किए गए तीन विश्वविद्यालयों में वित्तीय अनियमितताओं और खुली लूट का खुलासा करते हुए गुप्ता ने मुख्यमंत्री केजरीवाल को खुली बहस की चुनौती दी. उन्होंने कहा कि आप सरकार की तथाकथित शिक्षा क्रांति भ्रष्टाचार और सरकारी खजाने की लूट का जरिया है. उन्होंने बताया कि दिल्ली कौशल एवं उद्यमिता विश्वविद्यालय (डीएसईयू), दिल्ली शिक्षक विश्वविद्यालय और दिल्ली खेल विश्वविद्यालय ये तीनों दिल्ली सरकार की बड़ी विफलताएं हैं.
गुप्ता ने प्रदेश कार्यालय में प्रेस वार्ता के दौरान सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि फरवरी 2020 में इसकी घोषणा की गई थी. इसको यूजीसी की मंजूरी मिल जाने के बाद केजरीवाल सरकार ने यूपीएससी और डीएसएसएसबी के स्थान पर अपना पूरा नियंत्रण हासिल कर लिया. इसके चलते इसमें एक बड़े पैमाने पर भर्ती घोटाले का रास्ता खुल गया. इसके बाद AAP सरकार ने विश्वविद्यालय में राजनीतिक नियुक्तियां करनी शुरू कर दी. नियुक्त किये गए अपने लोगों को 3.5 लाख रुपए तक का वेतन दे दिया गया, जो कुलपति के वेतन से भी ज्यादा था. इन नियुक्तियों में टीचिंग और नॉन टीचिंग स्टाफ, गेस्ट टीचर्स, आउटसोर्स कर्मचारी और नियमित कर्मचारी शामिल थे.
बोस्टन कंसल्टेंसी ग्रुप के नाम पर ने 250 करोड़ का गोलमाल: भाजपा नेता ने इस विश्वविद्यालय में बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप (बीसीजी) से जुड़े घोटाले को भी उजागर करते हुए कहा कि इस ग्रुप द्वारा उपलब्ध करवाई गई फर्जी सेवाओं के लिए 250 करोड़ रुपये बर्बाद कर दिए गए. इसमें से 100 करोड़ रुपये केवल विज्ञापनों पर ही खर्च किए गए. बीसीजी ग्रुप को सभी प्रकार की खरीद और भर्तियों का काम दिया गया था. इसके द्वारा फर्जी बिल बनाए गए. अब तक इस ग्रुप के 60 करोड़ रुपये के फर्जी बिल लंबित पड़े हैं. उन्होंने 2020 से 2023 तक बीसीजी को दिए गए सभी भुगतानों और सेवाओं की उच्च स्तरीय जांच की मांग की.
भाजपा नेता ने डीएसईयू की मौजूदा स्थिति का जिक्र करते हुए कहा कि यहां कोई इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं है, कोई लैब नहीं है. यहां तक पीने का पानी और बिजली कनेक्शन भी नहीं है. यूजीसी द्वारा स्वीकृत 1700 गैर-शिक्षण कर्मचारियों की संख्या के मुकाबले इसके 23 परिसरों में केवल 85 कर्मचारी ही मौजूद हैं. इसी तरह शिक्षण कर्मचारियों के लिए मंजूर 1600 में से केवल 500 पद ही भरे गए हैं.
बिना एआईसीटीई की मंजूरी के कोर्स चला रहा डीएसईयू: गुप्ता ने बताया कि डीएसईयू अपने पाठ्यक्रमों को एआईसीटीई की अप्रूवल के बिना चला रहा है, जिससे छात्रों और अभिभावकों में भरोसा खत्म हो गया. डीएसईयू का हिस्सा रहे विश्व स्तरीय कौशल केंद्र की चर्चा करते हुए गुप्ता ने बताया कि इस केंद्र के 23 कैंपसों में कच्ची इमारतों पर 500 करोड़ रुपये खर्च किए गए, लेकिन उनमें भी लैब और मूलभूत सुविधाओं, यहां तक कि बिजली और पानी की सुविधाओं का अभाव था. यहां की स्थिति इतनी खराब हो गई है कि इसके 23 कैंपसों में 54 कोर्स बैंड कर दिए गए हैं. पूरा आंतरिक सिस्टम ढह चुका है. डीएसईयू में चल रहे दूसरे कोर्स में 1700 सीटें खाली रह गई हैं. इसी तरह 5 कैंपस में बीटेक प्रोग्राम बंद हो गए. हर कैंपस में 60 छात्रों को एडमिशन मिलना था, लेकिन क्रमश: 11, 8, 11, 9 और 10 छात्र ही एडमिशन के लिए.
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दो कक्षाओं वाले भवन में चल रहा शिक्षक विश्वविद्यालय: नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि बाकी यूनिवर्सिटीज का हाल भी कुछ ऐसा ही रहा. दिल्ली शिक्षक विश्वविद्यालय मात्र दो कक्षाओं वाले स्कूल भवन में चल रहा है, उसमें भी पर्याप्त छात्र नहीं हैं. दिल्ली खेल विश्वविद्यालय केवल कागजों पर ही है. यह दिल्ली स्पोर्ट्स स्कूल में तब्दील हो गया है, जिसमें छठी, सातवीं और आठवीं कक्षा के छात्रों को पढ़ाया जा रहा है. गुप्ता ने कहा कि सरकार ने अब तक डीएसईयू पर जनता के 1000 करोड़ रुपये से अधिक रुपये बर्बाद कर दिए हैं.
शिक्षा घोटाले पर हो तत्काल कार्रवाई: गुप्ता ने कहा कि डीएसईयू के विज्ञापनों पर 100 करोड़ रुपये बर्बाद कर दिए गए और तीन साल के भीतर पूरी दुकान बंद हो गई. फर्जी शिक्षा मॉडल पर उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार को एक-एक रुपये का हिसाब देना होगा. उन्होंने दिल्ली के उपराज्यपाल से इस पर ध्यान देने और इस शिक्षा घोटाले पर तत्काल कार्रवाई करने की मांग की.