कोरिया: जिले के गेज नदी के किनारे बायोमेडिकल वेस्ट डंप किया जा रहा है. इसी नदी का पानी लोगों के पीने के लिए सप्लाई की जाती है. वहीं, बायोमेडिकल वेस्ट का नदी के किनारे डंपिंग से आने वाले समय में लोगों में बीमारी का खतरा बढ़ सकता है. स्थानीय लोगों ने इसकी शिकायत कई बार की है. बावजूद इसके नदी के किनारे वेस्ट डंपिंग की जा रही है. वहीं, इस मामले में कलेक्टर ने व्यवस्था में सुधार का आश्वासन दिया है.
गेज नदी के किनारे कचरा डंप: दरअसल, कोरिया नगरपालिका क्षेत्र की सीमा से सटे एसएलआरएम सेंटर के पास की हालत बद से बदतर है. यहां अस्पताल से निकलने वाले मेडिकल वेस्ट को गेज नदी के किनारे पर फेंका जा रहा है. फेंके गए मेडिकल वेस्ट में डिस्पोजेबल सिरिंज, खून से सनी पट्टियों से लेकर एक्सपायर हो चुकी दवाईयां और ह्यूमन फ्लैश के टुकड़े भी शामिल हैं. नदी किनारे ही लाल काली पीली नीली प्लास्टिक की थैलियां में बड़ी मात्रा में कचरा डंप किया जा रहा है.
यहीं का पानी पीते हैं बैकुंठपुर के लोग: मेडिकल वेस्ट को उचित प्रबंध न करके ऐसे खुले में फेंकने से यहां दूर-दूर तक दुर्गंध फैली हुई है. यही कारण है कि आसपास में रह रहे लोगों के साथ-साथ पर्यावरण को भी इससे खतरा है.सबसे बड़ी बात तो यह है कि जिस गेज नदी किनारे नगर पालिका प्रशासन मेडिकल वेस्ट को डंप कर रहा है, इसी गेज नदी का पानी बैकुंठपुर के लोग पीते हैं. नदी किनारे ही मेडिकल वेस्ट डंप करने से यहां संक्रमण का खतरा भी बना हुआ है.
जानिए क्या कहते हैं स्थानीय: इस बारे में स्थानीय निवासी अनुराग दुबे का कहना है कि, "बैकुंठपुर जिला अस्पताल से निकला हुआ मेडिकल वेस्ट खुले में ही फेंका जा रहा है. इसके पास में ही गौठान बनाया गया है. गाय इस कचरे को खाकर बीमार पड़ती है. इस कचरे से लोगों को भी खतरा है. बायोमेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट के प्रावधानों के अनुसार बायो मेडिकल कचरे को खुले में डालने पर अस्पतालों के खिलाफ जुर्माना और सजा का प्रावधान है. हालांकि जिस नगर पालिका प्रशासन को फाइन करना है या जिसे देखरेख करना है, वही पूरे नियम कानून की धज्जियां उड़ा रहा है."
कलेक्टर ने व्यवस्था सुधारने की दी हिदायत: वहीं, इस पूरे मामले में जिला कलेक्टर विनय कुमार लंगेह का कहना है कि, "जिला स्वास्थ्य समिति की बैठक में अस्पताल प्रबंधन को बायो मेडिकल वेस्ट को सामान्य कचरे के साथ नहीं मिलाने का निर्देश दिया गया है. अंबिकापुर से आने वाली फर्म को ही बायोमेडिकल वेस्ट देने की बात कही गई है. वर्तमान में बायो मेडिकल वेस्ट कचरे में डालकर फेंकने का मामला संज्ञान में आया है, जिसके लिए दोबारा सीएमएचओ कोरिया को निर्देशित किया गया है. जल्द ही इस तरह की गतिविधियों को बंद कर व्यवस्थाओं को सुधारने की हिदायत दी गई है."
बायो वेस्ट से संक्रमण का खतरा: अस्पताल अधीक्षक को पूरे अस्पताल की साफ-सफाई और मैनेजमेंट देखना होता है, लेकिन उनकी लापरवाही की वजह से अस्पताल के बायो वेस्टेज को ट्रैक्टर में लोड करा कर आवासीय कॉलोनी के बगल में नदी के पास फेंका जा रहा है. इससे यहां रहने वाले लोग डरे हुए हैं. गंदगी के कारण उनका जीना दूभर हो गया है. बदबू और गंदे कपड़े को जानवर चारों ओर फैला रहे हैं, जिससे संक्रमण का खतरा बना रहता है. अस्पतालों में उपयोग की जाने वाली इंजेक्शन, दवाओं की शीशी और ऑपरेशन से निकले ब्लड, मांस, पट्टियां, डिस्पोजेबल सिरिंज, खाली बोतल, टिश्यू आदि मेडिकल कचरे का ढेर नदी किनारे फेंक दिया गया है. बायो वेस्ट के निस्तारण के निर्धारित प्रोटोकॉल का पालन जिला अस्पताल प्रबंधन नहीं कर रहा है. इन कचड़ों में कई ऐसी सड़ी-गली चीजें भी होती हैं, जिसे खाने के लिए कुत्ते भी आ जाते हैं. इससे जानवरों में भी संक्रमण फैलने का खतरा बना रहता है. इसे लेकर जिला कलेक्टर ने व्यवस्था सुधारने की बात कही है.