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99 सफाई कर्मचारियों के वेतन फर्जीवाड़े मामले में जल्द होगी रिकवरी, एक्शन में नगर आयुक्त - Scam In Cleaning Staff Appointment

Scam In Cleaning Staff Appointment, Dehradun Municipal Corporation: सफाई कर्मचारियों की नियुक्ति में धांधली मामले में नगर निगम जल्द बड़ी कार्रवाई कर सकता है. सीडीओ ने इस मामले में जांच पूरी करने के बाद जिला प्रशासन को रिपोर्ट सौंप दी है. जिला प्रशासन से नगर आयुक्त के पास जल्द रिपोर्ट पहुंच सकती है. नगर आयुक्त गौरव कुमार ने मामले में रिकवरी करने और वैधानिक कार्रवाई की बात कही है.

Dehradun Municipal Corporation
देहरादून नगर निगम (फोटो- ईटीवी भारत)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : May 17, 2024, 7:20 PM IST

Updated : May 17, 2024, 8:28 PM IST

सफाई कर्मचारियों के वेतन फर्जीवाड़े मामले में जल्द होगी रिकवरी (वीडियो- ईटीवी भारत)

देहरादून: दून नगर निगम में सफाई कर्मचारियों की नियुक्ति में फर्जीवाड़े के मामले पर हुए करोड़ों रुपए के फर्जीवाड़े में जल्द कार्रवाई हो सकती है. स्वच्छता समिति में हुए फर्जीवाड़े में सीडीओ ने जांच पूरी करने के बाद जिला प्रशासन को रिपोर्ट सौंप दी है और यह रिपोर्ट अब जिला प्रशासन द्वारा जल्द ही नगर आयुक्त के पास जाएगी. उसके बाद जांच में फर्जी पाए गए 99 कर्मचारियों के नाम पर जारी किए गए वेतन की रिकवरी की जाएगी. अगर जिनसे रिकवरी नहीं होगा, उनके खिलाफ वैधानिक कार्रवाई की जाएगी.

बता दें कि, साल 2019 में तीसरी बोर्ड बैठक में निर्णय लेने के बाद नगर निगम के सभी 100 वार्डों में साफ-सफाई के लिए स्वच्छता समिति बनाई गई थी. प्रत्येक वार्ड में बनाई गई समिति में 8 से 12 सफाई कर्मचारी कार्यरत बताए गए थे और 15-15 हजार रुपए स्वच्छता समिति को दिया जाता है. ऐसे में शहर भर में सफाई कर्मचारियों की ये संख्या करीब एक हजार है. नगर निगम बोर्ड का कार्यकाल समाप्त होने से पहले सफाई कर्मचारियों का वेतन स्वास्थ्य समिति को दिया जाता था. लेकिन 2 दिसंबर को बोर्ड भंग होने के बाद नई व्यवस्था बनाने का प्रयास किया गया था.

कर्मचारियों के वेतन और पीएफ आदि में गड़बड़ी की शिकायत मिलने के बाद सीधे कर्मचारियों के खाते में वेतन की धनराशि ट्रांसफर करने का निर्णय लिया गया. इसके लिए नगर निगम ने समितियों के एक-एक कर्मचारी की भौतिक उपस्थिति, आधार कार्ड और बैंक खाता संख्या जुटाए गए थे. लेकिन नगर निगम की टीम ने सत्यापन में पाया कि पहले उपलब्ध कराई गई सूची में से कई कर्मचारी मौके पर नहीं मिले और उनके स्थान पर अन्य व्यक्ति कार्य करते पाए गए, जिससे साफ हो गया की सूची के अनुसार दिया जा रहा वेतन गलत व्यक्ति को दिया जा रहा था.

इसके बाद नगर निगम प्रशासक सोनिका (जिलाधिकारी) ने सीडीओ को मामले की जांच सौंपी. वहीं भौतिक सत्यापन के साथ दस्तावेजों की जांच में पाया गया कि 99 कर्मचारी ऐसे थे, जिनके नाम नगर निगम को उपलब्ध कराए गए थे लेकिन वह मौके पर नहीं थे. सीडीओ द्वारा इसकी जांच रिपोर्ट नगर निगम प्रशासन को सौंप दी है और नगर निगम प्रशासन जल्द ही यह रिपोर्ट नगर आयुक्त को देगा. बोर्ड भंग होने से पहले पार्षदों के पास ही स्वच्छता समितियां का अधिकार था.

