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एमपी में बच्चों को बीमारी से बचाने के लिए सरकार ने बनाया गजब का प्लान, घर-घर जाकर होगी स्वास्थ्य की जांच - Dastak cum Stop Diarrhea Campaign - DASTAK CUM STOP DIARRHEA CAMPAIGN

मंगलवार को भोपाल में उप मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल और राज्य के स्वास्थ्य मंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल ने प्रदेशव्यापी दस्तक सह स्टॉप डायरिया अभियान का शुभारंभ किया है. 25 जून से 31 अगस्त तक चलने वाले इस अभियान के तहत घर-घर जाकर बच्चों के स्वास्थ्य की जांच होगी.

DASTAK CUM STOP DIARRHEA CAMPAIGN
एमपी में दस्तक सह स्टॉप डायरिया अभियान का शुभारंभ (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jun 25, 2024, 8:41 PM IST

भोपाल। मध्य प्रदेश के उप मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल और राज्य स्वास्थ्य मंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल ने मंगलवार को भोपाल के एक निजी होटल में प्रदेशव्यापी दस्तक सह स्टॉप डायरिया अभियान का शुभारंभ किया. इस वर्ष यह अभियान 25 जून से 31 अगस्त तक चलाया जाएगा. बता दें कि बाल्यकालीन बीमारियों की पहचान व त्वरित उपचार सुनिश्चित करने के लिए प्रदेश में प्रति वर्ष दस्तक अभियान संचालित किया जाता है. अभियान का प्रमुख उद्देश्य बाल मृत्यु प्रकरणों में कमी लाना है. इस दौरान स्वास्थ्य विभाग की टीम गांव और शहर में घर-घर जाकर बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण करेगी.

Dastak cum Stop Diarrhea Campaign
भोपाल में उप मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल (ETV Bharat)

6 माह से 5 वर्ष तक के बच्चों का होगा स्वास्थ्य परीक्षण

दस्तक अभियान के तहत बीमार नवजातों और बच्चों के प्रबंधन, रेफरल व अस्पताल से छुट्टी प्राप्त बच्चों का फॉलोअप किया जाएगा. 9 माह से 5 वर्ष के बच्चों में विटामिन ‘ए’ की खुराक का अनुपूरण और 0 से 5 आयु वर्ष के बच्चों में दस्त की पहचान व नियंत्रण हेतु ओआरएस और जिंक का वितरण स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के द्वारा किया जाएगा. इसके साथ ही 0-5 आयु वर्ष के बच्चों में निमोनिया, जन्मजात विकृतियों व वृद्धि विलंब, गंभीर कुपोषण की त्वरित पहचान और प्रबंधन का कार्य किया जाएगा. इसके साथ ही 6 माह से 5 वर्ष के बच्चों में गंभीर अनीमिया की स्क्रीनिंग व प्रबंधन के साथ शिशु व बाल आहारपूर्ति संबंधी समझाइश लोगों को दी जाएगी.

एमपी सरकार करेगी डॉक्टर्स और पैरामेडिकल स्टाफ की भर्ती

आंशिक रूप से टीकाकृत बच्चों या टीकाकरण से छूटे बच्चों की स्थिति की जानकारी लेकर आवश्यक निदानात्मक कार्यवाही की जाएगी. 5 वर्ष तक के बच्चों में श्रवण बाधिता और दृष्टिदोष की पहचान करके उपचार का कार्य किया जाएगा. साथ ही समस्त चिन्हांकित अनीमिक बच्चों में सिकल सैल अनीमिया की पहचान कर उनका बेहतर इलाज किया जायेगा. राजेंद्र शुक्ला ने कहा कि, ''जो राज्य हेल्थ पैरामीटर में एमपी से आगे हैं, उनसे आगे निकलना ही हमारा लक्ष्य है. इसके लिए हमारे पास पर्याप्त योग्यता है. वहीं बिल्डिंग भी पर्याप्त हैं. हालांकि हमारे पास डॉक्टर्स और पैरामेडिकल स्टाफ की चुनौती थी. इसके लिए एमपी सरकार 6 महीने में 20 हजार मेन पावर की भर्ती करने वाली है. इसके बाद हमारे पास पर्याप्त अमला और संसाधन मौजूद होंगे.''

हमारा भविष्य हैं 0 से 5 वर्ष के बच्चे

स्वास्थ्य राज्य मंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल ने कहा कि ''0 से 5 वर्ष के बच्चे हमारा भविष्य हैं. इनको बचाने का काम हमारी टीम का है. निश्चित रूप से यह जो कार्यक्रम है इसका क्रियान्वयन आपके ऊपर है. मेरा छोटा बेटा जब 2 महीने का था, तब से उसके हार्ट में कुछ दिक्कत है. उसकी बीमारी की पहचान 2 महीने में हो गई तो समय से इलाज शुरू हो गया. आज वह स्वस्थ है. हाल ही में मैने 8 महीने की एक बच्ची को देखा. उसकी स्थिति बहुत गंभीर हो गई थी. यह उदाहरण इसलिए दे रहा हूं कि जैसे हमारे बच्चे हैं ऐसे इस प्रदेश के जितने बच्चे हैं, उनकी चिंता आप सभी करेंगे.''

