हरियाणा: हरियाणा में 7 मई को 3 निर्दलीय विधायकों ने नायब सिंह सैनी सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया. इस घटनाक्रम के बाद हरियाणा की सियासत में भूचाल सा आ गया. विपक्ष ने सरकार से इस्तीफे की मांग करके राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग शुरू कर दी. वहीं 8 मई को दुष्यंत चौटाला के कांग्रेस को समर्थन देने के ऐलान ने सियासी तूफान को और हवा दे दी.
'दुष्यंत लिखित में दें तो हम भेजेंगे अपना डेलिगेशन'
तीन निर्दलीय विधायकों के बीजेपी से समर्थन वापस लेने के बाद जेजेपी नेता और पूर्व डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला ने कांग्रेस को बाहर से समर्थन का ऐलान कर दिया. दुष्यंत चौटाला ने कहा कि अगर कांग्रेस सरकार गिरायेगी तो जेजेपी उनको समर्थन करेगी. इस पर भूपेंद्र हुड्डा ने कहा कि जेजेपी के विधायक राज्यपाल को लिखित में दें तो हम भी राज्यपाल के पास अपना डेलिगेशन भेज देगें. केवल बोलने से ये सब नहीं होता है.
सोनीपत दौरे पर रहे भूपेंद्र हुड्डा
हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा बुधवार को सोनीपत के दौरे पर थे. इस दौरान उन्होंने गन्नौर, राई और सोनीपत के कार्यकर्ताओं के साथ मुरथल स्थित एक निजी होटल में बैठक की और चुनाव की रणनीति तैयार की. भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने लोकसभा चुनावों में कांग्रेस के प्रदर्शन पर कहा कि हरियाणा में कांग्रेस की लहर है. हम हरियाणा में सभी सीटों पर चुनाव जीत रहे हैं.
इन निर्दलीय विधायकों ने वापस लिया समर्थन
7 मई को रोहतक में भूपेंद्र हुड्डा और हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष उदयभान के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस करके तीन निर्दलीय विधायकों ने बीजेपी सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया था. इन विधायकों ने कांग्रेस को बाहर से अपना समर्थन दिया. इन तीन विधायकों में चरखी दादरी से सोमबीर सांगवान, पूंडरी से रणधीर गोलन और नीलोखेड़ी से धर्मपाल गोंदर शामिल हैं.
हरियाणा में इस समय 88 विधायकों की संख्या
हरियाणा में फिलहाल 88 विधायकों की संख्या हैं. निर्दलीय विधायक रणजीत चौटाला और पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल इस्तीफा देकर लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं. इस हिसाब से बीजेपी के पास 40 विधायक हैं. तीन निर्दलीय विधायकों के समर्थन वापस लेने पर बीजेपी के पास केवल 2 निर्दलीय और हरियाणा लोकहित पार्टी के गोपाल कांडा का समर्थन बचा. इस हिसाब से बीजेपी के पास 43 विधायकों की संख्या हो रही है. जबकि बहुमत के लिए 45 विधायक चाहिए.
सरकार को अल्पमत में नहीं कह सकते- विधानसभा अध्यक्ष
इस मामले पर हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता ने कहा कि 6 महीने से पहले अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जा सकता है. सरकार के पास वही संख्या है जो एक महीने पहले थी. इसलिए सरकार अल्पमत में है, ऐसा नहीं कहा जा सकता. निर्दलीय विधायकों के समर्थन वापस लेने और कांग्रेस को सपोर्ट करने के टेक्निकल बिंदुओं पर राज्यपाल फैसला करेंगे.