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भीलवाड़ा मर्डर केस, एसओजी को एससी एसटी कोर्ट भीलवाड़ा के समक्ष आवेदन प्रस्तुत करने के निर्देश - राजस्थान हाईकोर्ट

Bhilwara Murder Case, राजस्थान हाईकोर्ट ने भीलवाड़ा में युवक की चाकू से गोंदकर हत्या करने के मामले में एसओजी को एससी एसटी कोर्ट भीलवाड़ा के समक्ष दस्तावेजों की आवश्यकता होने पर आवेदन प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं. वहीं, जस्टिस मदन गोपाल व्यास की एकलपीठ के समक्ष सुनवाई के दौरान अतिरिक्त महानिदेशक एटीएस और एसओजी वीके सिंह व्यक्तिगत रूप से पेश हुए.

Bhilwara Murder Case
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Feb 14, 2024, 9:59 PM IST

जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने भीलवाड़ा में सरेराह युवक की चाकू से गोंदकर हत्या करने के मामले में एसओजी को एससी एसटी कोर्ट भीलवाड़ा के समक्ष दस्तावेजों की आवश्यकता होने पर आवेदन प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं. जस्टिस मदन गोपाल व्यास की एकलपीठ के समक्ष सुनवाई के दौरान अतिरिक्त महानिदेशक एटीएस और एसओजी वीके सिंह व्यक्तिगत रूप से पेश हुए. पिछली सुनवाई में कोर्ट के सामने यह तथ्य आया था कि एसओजी को जांच सौंपने के एक साल बाद भी जांच शुरू नहीं हुई. वहीं, कोर्ट ने एडीजी एसओजी को बुधवार को व्यक्तिगत रूप से तलब किया था.

एडीजी वीके सिंह कोर्ट में अतिरिक्त महाधिवक्ता अनिल जोशी के साथ व्यक्तिगत रूप से पेश हुए. उन्होने कोर्ट को बताया कि हाईकोर्ट के आदेश से चालान सहित दस्तावेजों को प्राप्त करने के लिए भीलवाडा कोर्ट में आवेदन किया था, जहां से चालान के साथ प्रकरण में जब्त पेन ड्राइव व सीडी की कॉपी मांगी गई, लेकिन आज तक प्राप्त नहीं हुई है. ऐसे में जब तक पेन ड्राइव और सीडी नहीं मिलती जांच निष्पक्ष नहीं हो सकती है. इस पर हाईकोर्ट ने एडीजी एसओजी को निर्देश दिए कि यदि उन्हें दस्तावेजों की आवश्यकता है तो एससी-एसटी कोर्ट भीलवाड़ा के समक्ष आवेदन प्रस्तुत करें और एससी-एसटी कोट उस आवेदन को नियमानुसार निस्तारित करे. इसके साथ ही कोर्ट ने अगली सुनवाई पर एडीजी एसओजी को व्यक्तिगत रूप से उपस्थिति से छूट दी है. कोर्ट ने प्रकरण के अनुसंधान अधिकारी को 11 मार्च को अगली सुनवाई पर अनुसंधान पत्रावली के साथ पेश होने के निर्देश दिया है.

इसे भी पढ़ें - जिला न्यायाधीश संवर्ग भर्ती परीक्षा 2020: विधिवेत्ता और प्रोफेसर एडीजे भर्ती की कॉपियों का करें परीक्षण-हाईकोर्ट

गौरतलब है कि भीलवाड़ा में याचिकाकर्ता मयंक तापड़िया के भाई आदर्श तापड़िया की सड़क पर चाकू से गोंदकर हत्या कर दी गई थी. इस मामले में निष्पक्ष अनुसंधान को लेकर मयंक तापड़िया ने अधिवक्ता मोतीसिंह राजपुरोहित के जरिए याचिका पेश की थी. मामले में राजस्थान हाईकोर्ट ने पुलिस की कार्यशैली पर सवाल खड़े करते हुए निष्पक्ष जांच के लिए मामला एसओजी को ट्रांसफर करने के निर्देश दिए थे. अदालत में मृतक आदर्श तापड़िया के भाई मयंक तापड़िया ने पुलिस जांच पर संदेह जाहिर करते हुए निष्पक्ष जांच एनआईए से करवाने को लेकर याचिका पेश की थी. याचिकाकर्ता के अधिवक्ता मोतीसिंह राजपुरोहित ने याचिका में पुलिस जांच पर संदेह जाहिर करते हुए दो आरोपी के खिलाफ कोई कार्रवाई न करते हुए चार्जशीट से भी नाम नहीं होने पर निष्पक्ष जांच के लिए पैरवी की. याचिका में यह भी आरोप लगाया कि पुलिस ने अनुसंधान निष्पक्ष नहीं किया और 161 के बयान भी निष्पक्ष नहीं है. इस पर कोर्ट ने तीन गवाहों के 164 के बयान न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष करवाकर रिपोर्ट मांगी थी.