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डायरिया के लिए विभागों को दिए गए निर्देश

दस्तक सह स्टॉप डायरिया अभियान के तहत डायरिया की रोकथाम के लिए शासकीय विभागों को दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं. इसके तहत दस्त के मामलों को ट्रैक करने के लिए जिला स्तरीय टीम का गठन किया जाए. ऐसे क्षेत्र जहां दस्त व अन्य रोगों के मरीजों की अधिकता हो उस क्षेत्र का नियमित रूप से डेटा का विश्लेषण कर विशेष व्यवस्थाएं की जाएं. बच्चों में दस्त को रोकने के लिए रोटावायरस टीकों को बढ़ावा दें और उनका प्रबंध करने के निर्देश दिए गए हैं. सभी स्वास्थ्य केंद्रों और अस्पतालों में पर्याप्त मात्रा में ओरल रिहाइड्रेशन सोल्यूशंस (ORS) और जिंक सप्लीमेंट्स की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए. सभी शासकीय व निजी स्वास्थ्य संस्थाओं में ओआरएस कॉर्नर स्थापित कराए जाएं.

भोपाल। मध्य प्रदेश के उप मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल और राज्य स्वास्थ्य मंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल ने मंगलवार को भोपाल के एक निजी होटल में प्रदेशव्यापी दस्तक सह स्टॉप डायरिया अभियान का शुभारंभ किया. इस वर्ष यह अभियान 25 जून से 31 अगस्त तक चलाया जाएगा. बता दें कि बाल्यकालीन बीमारियों की पहचान व त्वरित उपचार सुनिश्चित करने के लिए प्रदेश में प्रति वर्ष दस्तक अभियान संचालित किया जाता है. अभियान का प्रमुख उद्देश्य बाल मृत्यु प्रकरणों में कमी लाना है. इस दौरान स्वास्थ्य विभाग की टीम गांव और शहर में घर-घर जाकर बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण करेगी.

Dastak cum Stop Diarrhea Campaign
भोपाल में उप मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल (ETV Bharat)

6 माह से 5 वर्ष तक के बच्चों का होगा स्वास्थ्य परीक्षण

दस्तक अभियान के तहत बीमार नवजातों और बच्चों के प्रबंधन, रेफरल व अस्पताल से छुट्टी प्राप्त बच्चों का फॉलोअप किया जाएगा. 9 माह से 5 वर्ष के बच्चों में विटामिन ‘ए’ की खुराक का अनुपूरण और 0 से 5 आयु वर्ष के बच्चों में दस्त की पहचान व नियंत्रण हेतु ओआरएस और जिंक का वितरण स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के द्वारा किया जाएगा. इसके साथ ही 0-5 आयु वर्ष के बच्चों में निमोनिया, जन्मजात विकृतियों व वृद्धि विलंब, गंभीर कुपोषण की त्वरित पहचान और प्रबंधन का कार्य किया जाएगा. इसके साथ ही 6 माह से 5 वर्ष के बच्चों में गंभीर अनीमिया की स्क्रीनिंग व प्रबंधन के साथ शिशु व बाल आहारपूर्ति संबंधी समझाइश लोगों को दी जाएगी.

एमपी सरकार करेगी डॉक्टर्स और पैरामेडिकल स्टाफ की भर्ती

आंशिक रूप से टीकाकृत बच्चों या टीकाकरण से छूटे बच्चों की स्थिति की जानकारी लेकर आवश्यक निदानात्मक कार्यवाही की जाएगी. 5 वर्ष तक के बच्चों में श्रवण बाधिता और दृष्टिदोष की पहचान करके उपचार का कार्य किया जाएगा. साथ ही समस्त चिन्हांकित अनीमिक बच्चों में सिकल सैल अनीमिया की पहचान कर उनका बेहतर इलाज किया जायेगा. राजेंद्र शुक्ला ने कहा कि, ''जो राज्य हेल्थ पैरामीटर में एमपी से आगे हैं, उनसे आगे निकलना ही हमारा लक्ष्य है. इसके लिए हमारे पास पर्याप्त योग्यता है. वहीं बिल्डिंग भी पर्याप्त हैं. हालांकि हमारे पास डॉक्टर्स और पैरामेडिकल स्टाफ की चुनौती थी. इसके लिए एमपी सरकार 6 महीने में 20 हजार मेन पावर की भर्ती करने वाली है. इसके बाद हमारे पास पर्याप्त अमला और संसाधन मौजूद होंगे.''

हमारा भविष्य हैं 0 से 5 वर्ष के बच्चे

स्वास्थ्य राज्य मंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल ने कहा कि ''0 से 5 वर्ष के बच्चे हमारा भविष्य हैं. इनको बचाने का काम हमारी टीम का है. निश्चित रूप से यह जो कार्यक्रम है इसका क्रियान्वयन आपके ऊपर है. मेरा छोटा बेटा जब 2 महीने का था, तब से उसके हार्ट में कुछ दिक्कत है. उसकी बीमारी की पहचान 2 महीने में हो गई तो समय से इलाज शुरू हो गया. आज वह स्वस्थ है. हाल ही में मैने 8 महीने की एक बच्ची को देखा. उसकी स्थिति बहुत गंभीर हो गई थी. यह उदाहरण इसलिए दे रहा हूं कि जैसे हमारे बच्चे हैं ऐसे इस प्रदेश के जितने बच्चे हैं, उनकी चिंता आप सभी करेंगे.''

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