पार्षद अपने वार्ड में समिति के अध्यक्ष और कोषाध्यक्ष के संयुक्त खाते खुलवा कर नगर निगम की ओर से कर्मचारियों का वेतन ट्रांसफर किया जाता था. नगर आयुक्त गौरव कुमार ने बताया है कि स्वच्छता समिति के तहत सफाई कर्मचारियों के वेतन में हुई अनियमितता की सीडीओ के द्वारा जांच की गई थी. जैसे ही जांच समिति के द्वारा जांच रिपोर्ट प्राप्त होती है तो हमारे द्वारा रिकवरी की कार्रवाई शुरू कर दी जाएगी. बताया कि अगर नोटिस के बाद रुपए जमा नहीं किए जाते हैं तो नगर निगम द्वारा वैधानिक कार्रवाई की जाएगी.

कूड़ा निस्तारण प्लांट शिफ्टिंग को लेकर एनजीटी की रिपोर्ट: वहीं, एनजीटी के आदेश के बाद दून नगर निगम का शीशमबाड़ा कूड़ा निस्तारण प्लांट को एक तरफ शिफ्टिंग या फिर प्लांट की क्षमता बढ़ाने की कार्रवाई चल रही है. नगर निगम निगम ने एनजीटी में सुनवाई के दौरान नगर निगम ने 185 पेजों की अभी रिपोर्ट प्रस्तुत कर भविष्य की कई योजना बताई है. लेकिन एनजीटी ने नगर निगम से कहा कि इन योजनाओं के कोई मायने नहीं हैं. पिछले सालों में पेश की गई योजना का कोई नतीजा नहीं निकला है.

बता दें कि, शीशमबाड़ा में 250 टन कचरा निस्तारण की क्षमता है, लेकिन शहर भर से प्रतिदिन करीब 450 टन कचरा शीशमबाड़ा प्लांट पहुंच रहा है. प्रतिदिन 200 टन कचरा बैगर निस्तारण के पहाड़ का हिस्सा बन रहा है. जिस कारण यहां अब करीब पांच लाख टन कूड़े का पहाड़ बन गया है.

पढ़ें- देहरादून नगर निगम के सफाई कर्मी नियुक्ति में धांधली, सुपरवाइजर सस्पेंड

सफाई कर्मचारियों के वेतन फर्जीवाड़े मामले में जल्द होगी रिकवरी (वीडियो- ईटीवी भारत)

देहरादून: दून नगर निगम में सफाई कर्मचारियों की नियुक्ति में फर्जीवाड़े के मामले पर हुए करोड़ों रुपए के फर्जीवाड़े में जल्द कार्रवाई हो सकती है. स्वच्छता समिति में हुए फर्जीवाड़े में सीडीओ ने जांच पूरी करने के बाद जिला प्रशासन को रिपोर्ट सौंप दी है और यह रिपोर्ट अब जिला प्रशासन द्वारा जल्द ही नगर आयुक्त के पास जाएगी. उसके बाद जांच में फर्जी पाए गए 99 कर्मचारियों के नाम पर जारी किए गए वेतन की रिकवरी की जाएगी. अगर जिनसे रिकवरी नहीं होगा, उनके खिलाफ वैधानिक कार्रवाई की जाएगी.

बता दें कि, साल 2019 में तीसरी बोर्ड बैठक में निर्णय लेने के बाद नगर निगम के सभी 100 वार्डों में साफ-सफाई के लिए स्वच्छता समिति बनाई गई थी. प्रत्येक वार्ड में बनाई गई समिति में 8 से 12 सफाई कर्मचारी कार्यरत बताए गए थे और 15-15 हजार रुपए स्वच्छता समिति को दिया जाता है. ऐसे में शहर भर में सफाई कर्मचारियों की ये संख्या करीब एक हजार है. नगर निगम बोर्ड का कार्यकाल समाप्त होने से पहले सफाई कर्मचारियों का वेतन स्वास्थ्य समिति को दिया जाता था. लेकिन 2 दिसंबर को बोर्ड भंग होने के बाद नई व्यवस्था बनाने का प्रयास किया गया था.