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तीनों गवाहों के बयान हाईकोर्ट के समक्ष पेश हुए, जिससे जाहिर हुआ कि पुलिस के 161 के बयान व न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष 164 के बयानों में विरोधाभास है. इससे कोर्ट को भी लगा कि पुलिस ने मामले में निष्पक्ष अनुसंधान नहीं किया है. इस पर कोर्ट ने मामले को एसओजी को ट्रांसफर करने के निर्देश देते हुए अधीनस्थ अदालत को निर्देश दिए हैं कि चार्जशीट एसओजी को सुपुर्द की जाए. वहीं, एसओजी के महानिदेशक को निर्देश दिए कि वे अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक स्तर के अधिकारी से इसकी जांच कराएं. हालांकि, एक साल बाद भी इस मामले में अनुसंधान नहीं होने पर अब एडीजी एसओजी को तलब किया गया.

जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने भीलवाड़ा में सरेराह युवक की चाकू से गोंदकर हत्या करने के मामले में एसओजी को एससी एसटी कोर्ट भीलवाड़ा के समक्ष दस्तावेजों की आवश्यकता होने पर आवेदन प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं. जस्टिस मदन गोपाल व्यास की एकलपीठ के समक्ष सुनवाई के दौरान अतिरिक्त महानिदेशक एटीएस और एसओजी वीके सिंह व्यक्तिगत रूप से पेश हुए. पिछली सुनवाई में कोर्ट के सामने यह तथ्य आया था कि एसओजी को जांच सौंपने के एक साल बाद भी जांच शुरू नहीं हुई. वहीं, कोर्ट ने एडीजी एसओजी को बुधवार को व्यक्तिगत रूप से तलब किया था.

एडीजी वीके सिंह कोर्ट में अतिरिक्त महाधिवक्ता अनिल जोशी के साथ व्यक्तिगत रूप से पेश हुए. उन्होने कोर्ट को बताया कि हाईकोर्ट के आदेश से चालान सहित दस्तावेजों को प्राप्त करने के लिए भीलवाडा कोर्ट में आवेदन किया था, जहां से चालान के साथ प्रकरण में जब्त पेन ड्राइव व सीडी की कॉपी मांगी गई, लेकिन आज तक प्राप्त नहीं हुई है. ऐसे में जब तक पेन ड्राइव और सीडी नहीं मिलती जांच निष्पक्ष नहीं हो सकती है. इस पर हाईकोर्ट ने एडीजी एसओजी को निर्देश दिए कि यदि उन्हें दस्तावेजों की आवश्यकता है तो एससी-एसटी कोर्ट भीलवाड़ा के समक्ष आवेदन प्रस्तुत करें और एससी-एसटी कोट उस आवेदन को नियमानुसार निस्तारित करे. इसके साथ ही कोर्ट ने अगली सुनवाई पर एडीजी एसओजी को व्यक्तिगत रूप से उपस्थिति से छूट दी है. कोर्ट ने प्रकरण के अनुसंधान अधिकारी को 11 मार्च को अगली सुनवाई पर अनुसंधान पत्रावली के साथ पेश होने के निर्देश दिया है.

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गौरतलब है कि भीलवाड़ा में याचिकाकर्ता मयंक तापड़िया के भाई आदर्श तापड़िया की सड़क पर चाकू से गोंदकर हत्या कर दी गई थी. इस मामले में निष्पक्ष अनुसंधान को लेकर मयंक तापड़िया ने अधिवक्ता मोतीसिंह राजपुरोहित के जरिए याचिका पेश की थी. मामले में राजस्थान हाईकोर्ट ने पुलिस की कार्यशैली पर सवाल खड़े करते हुए निष्पक्ष जांच के लिए मामला एसओजी को ट्रांसफर करने के निर्देश दिए थे. अदालत में मृतक आदर्श तापड़िया के भाई मयंक तापड़िया ने पुलिस जांच पर संदेह जाहिर करते हुए निष्पक्ष जांच एनआईए से करवाने को लेकर याचिका पेश की थी. याचिकाकर्ता के अधिवक्ता मोतीसिंह राजपुरोहित ने याचिका में पुलिस जांच पर संदेह जाहिर करते हुए दो आरोपी के खिलाफ कोई कार्रवाई न करते हुए चार्जशीट से भी नाम नहीं होने पर निष्पक्ष जांच के लिए पैरवी की. याचिका में यह भी आरोप लगाया कि पुलिस ने अनुसंधान निष्पक्ष नहीं किया और 161 के बयान भी निष्पक्ष नहीं है. इस पर कोर्ट ने तीन गवाहों के 164 के बयान न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष करवाकर रिपोर्ट मांगी थी.

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