रायपुर : हरदेव अरण्य क्षेत्र में परसा कोल ब्लॉक में हो रहे जंगलों की कटाई और खनन को लेकर लगातार विरोध हो रहा है. विरोध करने वाले सामाजिक संगठनों का आरोप है कि जंगलों की कटाई और खनन को लेकर ग्राम सभा से किसी प्रकार की कोई अनुमति नहीं ली गई है, जो दस्तावेज दिखाए गए वो फर्जी है. फर्जी दस्तावेज के माध्यम से कटाई के साथ ही खनन का कार्य किया जा रहा है. जिसका सीधा लाभ अडानी कंपनी को मिल रहा है.
10 हजार गांवों में लगेगी जन चौपाल : हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति ने आरोप लगाए हैं कि यहां का कोयला राजस्थान की जरूरत के लिए नहीं बल्कि अडानी को लाभ पहुंचाने के लिए 30% कोयला दिया जा रहा है. इस कटाई और खनन पर छत्तीसगढ़ सरकार अगर रोक नहीं लगती है, तो आने वाले दिनों में छत्तीसगढ़ विधानसभा में 1 लाख जन याचिका लगाई जाएगी. इसके साथ ही छत्तीसगढ़ के 10 हजार गांव में चौपाल लगाकर ग्रामीणों को जागरूक किया जाएगा.
हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति के सदस्य रामलाल कड़ियाम ने बताया कि हसदेव के जंगल में बिना ग्राम सभा की अनुमति के कटाई की जा रही है. कटाई और भूमि अधिग्रहण की किसी प्रकार की अनुमति ग्रामीणों के द्वारा ग्राम सभा में नहीं दी गई है.
लगातार जंगलों की कटाई और खनन का काम किया जा रहा है. सरकार फर्जी तरीके से ग्राम सभा के माध्यम से फर्जी दस्तावेज तैयार करके कटाई करने के साथ ही खनन का काम कर रही है. पिछले महीने 17 अक्टूबर को परसा कोल खदान की कटाई के दौरान ग्रामीणों ने इसका विरोध किया और आंदोलन किया. तब पुलिस ने उन्हें प्रताड़ित किया. इसके साथ ही ग्रामीणों पर झूठी एफआईआर दर्ज की गई है- रामलाल कड़ियाम,सदस्य,हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति
प्राइवेट कंपनी को कोयला देने का आरोप : छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन संयोजक मंडल के सदस्य आलोक शुक्ला ने कहा कि खनन का काम अडानी के लिए किया जा रहा है. कोयले का खनन राजस्थान के लिए नहीं किया जा रहा है. बल्कि इस कोयले का सीधा 30% लाभ अडानी कंपनी को मिल रहा है, जो अडानी कंपनी के पावर प्लांट में सीधे सप्लाई होता है. आलोक शुक्ला ने आरोप लगाए कि 30 प्रतिशत कोयला रिजेक्ट के नाम पर सीधे-सीधे अडानी कंपनी को दे दिया जाता है. यह कोई रिजेक्ट कोयला नहीं है बल्कि साफ कोयला है. जिसे अडानी की कंपनी तक पहुंचाया जाता है, जो जीएमआर से लेकर रायगढ़ के प्लांट तक जा रहा है. यहां के जंगल राजस्थान की बिजली की जरूरत के लिए नहीं बल्कि अडाणी के भ्रष्टाचार के लिए उजाड़ा जा रहा है.