कर्मचारियों के वेतन और पीएफ आदि में गड़बड़ी की शिकायत मिलने के बाद सीधे कर्मचारियों के खाते में वेतन की धनराशि ट्रांसफर करने का निर्णय लिया गया. इसके लिए नगर निगम ने समितियों के एक-एक कर्मचारी की भौतिक उपस्थिति, आधार कार्ड और बैंक खाता संख्या जुटाए गए थे. लेकिन नगर निगम की टीम ने सत्यापन में पाया कि पहले उपलब्ध कराई गई सूची में से कई कर्मचारी मौके पर नहीं मिले और उनके स्थान पर अन्य व्यक्ति कार्य करते पाए गए, जिससे साफ हो गया की सूची के अनुसार दिया जा रहा वेतन गलत व्यक्ति को दिया जा रहा था.

इसके बाद नगर निगम प्रशासक सोनिका (जिलाधिकारी) ने सीडीओ को मामले की जांच सौंपी. वहीं भौतिक सत्यापन के साथ दस्तावेजों की जांच में पाया गया कि 99 कर्मचारी ऐसे थे, जिनके नाम नगर निगम को उपलब्ध कराए गए थे लेकिन वह मौके पर नहीं थे. सीडीओ द्वारा इसकी जांच रिपोर्ट नगर निगम प्रशासन को सौंप दी है और नगर निगम प्रशासन जल्द ही यह रिपोर्ट नगर आयुक्त को देगा. बोर्ड भंग होने से पहले पार्षदों के पास ही स्वच्छता समितियां का अधिकार था.

पार्षद अपने वार्ड में समिति के अध्यक्ष और कोषाध्यक्ष के संयुक्त खाते खुलवा कर नगर निगम की ओर से कर्मचारियों का वेतन ट्रांसफर किया जाता था. नगर आयुक्त गौरव कुमार ने बताया है कि स्वच्छता समिति के तहत सफाई कर्मचारियों के वेतन में हुई अनियमितता की सीडीओ के द्वारा जांच की गई थी. जैसे ही जांच समिति के द्वारा जांच रिपोर्ट प्राप्त होती है तो हमारे द्वारा रिकवरी की कार्रवाई शुरू कर दी जाएगी. बताया कि अगर नोटिस के बाद रुपए जमा नहीं किए जाते हैं तो नगर निगम द्वारा वैधानिक कार्रवाई की जाएगी.

कूड़ा निस्तारण प्लांट शिफ्टिंग को लेकर एनजीटी की रिपोर्ट: वहीं, एनजीटी के आदेश के बाद दून नगर निगम का शीशमबाड़ा कूड़ा निस्तारण प्लांट को एक तरफ शिफ्टिंग या फिर प्लांट की क्षमता बढ़ाने की कार्रवाई चल रही है. नगर निगम निगम ने एनजीटी में सुनवाई के दौरान नगर निगम ने 185 पेजों की अभी रिपोर्ट प्रस्तुत कर भविष्य की कई योजना बताई है. लेकिन एनजीटी ने नगर निगम से कहा कि इन योजनाओं के कोई मायने नहीं हैं. पिछले सालों में पेश की गई योजना का कोई नतीजा नहीं निकला है.

बता दें कि, शीशमबाड़ा में 250 टन कचरा निस्तारण की क्षमता है, लेकिन शहर भर से प्रतिदिन करीब 450 टन कचरा शीशमबाड़ा प्लांट पहुंच रहा है. प्रतिदिन 200 टन कचरा बैगर निस्तारण के पहाड़ का हिस्सा बन रहा है. जिस कारण यहां अब करीब पांच लाख टन कूड़े का पहाड़ बन गया है.

पढ़ें- देहरादून नगर निगम के सफाई कर्मी नियुक्ति में धांधली, सुपरवाइजर सस्पेंड

Last Updated : May 17, 2024, 8:28 PM IST
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