उत्तरकाशी: बाबा की नगरी काशी यानी वाराणसी में जलती चिताओं के बीच मसान या भस्म की होली तो दुनियाभर में प्रसिद्ध है, लेकिन आस्था और पर्यटन के संगम कहे जाने वाले बाबा भोलेनाथ की नगरी उत्तराखंड में भी खास होली खेली जाती है. जहां काशी विश्वनाथ मंदिर में भस्म की होली खेली है. जिसे खेलने के लिए काफी संख्या में भक्त काशी विश्वनाथ मंदिर पहुंचते हैं. जहां एक-दूसरे को भस्म लगाकर होली की शुभकामनाएं देते हैं.
उत्तरकाशी में बाबा काशी विश्वनाथ प्रांगण से भस्म की होली के साथ पूरे जिले में होली शुरू होती है. आज यानी 24 मार्च की सुबह भोलेनाथ के भक्त काशी विश्वनाथ मंदिर पहुंचे. जहां सबसे पहले महंत अजय पुरी ने स्वयंभू शिवलिंग पर भस्म लगाया और उनका आशीर्वाद लिया. उसके बाद सभी भक्तों पर भभूत यानी भस्म लगाकर होली खेली गई. सभी भक्तों ने एक दूसरे को भस्म लगाकर होली की बधाई दी. इस दौरान बाबा काशी विश्वनाथ मंडली की ओर से होली और बसंत के गीत गाए गए. जिस पर भस्म लगाकर शिव भक्त जमकर झूमे.
काशी विश्वनाथ मंदिर महंत अजय पुरी ने बताया कि जहां आज के समय में रासायनिक होली का प्रचलन बढ़ गया है. ऐसे समय में भोलेनाथ के दरबार से भस्म की होली खेलकर यह संदेश दिया जा रहा है कि हम रासायनिक यानी केमिकल रंग छोड़ प्राकृतिक रंगों का इस्तेमाल करें. भस्म की होली के बाद मंदिर परिसर में प्रसाद वितरण किया गया. वहीं, इस मौके पर विभिन्न राज्यों से पहुंचे श्रद्धालु और पर्यटक भी भस्म होली के गवाह बने.
इसके अलावा महंत अजय पुरी ने बताया कि उत्तरकाशी को कलयुग का काशा कहा जाता है. माना जाता है कि कलयुग में काशी विश्वनाथ अस्सी गंगा वरुणा नदी के बीच वरुणावत पर्वत की तलहटी में निवास करेंगे. वहीं, भस्म या भभूत होली के गवाह बने दिल्ली के पर्यटकों का कहना है कि उन्होंने भस्म की होली पहली बार देखी. यह उनके जीवन का अनमोल अनुभवों में से एक है. बता दें कि यह भस्म मंदिर में साल भर होने वाले यज्ञों से निकलता है. जिसे प्रसाद भी माना जाता है.
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